फौज समर्थित पाकिस्तान सरकार से शांति की उम्मीद बेमानी

दैनिक जागरण परिसर में हुई अकादमिक बैठक में क्या होनी चाहिए भारत की पाकिस्तान नीति विषय पर विशेषज्ञ डॉ. आनंद सिहं ने पाक में फौज समर्थित सरकार को शांति प्रयास में बाधा माना।

By RashidEdited By: Publish:Tue, 25 Sep 2018 12:39 PM (IST) Updated:Tue, 25 Sep 2018 12:39 PM (IST)
फौज समर्थित पाकिस्तान सरकार से शांति की उम्मीद बेमानी
फौज समर्थित पाकिस्तान सरकार से शांति की उम्मीद बेमानी

मुरादाबाद [प्रेमपाल ]। अन्य देशों में तो सरकार की फौज होती है, लेकिन पाकिस्तान में फौज की सरकार है। फौज समर्थित इमरान सरकार से शांति की उम्मीद बेमानी है। वैसे भी पाकिस्तान स्वाभाविक रूप से राष्ट्र नहीं है। उसका निर्माण विशेष परिस्थितियों के कारण हुआ। यही वजह है कि पाकिस्तान के नजरिए में अभी अंतरराष्ट्रीय परिपक्वता का अभाव है। इसके गठन के बीज में हिंसा है। इसलिए उससे शांति की उम्मीद नहीं की जा सकती है।यह बातें हिंदू कालेज के सैन्य अध्ययन विभाग के अध्यक्ष डॉ. आनंद कुमार सिंह ने कहीं।

विभाजन का उद्देश्य अधूरा  

दैनिक जागरण कार्यालय में सोमवार को अकादमिक बैठक में अतिथि वक्ता के रूप में  क्या होनी चाहिए भारत की पाकिस्तान नीति विषय पर उन्होंने बताया कि 71 वर्ष बाद भी भारत-पाकिस्तान विभाजन का उद्देश्य अधूरा है। ऐसा माना गया था विभाजन के पूर्व जो अलग राष्ट्र की इच्छा रखते थे। उनकी मुरादें पूरी हो गईं तो दोनों तरफ का जन-मानस अपने अपने देश में सुख पूर्वक रहेंगे, लेकिन ऐसा हो न सका। राष्ट्र सिद्धांत के आधार पर हुआ विभाजन भारतीय उपमहाद्वीप में शांति स्थापना नहीं कर सका। वास्तव में कोई भी स्वाभाविक देश सैकड़ों साल की परंपरा और संस्कृति के फलस्वरूप फलता फूलता है। पाकिस्तान के साथ ऐसा कुछ नहीं हुआ। पाकिस्तान में भले ही लोकतांत्रिक व्यवस्था की बात कही जाती है लेकिन इसके मूल में सेना है। क्या कभी देखा गया कि किसी को प्रधानमंत्री बनाने में सेना लगी हो। इससे पूर्व अतिथि वक्ता का स्वागत करते हुए मुरादाबाद यूनिट के संपादकीय प्रभारी संजय मिश्र ने भारत और पाकिस्तान के संबंधों की स्थिति एवं इसके मूल पर विस्तार से प्रकाश डाला। आभार महाप्रबंधक अनिल अग्रवाल ने व्यक्त किया।

भारत पाकिस्तान के संबंधों के बीच कटुता का कारण कश्मीर समस्या 

डॉ. सिंह ने पाकिस्तान के गठन से शुरुआत करते हुए बताया कि नक्शे पर पाकिस्तान नहीं बना है। लोगों के दिल, खेत-खलिहान पर कैची चली थी। उन्होंने बताया कि भारत पाक संबंधों के बीच कटुता का प्रमुख कारण कश्मीर समस्या है। इसका इलाज दोनों देशों की सरकारें अगर समय रहते नहीं करतीं हैं तो भावी पीढ़ी को इसके कारण लगने वाले भयंकर दंश से कोई भी नहीं बचा पाएगा। भारत पाक के बीच कश्मीर समस्या इन दोनों राष्ट्रों के उदय के साथ ही प्रारम्भ हुई, बिना इस समस्या के समाधान किये भारत पाक संबंधों का सामान्यीकरण सम्भव नहीं है। ऐसा नही है कि शांति के लिए प्रयास नहीं किए गए, भारत और पाक के बीच सैकड़ों वार्ताएं राष्ट्राध्यक्षों, कैबिनेट, सचिव और गैर सरकारी स्तर पर हो चुकी हैं। भारत में किसी भी दल की सरकार रही हो पर वार्ताओं का दौर चलता रहा। लेकिन पाकिस्तान की ओर से लगातार आतंकी गतिविधियों में सहयोग, सीज फायर का उल्लंघन, पाकिस्तानी सेना द्वारा अमानवीय कृत्यों का किया जाना, अंतरराष्ट्रीय मंच पर द्विपक्षीय मुद्दों को ले जाने संबंधी तमाम ऐसी बातें हैं, जो भारत के मन में अविश्वास पैदा करती हैं। इसका सीधा असर विश्वास बहाली के उपायों पर पड़ता है। नतीजतन वार्ता सफल नहीं हो पाती। आखिर दोनों राष्ट्र दो संघर्ष और दो युद्ध लडऩे के उपरांत भी एक दूसरे के पड़ोसी तो रहेंगे ही।

पाकिस्तान में फौजी लोकतंत्र फेर रहा सकारात्मक कार्रवाई पर पानी

डॉ. सिंह ने उदाहरण दिया कि आज उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया के उदाहरण मौजूद हैं। बस जरूरत है सकारत्मक सोच की, लेकिन पाक में कट्टरपंथी इस्लामिक विचारक ऐसी किसी भी सकारात्मक कार्रवाई पर पानी फेर देते हैं। जिहाद के नाम पर युवाओं को भटकाने का काम करते हैं। पाक की इमरान खान सरकार फौज की कठपुतली है। जैसा फौज कह रही है वो वैसा ही कर रहे हैं। कहने को तो पाकिस्तान में लोकतांत्रिक सरकार है, लेकिन ये छदम लोकतांत्रिक है। इसका उद्देश्य कश्मीर में अस्थिरता पैदा करके शांति के प्रयासों को रोकना है। इसीलिए भारत सरकार का यह रुख की शांति वार्ता और आतंकवाद व सीज फायर का उल्लंघन एक साथ नहीं स्वीकार्य होगा।  

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