काढ़ा और पौष्टिक आहार बना चतीपुर के ग्रामीणों का सुरक्षा कवच

विपुल जैन कुंदरकी (मुरादाबाद) कुंदरकी के गांव चतीपुर के लोगों ने बुजुर्गों की प्रेरणा

By JagranEdited By: Publish:Tue, 18 May 2021 05:10 AM (IST) Updated:Tue, 18 May 2021 05:10 AM (IST)
काढ़ा और पौष्टिक आहार बना चतीपुर के ग्रामीणों का सुरक्षा कवच
काढ़ा और पौष्टिक आहार बना चतीपुर के ग्रामीणों का सुरक्षा कवच

विपुल जैन, कुंदरकी (मुरादाबाद) : कुंदरकी के गांव चतीपुर के लोगों ने बुजुर्गों की प्रेरणा और प्रकृति को ही अपना रक्षा कवच बनाकर कोरोना को अभी तक अपने गांवों प्रवेश नहीं करने दिया है।

कोरोना की दूसरी लहर ने देहात को भी अपनी चपेट में ले लिया। सरकार द्वारा कोरोना से जंग जीतने के लिए जारी की गई नई गाइडलाइन सार्वजनिक हुई तो ग्रामीणों ने सावधानी और सकारात्मक बुद्धिमता से नियमों को जीवनशैली में शामिल किया। गांव चतीपुर की आबादी लगभग 1800 है। विषम परिस्थितियों में ग्रामीण राजस्थान, दिल्ली व पंजाब जैसे संक्रमित प्रांतों से प्रवासी मजदूर गांव आ गए। निगरानी समिति व जागरूक ग्रामीण की टोली ने संक्रमण प्रभावित प्रांतों से आने वाले 125 से अधिक नागरिकों को सीएचसी कुंदरकी भेजकर कोरोना जांच कराई। इतना ही नहीं नागरिकों के लिए सरकारी स्कूल में बंदोबस्त कर क्वारंटइन किया। जबकि, कुछ ग्रामीण को होम आइसोलेट किया गया। ग्रामीणों ने माडल बनाकर उस पर अमल कर संक्रमण का एक भी केस नहीं आने दिया। बच्चे, नौजवान, उम्रदराज सभी ने प्राकृतिक संसाधनों का जीवन में इस्तेमाल करने की कवायद जारी रखी है। वहीं शारीरिक दूरी का पालन, मास्क का उपयोग, गर्म पानी, सुबह में नमक के गुनगुने पानी से गरारे करना, दिन में एक मर्तबा काढ़ा बनाकर परिवार के साथ पीना, इम्युनिटी पावर बरकरार रखने के संतुलित आहार लेना, एक-दूसरे की मदद जैसे सकारात्मक तरीकों को अपनाकर अब तक एक भी ग्रामीण महामारी कोरोना की चपेट में आने से दूर है। खेतों में भी दो गज दूरी

कोरोना काल में साफ-सफाई ग्रामीणों के लिए अहम हो गई। कम परिधि वाले क्षेत्र में पूर्व में गांव में जलभराव समस्या रहती थी। ग्रामीणों ने आबादी वाले परिधि क्षेत्र में खुद सफाई का जिम्मा उठाया। सफाई के साथ गलियों में फागिग स्वयं ही करते हैं। इसके अलावा कोरोना के प्रभाव से बचने के लिए खेतों में मैंथा की नराई और अन्य फसलों की बुबाई और गुड़ाई, आम के बाग में छिड़काव, ईंट भट्ठों पर गांव के श्रमिक व कृषक शारीरिक श्रम कर पसीना बहाते हैं। इस दरम्यान शारीरिक दूरी का पालन होता है। ग्रामीण खेतों में भी मास्क लगाकर जाते हैं। गांव के बुजुर्गों ने कोरोना से लोगों को बचाने के लिए बड़ी भूमिका निभाई है। बुजुर्ग लगातार अपने परिजनों व ग्रामीणों को समझाते हैं। फोटो-

स्वच्छता का ख्याल रखते हुए परिजनों को संतुलित आहार व नियमित गुनगुना पानी व गिलोय का इस्तेमाल कराती हूं जो रोगों से बचाव में कारगर है।

-जरीना बेगम फोटो:

किसान खेतों पर श्रमकर पसीना बहाते हैं। कोरोना संक्रमण से वचाव के लिए मास्क, हाथ स्वच्छ व शारीरिक दूरी का पालन करने के लिए नियमित जागरूक करते हैं।

-नदीम खान

फोटो::

कोरोना गाइडलाइन का पालन गांव में सावधानी से करवाया। ईद के पर्व पर सभी ने नमाज घरों में अदा की। जंगलों में निर्मित प्राकृतिक तत्वों का अमल सभी को बताया।

शहजाद खां फोटो::

कोरोना काल मे परिवार के साथ खेतों पर काम करने के साथ खानपान अच्छा रखते हैं। इम्युनिटी बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करने के साथ सगे- संबंधियों को प्रेरित करती हूं

- शकीना जहां फोटो--

ग्रामीण क्षेत्र में डोर-टू-डोर प्रतिदिन कोरोना का टेस्ट हो रहा है। अब तक 100 से अधिक कोरोना रोगी ठीक हो चुके हैं। ब्लाक कुंदरकी में कई ऐसे गांव हैं जहां एक भी संक्रमित व्यक्ति नही है।

-डॉ. आरवी सिंह कुंदरकी।

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