सर्दी में बच्‍चों को हो सकता है न‍िमोन‍िया और डायर‍िया, इस तरह बरतें सावधानी

Child care in winter सर्दी के मौसम में बच्‍चों को कई स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी परेशान‍ियां हो जाती हैं ऐसे में सचेत रहने की जरूरत है। डायर‍िया में शरीर में पानी की अत्यधिक कमी हो जाती है जिससे बच्‍चे का शरीर कमजोर हो जाता है।

By Narendra KumarEdited By: Publish:Sat, 28 Nov 2020 10:56 AM (IST) Updated:Sat, 28 Nov 2020 10:56 AM (IST)
सर्दी में बच्‍चों को हो सकता है न‍िमोन‍िया और डायर‍िया, इस तरह बरतें सावधानी
बालरोग विशेषज्ञ चिकित्सक ने शिशुओं के स्वास्थ के लिए सावधानी बरतने की दी सलाह।

मुरादाबाद, जेएनएन।  Child care in winter। सर्दी के मौसम में बच्‍चों में निमोनिया और डायरिया का खतरा बढ़ गया है। डायरिया से शिशु को उल्टी दस्त और निमोनिया में बलगम वाली खांसी, बुखार, ठंड लगना और सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। इसका समय पर उपचार न कराना शिशुओं के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। ऐसे में व‍िशेष सावधानी बरतने की जरूरत है।

बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. मुनीश आदिल ने सर्दियों में सावधानी बरतने की सलाह दी है। अमरोहा जिला अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. मुनीश ने बताया कि सर्दी का मौसम चल रहा है। इस मौसम में दो वर्ष तक के बच्चों को डायरिया, निमोनियां होने खतरा है। अगर बच्चे को तीन से अधिक बार पानी के साथ मलत्याग हो रहा हो तो यह डायरिया का लक्षण है। डायरिया में रोगी के शरीर में पानी की अत्यधिक कमी हो जाती है, जिससे उसका शरीर कमजोर हो जाता है। इसके बाद शरीर में इन्फेक्शन फैलने का खतरा बहुत बढ़ जाता है। उचित समय पर सही इलाज नहीं होने पर रोगी की जान भी जा सकती है।

इलाज में इतना लगता है समय

सामान्य रूप से डायरिया पांच से सात दिनों तक ठीक हो पाता है। इससे बचने के लिए सरकारी अस्पतालों में शिशुओं को रोटा वायरस के नाम से टीका भी लगाया जाता है। पहला टीका डेढ़ माह में, दूसरा टीका ढाई माह और तीसरा टीका साढ़े तीन माह में लगाया जाता है। इसके अलावा उन्होंने सर्दी में शिशुओं को निमोनियां की भी शिकायत रहती है। शिशुओं को ठंड से बचाना जरूरी है। नवजात शिशु में संक्रमण से लड़ने की क्षमता कम होती है। आमतौर पर सर्दी, तेज बुखार, कपकपी, कफ, शरीर में दर्द, मांसपेशियों में दर्द निमोनिया के लक्षण हैं, लेकिन बहुत छोटे बच्चों में इस तरह के विशेष लक्षण नहीं दिखाई देते। छोटे बच्चों में निमोनिया की शुरुआत हल्के सर्दी-जुकाम से होती है, जो धीरे-धीरे निमोनिया में बदल जाती है।

इस तरह करें बचाव

नवजात के जन्म के तुरंत बाद स्तनपान कराना चाहिए। शिशुओं के समय-समय पर रोटा वायरस का टीका लगवाना चाहिए। डायरिया व निमोनिया की चपेट में आने पर शिशुओं को सरकारी अस्पताल में दिखाना चाहिए।

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