Dainik Jagran Sanskarshala : स्नेह, सदभाव, समानता का भाव ही हमें प्रदान करता है कार्य में सफलता
Dainik Jagran Sanskarshala इंटर कालेज की प्रधानाचार्या सीमा वर्मा ने बताया कि स्वाधीनता शब्द बहुत सारगर्भित है। इसकी गंभीरता को समझने के लिए हमें अपने कर्तव्य व आदर्श को दृढ़ता से पालन करना चाहिए। आज हम स्वाधीन हैं स्वतंत्र देश के निवासी हैं।
मुरादाबाद, जेएनएन। Dainik Jagran Sanskarshala : इंटर कालेज की प्रधानाचार्या सीमा वर्मा ने बताया कि स्वाधीनता शब्द बहुत सारगर्भित है। इसकी गंभीरता को समझने के लिए हमें अपने कर्तव्य व आदर्श को दृढ़ता से पालन करना चाहिए। आज हम स्वाधीन हैं, स्वतंत्र देश के निवासी हैं। क्योंकि हमारे शहीदों का बलिदान इस देश की मिट़्टी में समाहित हैं। उन महान वीर शहीदों को कोटि कोटि नमन है। जिन्होंने अपना बलिदान देकर एक कीर्तिमान स्थापित किया है।राष्ट्रपिता महात्मा गांधी हमारे प्रिय बापू आज भी अपने आदर्शों के कारण पूजनीय हैं। स्वाधीनता संग्राम की सफलता की मुख्य कुंजी आदर्शों का पालन है। महात्मा गांधी के जीवन के लिए मुख्य आदर्श-अहिंसा परमो धर्म: अहिंसा के मार्ग का अनुकरण गांधी जी ने हमारे भारत वर्ष को स्वतंत्र भारत स्थापित किया।
अपने जीवन में अपने आदर्शों पर चलकर सफलता प्राप्त करना ही समान बनाता है। सत्यमेव जयते का आदर्श उनके जीवन का प्रमुख अंग रहा। बुरा मत बोलों, बुरा मत सुनाे, बुरा मत देखो के सिद्धांत ने उन्हें महात्मा बना दिया। अपने पवित्र जीवन में सिद्धांतों अर्थात आदर्शों का पालन करते-करते गांधी जी ने स्वतंत्रता संग्राम में सफलता दिलाकर विजय प्राप्त कराई।स्नेह, सदभाव, समानता का भाव ही हमें कार्य में सफलता प्रदान करत है। गांधी जी के आदर्शों में स्वदेश के प्रति समर्पण हमारे लिए आज भी और आने वाले समय में भी एक अनुकरणीय, दृढ आदर्श पालनकर्ता का उदाहरण है और रहेगा।
उनके इस स्वदेश भाव ने देश में लघु उद्योग, खादी उत्पादन, सूती वस्त्र के उत्पादन के लिए चरखा उद्योग की नींव रखकर रोजगार के अवसर दिए। जीवन में आदर्शों का पालन करते हुए देश को दृढ़ता प्रदान करना महान कार्य है। बाह्यय शत्रु पर विजय के लिए आंतरिक वैमनस्य की भावना को मिटाकर ही आजादी संभव है। इसी भाव को अपना आदर्श बनाकर हमने ब्रिटिश शासन से मुक्ति पाई है। भारत भूमि का आंचल कितना पवित्र और महान है, यह किसी से छिपा नहीं है। यह पवित पावित्री मां भारत को अनादिकाल से अपने गर्भ से अगणित मणि स्वरूप महान पुरुषों का जन्म देती रही है।
ये महान व्यक्तित्व जीवन में विविध झंझावतों में संघर्ष की गाथा लिखकर अमर हो गए। वे हमें एक गौरवमय राष्ट्र की अनमोल जीवनधारा के माध्यम से आदर्शों का स्रोत दे गए। भारत के स्वाधीनता संग्राम की गाथा शाश्वत मूल्यों के प्रति समर्पण की गाथा है। इस संग्राम का सबसे बड़ा आदर्श था राष्ट्रहित के लिए सर्वस्व समर्पण की भावना।संघर्ष से सब कुछ संभव है-स्वाधीनता संग्राम की दूसरी सीख है। हमारे वीर सपूतों ने अपने-अपने आदर्शों का पालन करके अमरत्व प्राप्त किया। हम स्वाधीन भारत की स्वाधीनता की रक्षा अपने वीरों के अनुकरणीय आदर्शों का पालन करके ही स्थायी रूप से रख पाएंगे। आदर्शों का पालन करके ही कीर्तिमान स्थापित कर सकते हैं।