Holi 2021 : आज शाम को छह बजकर 35 मिनट से प्रदोष काल में करें हाेलिका दहन, पढ़े होलिका दहन की पूजन विधि
होली का त्योहार भी बुराई पर अच्छाई की जीत के तौर पर मनाया जाता है। हाेलिका दहन के जरिए बुराईयों का अंत के संदेश की परंपरा है। रविवार की रात को होलिका दहन होगा। शाम को प्रदोष काल में होली जलाई जाएगी। 29 मार्च को रंगों से होली खेली जाएगी।
मुरादाबाद, जेएनएन। होली का त्योहार भी बुराई पर अच्छाई की जीत के तौर पर मनाया जाता है। हाेलिका दहन के जरिए बुराईयों का अंत के संदेश की परंपरा है। रविवार की रात को होलिका दहन होगा। शाम के समय प्रदोष काल में होली जलाई जाएगी। इसके बाद अगले दिन 29 मार्च को रंगों के साथ होली खेली जाएगी।
शहर के परंपरागत स्थानों के साथ घरों में होली रखी जाती है। पंडित ऋषिकेश शुक्ला ने बताया कि होलिका दहन जिस स्थान पर करना है उसे गंगाजल से पहले शुद्ध कर लें। उसके बाद वहां सूखे उपले, सूखी लकड़ी, सूखी घास आदि रखें। इसके बाद पूर्व दिशा की तरफ मुख करके बैठें। आप चाहें तो गाय के गोबर से होलिका और प्रहलाद की प्रतिमाएं भी बना सकते हैं। इसके साथ ही भगवान नरसिंह की पूजा करें। पूजा के समय एक लोटा जल, माला, चावल, रोली, गंध, मूंग, सात प्रकार के अनाज, फूल, कच्चा सूत, गुड़, साबुत हल्दी, बताशे, गुलाल, होली पर बनने वाले पकवान व नारियल रखें। साथ में नई फसलें खासकर जौ की बालियां भी रखी जाती हैं। कच्चे सूत को होलिका के चारों तरफ तीन या सात परिक्रमा करते हुए लपेटें। उसके बाद सभी सामग्री होलिका दहन की अग्नि में अर्पित करें। ये मंत्र पढ़ें- अहकूटा भयत्रस्तैः कृता त्वं होलि बालिशैः। अतस्वां पूजयिष्यामि भूति-भूति प्रदायिनीम्। और पूजन के पश्च्यात अर्घ्य अवश्य दें।
होलिका दहन के शुभ मुहूर्त
होलिका दहन शुभ मुहूर्त में किया जाता है। भद्रा के समय में होलिका दहन नहीं किया जाता है। इस बार दोपहर 1:10 बजे तक भद्रा समाप्त हो जाएगा। जिस कारण आप प्रदोष काल शाम के समय में 6 बजकर 35 मिनट से 8 बजकर 55 मिनट के बीच होलिका दहन कर सकते हैं। वहीं होलिका दहन के दिन शुभ योग में से सर्वोत्तम योग सर्वार्थ सिद्धी योग भी लगा हुआ है।