Ayodhya Ram Mandir : विवादित ढांचा गिराने के बाद छह महीने तक घर नहीं सोए थे मुरादाबाद के दीपक गोयल
Ayodhya Ram Mandir पुलिस घर पर दबिश देती तब शहर के लोग देते थे अपने घरों में शरण। राम मंदिर आंदोलन में 1985 से 1992 में ढांचा गिराने तक लिया हिस्सा।
मुरादाबाद, जेएनएन। अयोध्या में श्री राम का मंदिर बनने जा रहा है। श्री राम मंदिर जन्म भूमि पूजन को लेकर कार सेवकों के मन में उल्लास है। बनवटा गंज निवासी 58 वर्षीय दीपक गोयल राम मंदिर आंदोलन के दौरान युवा थे। वह 1985 में बजरंग दल का गठन होने पर महानगर संयोजक थे और 1989, 1990 में कार सेवक आंदोलन से लेकर 1992 में विवादित ढांचा गिराने के गवाह हैं। विवादित ढांचा गिराकर जब लौटे तो पुलिस पीछे पड़ी थी, जिससे छह महीने तक वह अपने घर नहीं सोए। शहर में जिसके घर पर सोते थे, उस परिवार के लोग बहुत स्वागत करते थे।
दीपक गोयल कहते हैं कि अयोध्या में होने वाली कार सेवकों की हर बैठक में वह हिस्सा लेते थे। 1989 में अयोध्या में सत्याग्रह चल रहा था तब केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी, तब राम जन्म भूमि परिसर में सत्याग्रह के दौरान कांग्रेस के एक मंत्री जूते लेकर पहुंच गए थे, इस पर विवाद हुआ तो कार सेवकों को फैजाबाद पुलिस ने हिरासत में भेज दिया था। विश्व ङ्क्षहदू परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष विनय कटियार ने पहुंचकर हजारों कार सेवकों को हिरासत से छुड़वाया था। देश भर से पहुंचने वाले कार सेवकों से हर धर्मशाला अयोध्या में फुल हो जाती थी। अयोध्यावासी भी अपने घर में ठहराकर स्वागत करते थे। 1992 में जब छह दिसंबर को विवादित ढांचा गिराया गया था तब एक सप्ताह पहले देश भर से कार सेवक पहुंच गए थे और ढांचा गिराने की रणनीति में जुटे थे। तब दुर्गा वाहिनी की राष्ट्रीय अध्यक्ष उमा भारती ने कारसेवकों को संबोधित करते वक्त जो जोश भरा था, उससे कार सेवक बहुत प्रभावित हुए थे। बताते हैं कि पहले तो यही योजना थी कि विवादित ढांचे को नुकसान पहुंचाने तक सीमित रखा जाएगा लेकिन उत्तर, पश्चिम, पूरब और दक्षिण से पहुंचे हजारों कार सेवकों के जोश व जुनून ने विवादित ढांचा गिराकर ही दम लिया। तमाम कार सेवकों की जान भी गई थी। दीपक गोयल कहते हैं कि कल्पना नहीं की थी कि कभी मंदिर बन भी पाएगा । लेकिन, तब ढांचा गिरते भी देखा और अब बनते भी देखेंगे, यह देश भर के कार सेवकों के बह़त बड़ा गौरव है।
वापसी में हुआ था भव्य स्वागत
अयोध्या मंदिर में विवादित ढांचा गिराए जाने के बाद विशेष ट्रेनों से अपने-अपने शहरों को कार सेवक भेजे गए थे। तब ट्रेनें जहां रुकी वहां फल, भोजन, पानी लेेकर लोग ऐसे स्वागत में लगे थे जैसे भगवान राम की सैना युद्ध जीतकर लौटी हो। मुरादाबाद आने पर भी स्थानीय निवासियों ने शरण देकर पुलिस से बचाया था।