Betting business in Moradabad : सट्टेबाजों को पकड़ने के बाद मुकदमा दर्ज करने में लग गए पांच घंटे

जब किसी थाना क्षेत्र में दूसरी इकाई के द्वारा हस्तक्षेप करके कार्रवाई की जाती है तो संबंधित थाना क्षेत्र के प्रभारी के लिए यह सबसे मुश्किल घड़ी होती है। कटघर थाने से महज डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर सट्टेबाज इफ्तिखार अपनी सत्ता चला रहा था।

By Narendra KumarEdited By: Publish:Tue, 18 May 2021 11:20 AM (IST) Updated:Tue, 18 May 2021 11:20 AM (IST)
Betting business in Moradabad : सट्टेबाजों को पकड़ने के बाद मुकदमा दर्ज करने में लग गए पांच घंटे
मुकदमा वादी बनने को लेकर थाना पुलिस कतराती रही।

मुरादाबाद, जेएनएन। सट्टेबाजों को पकड़ने गई एसओजी टीम और पुलिस के बीच आपसी तालमेल की कमी देखने को मिली। दोपहर दो बजे आरोपितों को गिरफ्तार करने के बाद मुकदमा लिखने में लगभग पांच घंटे का वक्त लग गया। इस दौरान पुलिस और एसओजी के बीच मुकदमा वादी बनने को लेकर मतभेद रहे। हालांकि बाद उच्च अधिकारियों के निर्देश पर एसओजी प्रभारी ने सट्टेबाजों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने की कार्रवाई की।

अक्सर जब किसी थाना क्षेत्र में दूसरी इकाई के द्वारा हस्तक्षेप करके कार्रवाई की जाती है, तो संबंधित थाना क्षेत्र के प्रभारी के लिए यह सबसे मुश्किल घड़ी होती है। कटघर थाने से महज डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर सट्टेबाज इफ्तिखार अपनी सत्ता चला रहा था, जबकि स्थानीय पुलिस इस मामले में तमाशा देखने में जुटी थी। एसओजी की टीम जब करूला के गली नंबर एक में छापेमारी करने गई थी, उस दौरान एसओजी के अधिकारियों को भी नहीं पता था, जिसको को वह पकड़ने जा रही है, उसका नेटवर्क काफी बड़ा है। आम सटोरियों की तरह बिना किसी पूर्व तैयारी के पकड़ने चली गई थी। लेकिन वहां हुई पत्थरबाजी के बाद एसओजी टीम के अधिकारी खुद घबरा गए थे, कि आरोपितों को लेकर कैसे जा पाएंगे। किसी तरह आरोपित थाने पहुंचे तो मुकदमा वादी बनने को लेकर एसओजी और थाना स्तर के अधिकारियों के बीच मतभेद नजर आए। इस मतभेद को दूर करने में शाम के सात बज गए। उच्च अधिकारियों के दखल के बाद एसओजी प्रभारी ने मुकदमा दर्ज कराया। वहीं, स्थानीय पुलिस अफसरों से सवाल किया गया तो वह नियमानुसार कार्रवाई की बात कहकर बचते रहे।

गोपनीय रूप से जांच के आदेश

कटघर थाना क्षेत्र में सट्टेबाजी का खेल उजागर होने के बाद इस मामले में कटघर थाने और चौकी में तैनात पुलिस कर्मियों की भूमिका को संदिग्ध मानते हुए गोपनीय जांच के निर्देश दिए गए हैं। पुलिस के आला अधिकारी भी इस बात को जानना चाहते हैं, कि आखिरी यह सटोरिया कैसे अपने खेल को अंजाम दे रहा था। उच्च अधिकारियों को संदेह है कि इस मामले में स्थानीय पुलिस कर्मियों की मिलीभगत हो सकती है।

जिस टीम के द्वारा कार्रवाई की जाती है, उस टीम के अधिकारी की जिम्मेदारी होती है मुकदमा दर्ज कराने की। एसओजी प्रभारी को मुकदमा दर्ज कराने के निर्देश दिए गए थे। इस संबंध में मतभेद जैसी कोई स्थिति नहीं है। कानूनी कार्रवाई को पूरा करने में समय लगता है।

प्रभाकर चौधरी, एसएसपी, मुरादाबाद

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