डॉ. मोहन भागवत बोले-संघ किसी का रिमोट कंट्रोल नहीं Moradabad News

संघ प्रमुख बोले-कमजोर की कोई नहीं सुनता इसलिए राष्ट्र को शक्तिशाली बनाने के लिए करेें कार्य। एमआइटी में मकर संक्रांति उत्सव में हुए शामिल संघ के कार्यालय का किया लोकार्पण।

By Narendra KumarEdited By: Publish:Sun, 19 Jan 2020 07:40 AM (IST) Updated:Sun, 19 Jan 2020 07:40 AM (IST)
डॉ. मोहन भागवत बोले-संघ किसी का रिमोट कंट्रोल नहीं  Moradabad News
डॉ. मोहन भागवत बोले-संघ किसी का रिमोट कंट्रोल नहीं Moradabad News

मुरादाबाद, जेएनएन। भारत को बड़ा बनाने के लिए हम काम करते हैैं। संघ के विचारों और संस्कार के अनुसार हम हर क्षेत्र में काम कर रहे हैं। संघ इतने काम करता है और उन कामों को देखकर लोग संघ को समझने का प्रयास करते हैं।  कभी-कभी पत्रकार कहते हैं कि संघ रिमोट कंट्रोल है। संघ किसी का रिमोट कंट्रोल नहीं, हम तो अपने स्वयंसेवकों पर भी कंट्रोल नहीं करते। हम अच्छा काम करते हैं तो लोग साथ आते हैं और देश की सेवा में कार्य करते हैं। हम भी कहते हैं कि निर्भय बनो शक्तिशाली बनो। ये बातें सर संघ चालक मोहन भागवत ने एमआइटी में मकर संक्रांति उत्सव में कहीं। 

कार्यक्रम स्थल पर ध्वज प्रणाम के बाद उन्होंने साढ़े छह हजार से अधिक स्वयंसेवकों को संबोधित किया। संघ के कार्यों पर विस्तार पर प्रकाश डाला, मजबूत भारत की बात कही। कहा कि रूस कभी महाशक्ति था, अमेरिका लगभग महाशक्ति है, चीन भी महाशक्ति बनने की ओर है। हमें भी महाशक्ति बनना चाहिए। कमजोर को कोई नहीं पूछता, इसलिए देश को शक्तिशाली बनाने के लिए कार्य करें। हमें भारत को फिर से विश्व गुुरु बनाना है। चार दिवसीय प्रांतीय कार्यकारिणी के अंतिम दिन मकर संक्रांति उत्सव के बाद कार्यक्रम स्थल पर पालकों की बैठक में संघ की शाखाओं में लोगों को जोडऩे का मंत्र दिया। इसके बाद संघ प्रमुख ने गांधी नगर स्थित संघ के कार्यालय का लोकार्पण किया। कार्यालय को बनाने वाले मानचित्रकार से लेकर मजदूरों को सम्मानित किया। 

भारत को विश्व गुरु बनाने का सपना देख रहा संघ

संक्रांति उत्सव में संघ प्रमुख ने कहा कि भारत में दुनिया अपार संभावनाएं देख रही है और हम भारत को विश्व गुरु बनाने का सपना। भारत को विश्व गुरु बनाने के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहे हैं। दस दिशाओं में जाकर स्वयंसेवक समाज में फैली छुआछूत, ऊंच-नीच के भेदभाव को मिटाने में जुटे हुए हैं। हमारी संस्कृति एक है। किसी भी प्रांत की कोई भाषा, कोई संस्कृति हो लेकिन, धर्म एक ही है वह है ङ्क्षहदू।

अपनी संस्कृति के कारण दुनिया में भारत की अलग पहचान 

संघ प्रमुख ने कहा कि संघ में जातिवाद और छुआछूत को नहीं माना जाता, सभी समान हैं। हमारा धर्म शाश्वत है। कहा कि भारत एक संस्कृति वाला देश है और उस संस्कृति को मानने वाला हर व्यक्ति भारतीय है। एक सौ तीस करोड़ की जनता पर इसी संस्कृति का प्रभाव है। इसीलिए दुनिया कहती है कि यह भारतीय संस्कृति है। इसी संस्कृति के कारण ही दुनिया में भारत की अलग पहचान बनी है। 

समाज को ऊपर उठाने वाले विचार का आचरण ही हिंदू धर्म

द निया में कोई ऐसी जगह नहीं है जहां सभी मिल-जुलकर रहते हैं। आगे बढ़ो मिलजुलकर चलो, समाज को ऊपर उठाने वाले विचार का आचरण ही हिंदू धर्म है। हमारे प्रांत अलग हैं, भाषा अलग है लेकिन, संस्कृति एक है। हमारा आध्यात्म ही हमारी पहचान है, जो बताता है कि हमारे रहने का तरीका अलग हो लेकिन, हम सभी एक हैं। हमें अलगता के भ्रम को दूर करना है। 

दृढ़ संकल्प की जरूरत

सर संघचालक ने कहा कि देश को परम वैभव तक पहुंचाने के लिए हम सभी के मन में दृढ़ संकल्प होना चाहिए। इसके लिए हमें स्वतंत्रता के साथ समझौता नहीं करना है। हमें अपने देश की सर्वांगीण उन्नति करनी है। इजराइल का उदाहरण देते बताया  कि वहां के लोगों को स्वतंत्रता से पहले प्रस्ताव दिया गया कि वह अफ्रीका में कहीं भी चार गुना जगह ले लें और इजराइल छोड़ दें लेकिन, इजराइल के लोगों ने प्रस्ताव को ठुकरा दिया। इजरायल के लोगों ने कहा कि हमारी मिट्टी, हमारी संस्कृति इसी देश में बसी है, इसीलिए हम इसे नहीं छोड़ सकते है।संघ क्या कहता है क्या बोलता है संघ के स्वयंसेवक क्या-क्या करते हैं इसकी समीक्षा करने से पहले इसको अनुभव से समझना पड़ेगा तभी संघ के बारे मेंं जाना जा सकता है। 

हिंदू से हो व्यक्ति की पहचान 

 सर संघचालक ने कहा किसी भी व्यक्ति की पहचान उसकी जाति से नहीं बल्कि हिंदू से होनी चाहिए। इसकी शुरुआत हमे अपने घर और कार्यक्षेत्र से करनी होगी। घर में काम करने वाली बाई हो या ड्राइवर, सफाई कर्मचारी या कपड़े धोने वाला। उसे सहजता से हिन्दुत्व की विचारधारा से जोड़ें। मलिन बस्तियों में जाकर उनका दर्द समझें और घुल-मिल जाएं। उनके साथ भोजन करें। उन्हें हिंदू होने पर गर्व करवाएं। 

अगर कोई भूखा सोया तो भूखों का देश कहलाएगा भारत 

सर संघचालक ने कहा कि देश में हजारों अरबपति लोग है लेकिन, यदि देश का एक व्यक्ति भी भूखा सोता है तो भूखों का देश कहलाएगा। हमें सजगता दिखानी होगी कि कोई भी व्यक्ति भूखा नहीं सोए।

बच्चों में राष्ट्रप्रेम की भावना जागृत करें स्वयंसेवक

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक डॉ. मोहन भागवत ने वार्षिकी प्रवास के अंतिम दिन अभिभावकों को संबोधित किया। मेरठ, ब्रज प्रांत के साथ ही उत्तराखंड से आए अभिभावकों को भारतीय संस्कृति, सभ्यता का प्रचार-प्रसार करने के लिए कहा गया। संघ प्रमुख ने अभिभावकों से कहा कि देश को मजबूत बनाने के लिए बच्चों के अंदर राष्ट्रप्रेम की भावना को जागृत करना जरूरी है। संघ के उदेश्य तभी पूरा होगा जब बच्चों के अंदर भारतीय संस्कृति और सभ्यता का प्रवेश होगा। किशोर और युवा पीढ़ी को सही दिशा बताने की जिम्मेदारी स्वयंसेवकों की है। संघ प्रमुख के संबोधन सुनकर बाहर निकले अभिभावकों ने कहा कि संघ प्रमुख के संदेश को घर-घर पहुंचाने का संकल्प सभी अभिभावकों ने लिया है।  

संघ प्रमुख से मिले होमगार्ड मंत्री

सूबे के युवा कल्याण एवं होमगार्ड मंत्री चेतन चौहान ने सर संघचालक डॉ.मोहन भागवत से मुलाकात करने के लिए एमआइटी परिसर में पहुंचे। दोपहर करीब 11 बजे उन्होंने संघ प्रमुख से बीस मिनट की मुलाकात की। मुलाकात के बाद होमगार्ड मंत्री ने बताया कि वह संघ की शाखा क्रीड़ा भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष है। यह शाखा ग्रामीण खेल और खिलाडिय़ों को आगे बढ़ाने के लिए काम करती है। संघ प्रमुख ने मुलाकात के दौरान ग्रामीण खेलों और शाखा के कार्यों के बारे में जानकारी मांगी। होमगार्ड मंत्री ने बताया कि संघ प्रमुख के निर्देशानुसार क्रीड़ा भारती से जुड़े सभी खिलाडिय़ों को बेहतर प्रशिक्षण देने के साथ ही संघ के सेवा कार्यों से अवगत कराने का निर्देश दिया है।

पंचायतीराज मंत्री ने की भेंट

संघ प्रमुख से भेंट करने के लिए सूबे के पंचायतीराज मंत्री चौधरी भूपेन्द्र सिंह पहुंचे। पंचायतराज मंत्री ने संघ प्रमुख को अभिवादन करते हुए भेंट की।

समाजसेवा की कार्यों की तारीफ

एमआइटी परिसर में मकर संक्राति उत्सव को संबोधित करते हुए समाजसेवा के कार्यों की तारीफ की। उन्होंने कहा कि संघ के पदाधिकारी समाजसेवा करने के बाद प्रसिद्धि पाने के लिए भी नहीं रुकते। केवल अपना काम करके चले जाते हैं। उनका काम केवल सेवा करने होता है। संघ प्रमुख के इस वक्तव्य की चर्चा भी शहर में खूब रही। सूत्रों के अनुसार शहर के इस समाजसेवी से बंद कमरे में मुलाकात करके उनके कार्यों की सराहना भी की।दुर्बल की कोई नहीं सुनता इसलिए हमें शक्तिशाली बनाना होगा

संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा, दुर्बलों को दुनिया नहीं मानती। स्वामी विवेकानंद कहते थे कि निर्भय बनो, शक्तिशाली बनो तभी दुनिया तुम्हारी कद्र करेगी। दुर्बल को कभी कोई सहारा नहीं देता। पहले रूस महाशक्ति था, अब अमेरिका भी महाशक्ति है और चीन भी महाशक्ति बनने की कोशिश में है। हमें भी शक्तिशाली बनना होगा। स्वयंसेवक बनने के लिए आदत डालनी होगी, साधना करनी होगी। संघ 130 करोड़ लोगों में ऐसा वातावरण बनाना चाहते हैं जो राष्ट्र के प्रति समर्पित हों। अलगता के भ्रम को दूर करना होगा तभी जाकर राष्ट्र परम वैभव का पा सकेगा। 

तेरा वैभव अमर रहे मां, हम दिन-चार रहे ना रहें

भागवत बोले, संघ प्रसिद्धि पाने के लिए नहीं कार्य नहीं करता है। राष्ट्र को परम वैभव तक पहुंचाने के लिए संघ संकल्पित है। तेरा वैभव अमर रहे मां, हम दिन-चार रहें ना रहें। चंदन वन जैसा अपने देश को परम वैभव दिलाना है। संघ ऐसे लोगों को खड़़ा करना चाहता है जिनमें किसी भी परिस्थिति में रहने की आदत हो। 

स्वतंत्रता से समझौता नहीं 

सर संघचालक ने कहा महाराणा प्रताप अगर उन्नति की बात सोचते तो अकबर के दरबार में जगह पाते लेकिन, उन्होंने ऐसा नहीं किया। महाराणा प्रताप का कहना था कि हमें वैभव चाहिए लेकिन, स्वतंत्रता से समझौता करके नहीं। इसलिए उन्हें घास की रोटियां खानी पड़ीं। स्वतंत्रता से समझौता करने वाला परम वैभव हमें नहीं चाहिए। 

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