अमरोहा में निर्मित दीया करेंगे दीपावली पर घरों को रोशन
देश के लोग दीपावली पर स्वदेशी दीयों से अपने घरों को रोशन करेंगे। हसनपुर में रहरा सम्भल बाईपास पर कुम्हार जाति के लोग अपने पूर्वजों के जमाने से मिट्टी के बर्तन बनाते हैं। इस बार दीपावली पर दीयों की बिक्री अधिक होने की संभावना है।
अमरोहा, जेएनएन। भारत एवं चीन के बीच रिश्तों में चल रही कड़वाहट को देखते हुए देश के लोग चाइनीज बल्बों की झालर दीपावली के मौके पर अपने घरों पर डालने से बचने का संकल्प ले रहे हैं। भारतीय किसान संगठन समेत विभिन्न संगठन चाइनीज उत्पादों का बहिष्कार करने हेतु शपथ ले चुके हैं। ऐसे हालात में देश के लोग दीपावली पर स्वदेशी दीयों से अपने घरों को रोशन करेंगे। हसनपुर में रहरा सम्भल बाईपास पर कुम्हार जाति के लोग अपने पूर्वजों के जमाने से मिट्टी के बर्तन बनाते हैं। इस बार दीपावली पर दीयों की बिक्री अधिक होने की संभावना के चलते करवा, कुलिया तथा दीया बनाने में जुटे हैं।
दूर-दूर तक जाते हैं हसनपुर के दीया
हसनपुर में बाईपास पर मिट्टी के बर्तन बनाने वाली महिला हसीन जहां ने बताया कि हसनपुर में निर्मित दीया रहरा, ढवारसी, आदमपुर, सैदनगली, अमरोहा, जोया, धनौरा तथा गढ़मुक्तेश्वर तक जाते हैं। करवा 700 रुपये के 100, कुलिया 200 रुपये की 100, दीया 40 रुपये के 100 के हिसाब से आसानी से बिक जाते हैं। परिवार के कुछ लोग जहां दूसरे शहर में कस्बों में जाकर बर्तन बेचकर आते हैं वहीं कुछ दुकानदार उनके घरों से भी खरीद कर ले जाते हैं।
कुम्हारी कला के लिए दिलाई जाए भूमि
हसनपुर समेत क्षेत्र के विभिन्न गांवों में लोग सदियों से कुम्हारी कला का कार्य करके अपने परिवारों के लिए दो जून की रोटी का इंतजाम करते हैं। लेकिन सरकार की ओर से कुम्हारी कला के लिए भूमि उपलब्ध न होने के चलते मिट्टी के बर्तन बनाने के लिए कुम्हार जाति के लोगों को दूसरे क्षेत्रों से मिट्टी लेकर आनी पड़ती है। बाहर से मिट्टी लाना महंगा पडऩे से मिट्टी के बर्तनों में आमदनी घट जाती है कुम्हारी कला करने वाले लोगों को सरकार से कुमारी कला हेतु भूमि के पट्टे दिलाने की दरकार है।