संघ प्रमुख के साथ फोटो की ख्वाहिश, नसीहत मिली तो हो गए फ्रीज Moradabad News
अब जिलाध्यक्ष की घोषणा का इंतजार हैं। सभी के सहयोग और आशीर्वाद की कामना करते हुए वे हाथ जोड़े आपको मिल जाएंगे।
मुरादाबाद (प्रेमपाल सिंह)। खुद को लाइमलाइट में रखने वालों के लिए चार दिन अफसोस के रहे। किसी तरह एंट्री की जुगाड़ में लग रहे। एड़ी घिस गईं लेकिन, कोई हल नहीं निकला। जिनसे अपनी सेटिंग बैठाई, उनको भी प्रवेश की अनुमति नहीं थी। जुगाड़ से अंदर पहुंचे तो नो एंट्री बोर्ड मिला। उनके पास वैसे तो कोई दायित्व नहीं था। निष्ठा की बदौलत अंदर पहुंचे और पदाधिकारियों के नजदीक पहुंचने का प्रयास करते दिखे। अपनी हैसियत और कारोबार के बारे में बताने लगे। कोई जवाब नहीं मिला। पहले दिन व्यवस्थाओं को संभालने का जिम्मा खुद ही उठाने लगे। एक अनावश्यक को अंदर देखकर पदाधिकारियों का तो पारा ही चढ़ गया, मौका मिला तो डपट दिया। सहम गए और माफी मांग कर अपने काम में जुट गए। इसके बाद किसी की घुसने की हिम्मत नहीं पड़ी। चौथे दिन सबको व्यवस्था में होने की जानकारी देकर झेंप मिटाते दिखाई दिए।
दूर से दर्शन कर संतोष
नगर की सरकार चलाने वाले के मिजाज से हर कोई परिचित है। हर चीज मजाक में लेना उनकी आदत में शुमार है। चार दिवसीय कार्यक्रम में खुद के वजूद से अंदर तो प्रवेश पा गए लेकिन, उनके साथ वालों को एंट्री नहीं मिली। कार में बैठना पड़ा। अंदर जाकर संघ प्रमुख से मिलने के जतन कर लिए लेकिन, पाबंदी थी तो स्वागत कक्ष के बाहर ही इंतजार करना पड़ा। जब बाहर निकले तो दूर से दर्शन हुए। अपना परिचय दिया तो हालचाल पूछ लिया। चंद सेकेंड की बातें हुईं। हद तो जब हो गई कि चौथे दिन के कार्यक्रम में फोटो कराने की जुगाड़ में आगे-पीछे आने लगे तो मंच संभाल रहे पदाधिकारी ने सार्वजनिक रूप से ही नाम लेकर व्यवस्था नहीं बिगाडऩे की नसीहत दी। इसके बाद तो जहां थे, वहीं पर फ्रीज हो गए। कार्यक्रम खत्म होने पर सबसे पहले निकलकर चल दिए।
मैडम के बुलावे पर खौफ
आजकल तो मैडम का खौफ सताने लगा है। बिकवाली और खरीदारी का भाव कम लग रहा है। ऐसे में जुगाड़ से बिकवाली हो रही, जरूरतमंद को सेटिंग से रहने की छत दिलाई जा रही है। इससे जुड़े कारोबारी तो आजकल फालतू खर्च करने पर हिम्मत तक नहीं जुटा पा रहे हैं। ऐसे में मैडम का बुलवा सिरदर्दी पैदा कर रहा है। उनका हक है, उनका अधिकार है। जब चाहें, बुला सकती हैं। कागजों की जांच कर सकती हैं। कुल बिक्री का हिसाब ले सकती हैं। इतना तो ठीक है लेकिन, बुलाने के बाद एक काम सौंप देना सिरदर्दी बना गया है। अब तो जिसके पास कॉल आती है, वह बताने में गुरेज नहीं करता कि मैं तो इसी महीने आया था। किसी दूसरे को बुला लो। पहले तो मैडम ऐसी थी नहीं, अब वह दूसरों को देखकर उनके रंग में रंग गईं हैं।
अपनी बारी का हो रहा इंतजार
भाजपा में महानगर अध्यक्ष की घोषणा होने के बाद अब पिछड़े वर्ग से जुड़े कार्यकर्ता कार्यकारिणी में अपना स्थान लेने के लिए जुगाड़ लगा रहे हैं। नगर में विप्र अध्यक्ष हैं और फिलहाल जिलाध्यक्ष भी विप्र हैं। अब नंबर पिछड़े वर्ग से जुड़े कार्यकर्ता का है। इसलिए जिलाध्यक्ष से लेकर पदाधिकारी बनने को खींचतान भी खूब हो रही है। संगठन को एक दूसरे की रिपोर्ट भेज दी हैं। दो उपाध्यक्ष अब महामंत्री बनने का ख्वाब संजोए हैं। उनको आशीर्वाद मिलने की चर्चा है। इसलिए निश्चिंत हैं। वर्तमान कार्यकारिणी में अहम पद संभाल रहे पदाधिकारी जिलाध्यक्ष के लिए प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं। नामांकन कराने वाले सशक्त दावेदारों को प्रदेश कार्यकारिणी में स्थान मिलने के बाद उनका रास्ता साफ हो गया है।