Cleanliness Survey 2021 : बेहतर करने के बाद भी स्चच्छ सर्वेक्षण में जानिये मुरादाबाद को कम अंक क्यों मिले, कहां रह गई कमी

Cleanliness Survey 2021 बेहतर करने के बाद भी जरा सी लापरवाही ने स्वच्छ सर्वेक्षण में हमारे अंक सबसे कम मिले हैं। हालात ये हैं कि शहर में आधुनिक शौचालय बनाए। महिलाओं के पिंक शौचालय का निर्माण हुआ लेकिन हम रखरखाव में कुछ भी बेहतर नहीं कर पाए।

By Samanvay PandeyEdited By: Publish:Tue, 23 Nov 2021 02:40 PM (IST) Updated:Tue, 23 Nov 2021 02:40 PM (IST)
Cleanliness Survey 2021 : बेहतर करने के बाद भी स्चच्छ सर्वेक्षण में जानिये मुरादाबाद को कम अंक क्यों मिले, कहां रह गई कमी
शौचालय बढ़े लेकिन, अभी पुराने शहर में शौचालयों की कमी

मुरादाबाद, जेएनएन। Cleanliness Survey 2021 : बेहतर करने के बाद भी जरा सी लापरवाही ने स्वच्छ सर्वेक्षण में हमारे अंक सबसे कम मिले हैं। हालात ये हैं कि शहर में आधुनिक शौचालय बनाए। महिलाओं के पिंक शौचालय का निर्माण हुआ लेकिन, हम रखरखाव में कुछ भी बेहतर नहीं कर पाए। नाला टेपिंग और जल संरक्षण में भी अच्छा नहीं कर पाए हैं। प्रमाणीकरण यानि निगम द्वारा दी जाने वाली सेवाओं में डबल प्लस व जल भी हैं।

प्रमाण प्रस्तुत करने में पीछे रहने का नतीजा ये निकला कि हम 1800 के स्थान पर 500 अंक ही मिले।इसमें बेहतर कर पाते तो अवार्ड तक पहुंच सकते थे। शहर का हनुमान मूर्ति और बुध बाजार अपवाद हैं। प्रमुख बाजार मंडी चौक, बर्तन बाजार, अमरोहा गेट, चौमुखापुल, टाउनहाल, बुधबाजार, कंजरी सराय, ताड़ीखाना आदि में दो ही शौचालय हैं। महिलाओं के लिए बनाए गए शौचालय आदि की कोई सुविधा नहीं हैं। कई शौचालयों में अभी मानक के अनुसार सुविधाएं नहीं हैं। प्रमुख बाजारों में हालात ये हैं कि पुरुष शौचालयों में स्वच्छता का कोई बंदोबस्त नहीं है। ओडीएफ के तहत शौचालयों के सर्वे के दौरान तो व्यवस्थाएं ठीक मिली लेकिन, अब हालात बदतर हो चुके हैं। डबल प्लस के तमगे के लिए भी लगातार पीछे जा रहे हैं।

शौचालयों में सेनेट्रीपेड नष्ट करने वाली मशीन नहीं : महिलाओं के लिए बनाए गए शौचालयों में तमाम व्यवस्थाएं होने का दावा किया गया था। लेकिन, लापरवाही का आलम शौचालयों में सेनेट्रीपेड नष्ट करने वाली मशीन तक नहीं लगाई गई है। हालात ये हैं कि हैंडवाश और नैपकिन तक उपलब्ध नहीं कराए गए। यह भी स्वच्छता का ही हिस्सा हैं।

कई मूत्रालय की हालत ऐसी कि नहीं कर सकते प्रयोग : महानगर के सघन आबादी वाले क्षेत्रों के अलावा प्रमुख बाजारों में बनाए गए मूत्रालयों की स्थिति रखरखाव के अभाव में बदतर हो चली है। इनकाे प्रयोग करना तो दूर को पास गुजरने पर भी नाक, मुंह पर हाथ रखना पड़ जाए। भारी भरकम बजट खर्च कर बनाए गए सार्वजनिक शौचालय और मूत्रालय का लाभ लोगों को मिलना बंद हो रहा है।

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