स्वच्छता सर्वेक्षण 2021 में 42 पायदान की छलांग के बावजूद टाप-100 में नहीं आ सका मुरादाबाद, जानिये वजह

Moradabad Cleanliness survey 2021 स्वच्छता सर्वेक्षण 2021 में 42 पायदान की छलांग लगाकर मुरादाबाद देश के 372 शहरों में 108 व प्रदेश के 13 शहरों में आठवें से छठे स्थान पर आ गया। रैंकिंग सुधरने में सबसे बड़ी उपलब्धि पांच साल से बंद पड़े सालिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट है।

By Samanvay PandeyEdited By: Publish:Mon, 22 Nov 2021 07:58 AM (IST) Updated:Mon, 22 Nov 2021 07:58 AM (IST)
स्वच्छता सर्वेक्षण 2021 में 42 पायदान की छलांग के बावजूद टाप-100 में नहीं आ सका मुरादाबाद, जानिये वजह
स्वच्छ सर्वेक्षण में 42 पायदान की छलांग लगाकर 372 शहरों में 108वें स्थान से ही करना पड़ा संतोष

मुरादाबाद, जेएनएन। Moradabad Cleanliness survey 2021 : स्वच्छता सर्वेक्षण 2021 में 42 पायदान की छलांग लगाकर मुरादाबाद देश के 372 शहरों में 108 व प्रदेश के 13 शहरों में आठवें से छठे स्थान पर आ गया। रैंकिंग सुधरने में सबसे बड़ी उपलब्धि पांच साल से बंद पड़े सालिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट है। जिसमें से निकलने वाले प्रतिदिन 400 टन कूड़े का निस्तारण करके खाद बनना शुरू हो गया। लेकिन, अभी उस शिखर तक नहीं पहुंच पाए हैं, जिसकी उम्मीद थी। स्वच्छ सर्वेक्षण की रैंकिंग के लिए तीन स्टार की दावेदारी थी, जिसमें हम पिछड़ गए।

इसमें गार्बेज फ्री सिटी (कचरा मुक्त शहर) में बेहतर नहीं करने का मलाल अब अफसरों को हो रहा है। वह खुद स्वीकार करते हैं कि 1200 अंकों में अच्छे अंक ला सकते थे। जनता को घर में कूड़ा निस्तारण को लेकर रैलियां निकाली, स्कूलों में गोष्ठी व पब्लिक एड्रेस सिस्टम से एनाउंस कराने के बाद घरों में ही गीला व सूखा कूड़े का निस्तारण नहीं करवा पाए। गार्बेज फ्री सिटी के लिए मानकों पर मेहनत की। लेकिन, यह सोचने का विषय है कि सब चीजें समझने और वर्कशाप करने, शहर के 70 वार्डों में घरों से कूड़ा उठाने को चार एजेंसियों से करार करने के बाद भी इंदौर जैसा क्यों नहीं कर पाए।

शहर में 1.48 लाख घर, 70 हजार घरों से कूड़ा उठानः शहर में 70 वार्ड हैं। इनमें 1.48 लाख घर हैं और कूड़ा 70 हजार घरों से ही उठ रहा है। मेटेरियल रिकवरी फैसेलिटी (एमआरएफ) शहर में 14 बनाए गए हैं। इनमें सिर्फ सूखा कूड़ा ही घरों से आने का नियम है और गीला कूड़ा सीधे घर से सालिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट तक जाएगा। इस कूड़े से घर का ऐसा कबाड़ जो रिसाइकिल हो सकता है, उसे बीनकर व्यावसाइयों को बेचकर आय की जा सकती है। इसको लेकर नगर निगम ने कूड़ा बीनने वालों के साथ वर्कशाप की, उनको आइ कार्ड व ड्रेस देने को काम भी हुआ। लेकिन, इस व्यवस्था से नगर निगम कूड़ा बीनने वालों को नहीं जोड़ पा रहा है।

इंदौर ने जो किया वहां हम ऐसे चूकेः इंदौर पांच बार स्वच्छता के क्षेत्र में सिरमौर बना है तो उसने शहर को कचरा मुक्त कराने के मानकों का पूरी तरह पालन किया। हम मानकों के पालन की राह पर चले जरूर लेकिन, लड़खड़ा गए। व्यवस्थाओं में खामियों ने हमें अंडर-100 में आने से रोका। दावा तो तीन स्टार पाने और देश में 50वें स्थान तक आने का था। लेकिन, गुप्त रूप से किए गए केंद्रीय टीम द्वारा सर्वे के रिपोर्ट कार्ड को झुठला नहीं सकते।

इंदौर की कामयाबी और हमारी नाकामी

- घर-घर कूड़ा कलेक्शन सौ फीसद हमारे यहां 50 फीसद

- घरों में ही गीला व सूखा कूड़ा अलग करना हमारे यहां नहीं

- मानक के अनुसार 15 घरों कूड़े से खाद बनाना हमारे यहां नहीं

- पूरी तरह निगम की अधिकृत कंपनियां उठाती हैं कूड़ा चार एजेंसी, इन पर निजी सफाई कर्मियों की कमी

- गीला व सूखा कूड़ा कनेक्शन की सफाई कर्मी का जिम्मा हमारे यहां सफाई कर्मचारियों में कोई जागरूकता नहीं

- पार्षद व जिम्मेदार नागरिकों का भी सहयोग स्वच्छता के मानको में पार्षदों में जागरूकता की कमी

- शहर से निकलने वाला सौ फीसद कूड़ा निस्तारित 400 टन में प्रतिदिन 150 टन का निस्तारित कर खाद बनाना

- स्वच्छता के नए सिस्टम को नागरिकों ने समझा जनता में इंदौर जैसे सिस्टम को समझने में जागरूकता नहीं

- बड़े कूड़ेदान हटाकर हैंगिंग कूड़ेदान में सफलता कुछ स्थानों पर लगे और बहुत से क्षेत्र में नहीं लगाए

स्वच्छ सर्वेक्षण में अपने शहर में हुए काम

- पांच साल से बंद सालिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट को चालू करना

- कूड़े से खाद बनाकर प्लांट को आर्थिक निर्भर बनाना शुरू

- कूड़ा कलेक्शन के लिए चार एजेंसियों से करार

- शहर में 14 एमआरएफ सेंटर बनाए

-शहर को ओडीएफ डबल प्लस का तमगा

हम घरों में गीला व सूखा कूड़ा अलग-अलग करके निस्तारित नहीं करा पाए : अपर नगर आयुक्त अनिल कुमार सिंह से तीन सवाल किए गए। पहला सवाल हम 42वें पायदान रैंकिंग में सुधार के बाद भी अवार्ड नहीं ले पाए, क्यों। वह बोले कि हमने इस इस दिशा में काम किया लेकिन, जनसहभागिता बढ़ाने में चूक हुई। घरों से गीला व सूखा कूड़ा अलग-अलग करवाने से चूके। नगर निगम के सफाई कर्मचारी व एजेंसियों ने क्या जिम्मेदारी निभाई। इस पर बोले कि एजेंसियां अभी सौ फीसद घरों तक कूड़ा कलेक्शन नहीं कर पाईं। कुछ लोग एजेंसी के कर्मचारी को कूड़ा नहीं देना चाहते। इसमें जनसहभागिता बढ़ाना जरूरी है। तीसरा सवाल कि जितना कूड़ा निकल रहा है, वह प्लांट में पूरा निस्तारित होता है या नहीं। इस पर बाेले कि हम कूड़ा निस्तारण को करीब 200 टन कूड़े की क्षमता का सालिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट चालू कर पाए हैं। कोशिश होगी कि प्रतिदिन निकलने वाले 400 टन कूड़े का निस्तारण उसी दिन हो।

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