मुरादाबाद में गो आश्रय स्थल में ट्रांसफर होंगे कांजी हाउस के पशु, अब इस व्यवस्था पर होगा काम
Go shelter site of Moradabad जिला पंचायत के अगवानपुर मैनाठेर ठाकुरद्वारा छजलैट में कांजी हाउस संचालित हैं। स्योंडारा और डिलारी दो गांव के कांजी हाउस को बंद कर दिया गया है। अब नई व्यवस्था के तहत इस पर काम किया जाना है।
मुरादाबाद, जेएनएन। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार में बेसहारा गोवंशीय पशुओं के लिए गो-आश्रय स्थल बनाए गए हैं। जिला पंचायत के भी कांजी हाउस हैं। लेकिन, अब उन्हें चलाने के बजाय बंद करने की तैयारी चल रही है। कांजी हाउस के पशुओं को अब सरकार के गो-आश्रय स्थलों में शिफ्ट होना है। अपर मुख्य अधिकारी, जिला पंचायत शिशुपाल शर्मा ने गोवंशीय पशुओं को शिफ्ट करने के लिए मुख्य पशु चिकित्साधिकारी को पत्र लिखा है।
जिला पंचायत के अगवानपुर, मैनाठेर, ठाकुरद्वारा, छजलैट में कांजी हाउस संचालित हैं। स्योंडारा और डिलारी दो गांव के कांजी हाउस को बंद कर दिया गया है। इन कांजी हाउस में पहले बेसहारा पशुओं को पकड़कर बंद कर दिया जाता था। बाद में पशुओं को छोड़ने के लिए जिला पंचायत उनके मालिकों से जुर्माना वसूलती थी। लेकिन, अब इनका मकसद बिल्कुल बदल गया है। कांजी हाउस में बेसहारा पशुओं को संरक्षण देने का काम हो रहा है। जिला पंचायत के चारों काजी हाउस में 54 पशु हैं। इनके लिए पशु पालन विभाग 30 रुपये प्रति पशु के हिसाब से देती है। इसी में ठेकेदार को पशुओं की सेवा करनी होती है। उनके लिए चारे की व्यवस्था के अलावा अन्य खर्च भी इसी से होता है। 15 जनवरी को जिला पंचायत के कांजी हाउस के ठेके खत्म हो गए। ऐसे में यहां रहने वाले पशुओं के सामने जीवन मरण का संकट हो सकता है। इसके कारण जिला पंचायत अब कांजी हाउस के पशुओं को सरकारी गो-आश्रय स्थल में भेजने की तैयारी कर रही है। अपर मुख्य अधिकारी शिशुपाल सिंह ने बताया कि उन्होंने सीवीओ को पशुओं को शिफ्ट कराने के लिए पत्र लिखा है। ठेका खत्म होने से पहले पशुओं को सरकारी गो-आश्रय स्थलों में शिफ्ट करा दिया जाएगा।
पहले 100 रुपये प्रतिदिन देती थी जिला पंचायत
सरकार से मिलने वाले 30 रुपये प्रति पशु में गो-आश्रय स्थलों का खर्च नहीं चल पा रहा है। जिला पंचायत इस व्यवस्था से पहले कांजी हाउस में रहने वाले प्रति पशु की खुराक के लिए 100 रुपये रोजाना देती थी। नई व्यवस्था के तहत जिला पंचायत सिर्फ कांजी हाउस के व्यवस्था पर ही खर्च कर सकती है। कुछ उसके रख-रखाव पर खर्च करने का अधिकार है। लेकिन, खुराक के लिए जिला पंचायत को धनराशि देने का अधिकार नहीं है। इसके लिए पशु पालन विभाग को ही बजट मिल रहा है।