निर्जला एकादशी पर दूसरों की मदद कर कमाएं पुण्य

निर्जला एकादशी पर दूसरों की मदद कर कमाएं पुण्य।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 01 Jun 2020 02:40 AM (IST) Updated:Mon, 01 Jun 2020 02:40 AM (IST)
निर्जला एकादशी पर दूसरों की मदद कर कमाएं पुण्य
निर्जला एकादशी पर दूसरों की मदद कर कमाएं पुण्य

मुरादाबाद, जेएनएन। निर्जला एकादशी पर निर्जल उपवास रखकर भगवान विष्णु की पूजा का महत्व है। ज्येष्ठ मास की चरम सीमा पर पहुंच चुकी गर्मी में निर्जला एकादशी पर शीतल जल, रसदार फल, मिट्टी के घड़े और खजूर के पंखे दान करने का अर्थ शरीर में शीतलता प्रदान करने से है। इसीलिए ज्यादा से ज्यादा लोगों को शरबत वितरण करके लोग पुण्य तो कमाते ही हैं। दूसरा शरीर में शीतलता रहती है। इस पर्व को रस प्रधान भी कहा गया है। देश कोरोना महामारी के संकट से गुजर रहा है ऐसे में निर्जला एकादशी पर रसीली वस्तुएं इम्यूनिटी पावर बढ़ाने में सहायक भी हैं। फलों में खरबूजा, तरबूज, ककड़ी, खीरा, आम शीतलता प्रदान करते हैं।

कोरोना महामारी में रोजगार देगा निर्जला एकादशी

कोरोना महामारी में फ्रिज, एसी को चिकित्सकों ने प्रयोग न करने की सलाह दी है। ऐसे में यह पर्व रोजगार बढ़ाने में भी महत्वपूर्ण है। घड़ा दान करने से इनकी बिक्री होगी तो कुंभकार की कोरोना महामारी में आय बढ़ेगी। खजूर के पंखे भी दान करने से गांव में गरीबों को रोजगार मिलेगा। हालांकि गांव-गांव अब बिजली पहुंचने से खजूर के पंखे की उपयोगिता कम हुई है लेकिन, बिजली जाने पर हाथ का पंखा ही ग्रामीण झालते हैं। इसीलिए निर्जला एकादशी कई मायनों में महत्वपूर्ण है। निर्जला एकादशी से जुड़े तथ्य

- रसदार फल शीतलता का प्रतीक

- मिट्टी के घड़े ठंडक का प्रतीक

- खजूर के पंखे हवा का प्रतीक

- शीतल जल शीतलता का प्रतीक

निर्जला एकादशी शास्त्रों के अनुसार शरीर को शीतलता प्रदान करने वाला पर्व है। गर्मी के मौसम में यह पर्व आने से रसदार फल मिट्टी के घड़े खजूर के पंखे शीतल जल्दी आ शरबत बांटा जाता है। कोरोना महामारी रसदार फल इम्यूनिटी पावर भी बढ़ाएंगे। -- आचार्य जगदीश प्रसाद कोठारी

गर्मी के मौसम में निर्जला एकादशी पर रस मिट्टी के घड़े हाथ के पंखे स्वास्थ्य की ²ष्टि से लाभदायक है। इसीलिए लोग शीतल शरबत बांटकर पुण्य कमाते हैं। साथ ही लोगों को शीतलता प्रदान भी कराते हैं। कोरोना के संकट में फ्रीज के पानी के बजाय घड़े के पानी का उपयोग करें।

आचार्य गिरिजा भूषण मिश्र, श्री गीता ज्ञान मंदिर कोठीवाल नगर पांडव पुत्र भीम ने सर्वप्रथम निर्जल व्रत रखा था। तब से निर्जला एकादशी व्रत की परंपरा है लेकिन, रसदार फल, मिट्टी के घड़े, खजूर के पंखे दान करने से पुण्य के साथ शरीर को शीतलता भी मिलती है। --पंडित रामकुमार उपाध्याय, ऋण मुक्तेश्वर मंदिर खुशहालपुर

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