Covid Command Control Room News : मुरादाबाद के कंट्रोल रूम ने चार घंटे में दूर की दस की समस्याएं, नहीं बनी वेंटीलेटर की व्यवस्था, जानिए क्याें
Covid Command Control Room News कोरोना महामारी में लोगों की सहूलियतों के लिए जिले में कोविड कमांड कंट्रोल रूम में हर दिन दर्जनों फोन कॉल आ रहे हैं। वेंटीलेटर को छोड़ बाकी सभी कॉलर्स की समस्याओं का समाधान हो रहा है।
मुरादाबाद, जेएनएन। कोरोना महामारी में लोगों की सहूलियतों के लिए जिले में कोविड कमांड कंट्रोल रूम में हर दिन दर्जनों फोन कॉल आ रहे हैं। वेंटीलेटर को छोड़ बाकी सभी कॉलर्स की समस्याओं का समाधान हो रहा है। हालात ये हैं कि मरीजों को ऑक्सीजन बेड की भी व्यवस्था बड़ी मुश्किल से हो रही है। प्रशासनिक स्तर पर टीम उन सभी कॉलर्स की समस्याओं के निस्तारण के लिए कंट्रोल रूम से ही काल कर रहा है।
सोमवार की दोपहर दो बजे से शाम छह बजे तक 10 लोगों ने कॉल किया। इसमें 10 समस्याओं का निस्तारण हो गया लेकिन, वेंटीलेटर की व्यवस्था मरीज के लिए नहीं हो पाई।
दोपहर 2 बजे से 6 बजे तक - दवा के लिए, 10 कॉल,
वेंटीलेटर के लिए, 01 कॉल, -
आक्सीजन के लिए, 02 कॉल,
कोरोना रिपोर्ट, 05 कॉल,
मृत्यु सर्टिफिकेट 01 कॉल,
कुंदरकी के जटपुरा के रहने वाले तेजपाल सिंह ने कोविड कमांड कंट्रोल रूम को काल की 30 अप्रैल को उनके परिवार में कोरोना से मौत हुई है। उसका मृत्यु प्रमाण पत्र चाहिए। संबंधित विभाग के अधिकारी का नंबर दे दिया गया।
गोविंद नगर के रहने वाले निशांत ने कंट्रोल रूम को बताया कि उसके शरीर का ऑक्सीजन 40 हो गया है। इस पर उन्हें चिकित्सक का नंबर दे दिया गया। तबीयत के बारे में उनसे संपर्क कर लें। लेकिन, इससे ज्यादा दिक्कत हो तो फौरन जिला अस्पताल पहुंच जाएं।
फतेहपुर विश्नोई के रहने वाले राहुल देव ने कंट्रोल रूम कॉल करके बताया कि मैंनेे आरटीपीसीआर जांच कराई थी। इस पर कंट्रोल रूम में कर्मचारी ने पोर्टल पर रिपोर्ट चेक करके निगेटिव बता दी। जिससे युवक की समस्या का समाधान हो गया। --
जलालपुर के रहने वाले कशिश ने आरटीपीसीआर जांच कराई थी। पोर्टल पर रिपोर्ट पता नहीं चल रही थी। इस वजह से कोविड कमांड कंट्रोल रूम पर काल करके जानकारी की तो पता चला मोबाइल नंबर गलत पड़ा है। अब दोबारा जांच करानी पड़ेगी। -
गोविंद नगर के अरविंद ने कॉल किया कि उनका मरीज एल-टू में भर्ती है। मरीज को बाहर लेकर जाना है। किस अधिकारी से बात करें। इस पर उन्हें एल-टू के प्रभारी चिकित्सक का नंबर दे दिया गया। जिससे वो उनसे छुट्टी की बात कर सकें।