जिला पंचायत अध्यक्ष डा. शैफाली सिंह ने बताया क्या है महिला सशक्तीकरण, आप भी जानें असल सशक्तीकरण

What is women empowerment जिला पंचायत अध्यक्ष डा. शैफाली सिंह ने कहा कि महिलाओं को सशक्तीरण की सही परिभाषा समझने की जरूरत है। महिलाओं के तमाम व्यक्तिगत मसले होते हैं। पर्दा हटने का मतलब सशक्तीकरण नहीं है। सशक्त होने के साथ महिलाओं को कुछ जिम्मेदारी भी निभानी होती हैं।

By Samanvay PandeyEdited By: Publish:Wed, 08 Dec 2021 03:31 PM (IST) Updated:Wed, 08 Dec 2021 03:31 PM (IST)
जिला पंचायत अध्यक्ष डा. शैफाली सिंह ने बताया क्या है महिला सशक्तीकरण, आप भी जानें असल सशक्तीकरण
जागरण विमर्श में मंचासीन जिला पंचायत अध्यक्ष डा. शैफाली सिंह, मनोविशेषज्ञ डा. मीनू मेहरोत्रा एवं निर्यातक आकांक्षा गर्ग।

मुरादाबाद, जेएनएन। What is women empowerment : जिला पंचायत अध्यक्ष डा. शैफाली सिंह ने कहा कि महिलाओं को सशक्तीरण की सही परिभाषा समझने की जरूरत है। महिलाओं के तमाम व्यक्तिगत मसले होते हैं। पर्दा हटने का मतलब सशक्तीकरण नहीं है। सशक्त होने के साथ महिलाओं को कुछ जिम्मेदारी भी निभानी होती हैं। महिला का पारिवारिक, सामाजिक, व्यवसायिक और पर्सनल जीवन में तालमेल बैठाना ही सही मायने में सशक्तीरण (women empowerment) है। दैनिक जागरण  के विमर्श कार्यक्रम के तीसरे सत्र मेंं आए सवालों के जवाब देते हुए मुख्य अतिथि जिला पंचायत अध्यक्ष डा. शैफाली सिंह ने ये बातें कहीं। 

बुधवार को मिड टाउन क्लब के सभागार में दोपहर करीब साढ़े बारह बजे तीसरे सत्र का शुभारंभ हुआ। इस दौरान सबसे पहले 18 साल से कम उम्र की बालिकाओं की शादी करने को लेकर सवाल किया गया। मनोवैज्ञानिक एवं एबीवीपी की प्रदेश उपाध्यक्ष मीनू महरोत्रा ने कहा कि यह सब शिक्षा और जागरुकता की कमी का नतीजा है। ऐसे क्षेत्रों को चिह्न्ति करके वहां शिक्षा और जागरुकता की जरूरत है। विद्यालयों में भी जागरुकता करनी होगी। मैं कस्तूरबा गांधी से लेकर अन्य विद्यालयों में जाती हूं। ग्रामीण क्षेत्रों से सभी क्षेत्रों में लड़कियां आगे आ रही हैं। उनका उदाहरण देकर लड़कियों और उनके परिवार को जागरुक करना चाहिए।

जिला पंचायत अध्यक्ष डा. शैफाली सिंह ने इस सवाल के जवाब में कहा है कि कम उम्र में बेटियों की शादी करने के पीछे दो दृष्टिकोण होते हैं। इसके पीछे एक कारण यह भी है कि बालिकाओं को मां-बाप को अकेला छोड़ना मुश्किल है। दिल्ली में स्लम एरिया में हमने काम किया। वहां यह समस्या हमारे सामने आई थी। माता-पिता का कहना था कि हम काम के लिए घर से बाहर जाते हैं। ऐसे में जवान हो रही बेटियों को किसके भरोसे घर पर अकेला छोड़ें। इसलिए इस पर भी विचार करना चाहिए। हमें सामाजिक रूप से बालिकाओं के साथ उनके माता-पिता को भी यह भरोसा दिलाना है कि उनके बच्चे सुरक्षित हैं।

पिछले कुछ सालों में लिंगानुपात बेहतर होने के सवाल पर जिला पंचायत अध्यक्ष ने कहा कि इसके पीछे डाक्टरों का भी योगदान है। हमारी महिला डाक्टर गर्भपात नहीं कर रही हैं। कन्या भ्रूण हत्या में भी कमी आई है। सुमंगला और कन्या विवाह सामूहिक योजनाओं के लिए भी बिना दहेज की शादियां, एंटी रोमियो स्क्वायड से बेटियों को पढ़ने का माहौल मिल रहा है। निर्यातक आकांक्षा गर्ग ने कहा कि किसी भी महिला की सफलता के के लिए उसकी परिवारिक पृष्ठभूमि और परिवार का सहयोग बहुत जरूरी है। निर्यात छोटे से कमरे में किया जा सकता है। लेकिन, परिवार का सहयोग होना चाहिए।

मीनू महरोत्रा ने एक सवाल के जवाब में कहा कि शक्ति का अर्थ संतुलन से होता है। महिला सशक्त है और असंतुलित तो बात बिगड़ती है। अब महिलाएं कहीं कमजोर नहीं है। जब तक महिलाएं यह नहीं समझेंगी कि वह देह से ऊपर हैं, तब तक सशक्त नहीं हो सकती हैं। महिलाओं को अपनी जिम्मेदारी के बाद अपना हक मांग रही है कि वह सशक्त है। सशक्त महिलाओं को दूसरी महिला को इसके लिए प्रयास करने होंगे। बालिका इंटर कालेज, अगवानपुर की प्रधानाचार्य सुनीता रानी ने अपनी बात रखी। जिला पंचायत अध्यक्ष ने कहा कि महिला हमेशा से सशक्त रही है।

आज भी बिना महिला के यज्ञ पूरा नहीं हो सकता है। महिलाएं पर्दे से बाहर आ चुकी हैं। पारिवारिक रूप से भी महिलाओं की जिम्मेदारी बढ़ती जा रही है। राजनीतिक रूप से महिलाओं की जिम्मेदारी नहीं है। मुरादाबाद में महिलाओं की भागेदारी करने की बात की जाए तो हमारी जिला पंचायत में ही 39 में 21 महिलाएं हैं। पूर्व सांसद जयप्रदा पर भी टिप्पणी पुरुषों की गलत सोच का नतीजा है। इसलिए अब पुरुषों के वौद्धिक सशक्तीकरण की बारी है। उन्होंने प्राथमिक विद्यालय बेटियों के लिए शौचालयों की व्यवस्था कराने के लिए भरोसा दिलाया। संचालन जागरण परिवार के वरिष्ठ संवाददाता रितेश द्विवेदी ने किया। इस दौरान समाज के गणमान्य लोगों को सम्मानित किया गया।

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