प्रवासी श्रमिकों के घर में सपने होंगे साकार, गांव में मिलेगा रोजगार Moradabad News

दौलारी गांव में सौ से ज्यादा श्रमिक दूसरे राज्यों से लौटे। अभी तक गांव में नहीं मिला कोई रोजगार। लॉकडाउन के कारण मजदूरों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

By Edited By: Publish:Mon, 01 Jun 2020 02:42 AM (IST) Updated:Mon, 01 Jun 2020 05:20 PM (IST)
प्रवासी श्रमिकों के घर में सपने होंगे साकार, गांव में मिलेगा रोजगार Moradabad News
प्रवासी श्रमिकों के घर में सपने होंगे साकार, गांव में मिलेगा रोजगार Moradabad News

मुरादाबाद,जेएनएन। लॉकडाउन में प्रवासी श्रमिकों को रोजगार देने का दावा उत्तर प्रदेश सरकार कर रही है। ऐसे में प्रवासी मजदूरों का कहना है कि अगर घर में उन्हें रोजगार मिलेगा तो बाहर जाने की आवश्कता नहीं पड़ेगी। प्रवासी श्रमिकों के सपने घर में ही साकार होंगे। शहर से लगभग 20 किलो मीटर दूरी पर स्थित मूढापांडे ब्लाक के दौलारी गांव में महाराष्ट्र,हिमाचल,हरियाणा,उत्तराखंड,पंजाब,दिल्ली और कर्नाटक से लगभग सौ श्रमिक आए हैं। लॉकडाउन में परेशानियों से जूझते हुए यह श्रमिक अपने घर तक पहुंचे हैं। श्रमिकों का कहना है कि वह अब दूसरे राज्यों में काम करने के लिए नहीं जाना चाहते हैं। राज्य सरकार प्रदेश के किसी भी शहर में रोजगार उपलब्ध करा दे,तो उन्हें किसी दूसरे राज्य में भी जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। गांव में मनरेगा योजना में इतना काम भी नहीं है,जिससे प्रवासी श्रमिक अपने परिवार का पेट पाल सकें। ऐसे में श्रमिकों ने बड़े किसानों से खेती बटाई पर लेकर काम करना शुरू कर दिया है। प्रवासी श्रमिकों का कहना है कि फिलहाल वह फसल और सब्जी की पैदावार बढ़ाने के लिए काम कर रहे हैं,ताकि प्रतिदिन उनको घर का खर्च चलाने के लिए पैसे मिल जाएं। ग्राम प्रधान पति जसवीर सिंह ने बताया कि दूसरे राज्यों से आए श्रमिकों ने क्वारंटाइन का समय पूरा कर लिया है। ऐसे में जो भी प्रवासी श्रमिक हैं,उनके मनरेगा जॉब कार्ड बनवाने का काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हमारी कोशिश है कि ज्यादा प्रवासियों को गांव में ही रोजगार उपलब्ध कराया जा सके। परिवारिक स्थितियों को देखने के बाद प्रवासी श्रमिकों को मनरेगा में काम दिया जा रहा है।

ये बोले श्रमिक

बीते दो वर्षों से हिमाचल प्रदेश में रोड बनाने का काम कर रहा था। लेकिन लॉकडाउन में काम बंद हुआ तो वापस आ गया। अब गांव से वापस नहीं जाना चाहता।

दिलबर,श्रमिक

कर्नाटक के मैंगलोर लॉकडाउन से पहले काम कर रहा था। लेकिन अब गांव में कोई काम नहीं मिल रहा है। अगर काम नहीं मिला तो खेतों में मजदूरी कर लूंगा,लेकिन वापस नहीं जाऊंगा।

मुहम्मद शमशाद,श्रमिक

सरकार अगर गांव में काम दे तो बाहर जाने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। अभी तक हिमाचल में रहकर काम कर रहा था। लेकिन अब गांव में ही रहना चाहता हूं।

दिलदार सिंह,श्रमिक

कई वर्षों से मुंबई में क्रेन चलाने का काम करता था। लॉकडाउन हुआ तो किसी तरह घर आ गया था। लेकिन अब यहीं पर काम खोज रहा हूं।

सुखपाल सिंह,श्रमिक

दिल्ली में सिलाई करने का काम करता था,लेकिन अब गांव में ही मशीन खरीदकर सिलाई का काम करूंगा। अब गांव छोड़कर नहीं जाऊंगा।

विजेन्द्र, श्रमिक

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