अमरोहा में चल रहा खून का काला कारोबार, झोलाछाप बोला-अधिकारियों से पहचान है, ले-देकर मना लेंगे
पुराना बुखार व खांसी बताए जाने पर परबिंदर ने अस्सी रुपये लेकर तीन दिन की एलोपैथिक दवाएं पकड़ा दी। इस पर मरीज ने कहा कि घर में पत्नी बीमार पड़ी है उसे खून की जरूरत है कहां मिलेगा।
मुरादाबाद [अनिल अवस्थी] । स्वास्थ्य महकमे के रहमोकरम पर अमरोहा में झोलाछाप की लगभग पांच सौ दुकानें खुलेआम चल रहीं हैं। इन पर एलोपैथ की दवाओं के साथ ही खून का काला कारोबार भी होता है। इतना ही नहीं भ्रूण लिंग परीक्षण की सुविधा भी मुहैया कराई जाती है। सबसे अधिक ऐसी दुकानें हसनपुर क्षेत्र में संचालित हैं। दैनिक जागरण के स्टिंग आपरेशन में इसका राजफाश होने के बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम ने भी मौके पर पहुंचकर जांच पड़ताल की। अब एफआइआर की तैयारी की जा रही है।
हसनपुर में बीते 27 अक्टूबर को एक गर्भवती का भ्रूण परीक्षण किया गया था। गर्भ में बेटी की बात बताकर उसका गर्भपात करा दिया गया। गर्भपात कराने के बाद पता चला कि गर्भ में बेटी नहीं बल्कि बेटा था। इसको लेकर गर्भवती के स्वजन ने हंगामा किया था। इस पर स्वजन को 50 हजार रुपये देकर शांत करा दिया गया था। हसनपुर में संचालित गिरोह फर्जी तरीके से क्लीनिक संचालित करता है। यहां पहुंचने वाले भोलेभाले व अशिक्षित मरीजों को दवाएं देने के साथ ही भ्रूण लिंग परीक्षण तो किया ही जाता है साथ में गर्भपात कराने व खून मुहैया कराने का भी ठेका लिया जाता है। इसी की पड़ताल के लिए दैनिक जागरण ने एक मरीज तैयार कर पूठ रोड, निकट घासमंडी स्थित शिवकेश हेल्थ केयर सेंटर पर भेज दिया। यहां एक सहायक के साथ बतौर डाक्टर मौजूद परबिंदर ने मरीज का हाल पूछा। पुराना बुखार व खांसी बताए जाने पर परबिंदर ने अस्सी रुपये लेकर तीन दिन की एलोपैथिक दवाएं पकड़ा दी। इस पर मरीज ने कहा कि घर में पत्नी बीमार पड़ी है उसे खून की जरूरत है, कहां मिलेगा। परबिंदर ने तीन दिन में खून मुहैया कराने का वादा करते हुए कीमत तीन हजार रुपये बताई। इसके बाद मौके पर पहुंची जागरण टीम को देख परबिंदर सकपका गया। बाद में बोला, ज्यादा कुछ नहीं होगा, स्वास्थ्य विभाग के उच्चाधिकारियों से गहरी जान-पहचान है, ले-देकर मना लेंगे।
भनक लगते ही दौड़ी स्वास्थ्य विभाग की टीम : दैनिक जागरण की टीम द्वारा शिवकेश हेल्थ केयर सेंटर पर स्टिंग किए जाने की खबर पर स्वास्थ्य विभाग भी हरकत में आ गया। नोडल अधिकारी डाॅ. सुरेंद्र टीम लेकर मौके पर पहुंच गए। उन्हें भी परबिंदर क्लीनिक पर ही मिला। डाॅ. सुरेंद्र ने बताया कि इस क्लीनिक का न तो पंजीकरण है और न ही परबिंदर चिकित्सक है। यह क्लीनिक पूरी तरह फर्जी तरीके से चल रही थी। बताया कि संचालक के खिलाफ एफआइआर कराई जाएगी।
नशेड़ियों को बना रहे निशाना : क्लीनिक संचालित कर रहे झोलाछाप नशेड़ियों को निशाना बना रहे हैं। उनसे आठ सौ से लेकर एक हजार रुपये में सौदा तय करते हैं। उसके बाद एक बोतल खून लेकर उसे रकम दे देते हैं। इस खून की आपूर्ति तीन से चार हजार रुपये में कराई जाती है। इस खून का उपयोग भी मुख्य रूप से आपरेशन करने वाले झोलाछाप ही करते हैं।