Amroha Bawankhedi Massacre : शबनम और सलीम ने पांच मिनट में कर दिए थे छह खून, रोंगटे खड़े कर देती है पुलिस की केस डायरी
सात लोगों की हत्या के दौरान शबनम ही अपने स्वजनों के सिर पकड़ती थी और सलीम उस पर कुल्हाड़ी चलाता था। सलीम ने अपने घर के सामने तालाब में खून से लथपथ कुल्हाड़ी फेंक दी और घर जाकर सो गया था।
मुरादाबाद, जेएनएन। अमरोहा बावनखेड़ी में सात लोगों की हत्या के दौरान शबनम ही अपने स्वजनों के सिर पकड़ती थी और सलीम उस पर कुल्हाड़ी चलाता था। नशे की दवा के कारण सभी स्वजन बेहोशी की हालत में सो रहे थे। वहीं 10 माह के भतीजे का गला काटने के बजाय शबनम ने अपने हाथों से गला घोटकर उसकी हत्या की थी। पुलिस की केस डायरी में इसका स्पष्ट उल्लेख किया गया है।
अपने ही परिवार के सात लोगों की कातिल शबनम की फांसी की सजा सुप्रीम कोर्ट से लेकर राष्ट्रपति तक यूं ही बरकरार नहीं है। उसके खिलाफ पुलिस द्वारा तैयार की गई केस डायरी जो भी पढ़ता है, उसके रोंगटे खड़े हो जाते हैं। शबनम ने प्रेमी सलीम के साथ मिलकर नृशंसता की सारी हदें पार कर दी थीं। हत्याकांड को अंजाम देने के बाद सलीम ने मदद की गरज से जिन दो लोगों को अपनी कारगुजारी बताई थी उसे सुनकर उनके भी होश उड़ गए थे। विवेचक ने केस डायरी में लिखा है कि सलीम व शबनम शादी करना चाहते थे। शबनम शिक्षामित्र थी जबकि सलीम मजदूर था। आर्थिक मदद को शबनम अपना मानदेय भी सलीम को दे देती थी। इसका विरोध करने पर उसका अपने माता-पिता के साथ काफी झगड़ा होता था। अवैध संबंधों के चलते शबनम दो माह की गर्भवती भी थी। सलीम ने अपने कबूलनामे में बताया था कि उसके पास दो ही रास्ते बचे थे, या तो वह आत्महत्या कर ले या शबनम के पूरे परिवार का सफाया कर दे। उसकी योजना से शबनम भी सहमत हो गई। 14 अप्रैल 2008 को सलीम पाकबड़ा से नशे की दस गोलियों का पत्ता खरीदकर शबनम को दे गया था। शबनम ने रात में इन गोलियों को दूध में मिलाकर सभी स्वजनों को पिला दिया। बेहोशी की हालत में जब सभी सो रहे थे तभी शबनम ने सलीम को रात डेढ़ बजे अपने घर बुला लिया। सलीम कुल्हाड़ी लेकर आया था। इसके बाद शबनम ने सो रहे अपने माता-पिता समेत एक-एक कर सभी के सिर पकड़े और सलीम कुल्हाड़ी के एक ही वार से गर्दन काटता चला गया। महज पांच मिनट में छह लोगों का कत्ल करने के बाद शबनम का दस माह का भतीजा अर्श जिंदा बचा था। शबनम ने हमेशा के लिए जायदाद का वारिस खत्म करने की नीयत से गला घोंटकर उसे भी मौत के घाट उतार दिया। इसके बाद सलीम ने अपने घर के सामने तालाब में खून से लथपथ कुल्हाड़ी फेंक दी और घर जाकर सो गया।
सुप्रीम कोर्ट ने भी की थी तल्ख टिप्पणी
सेशन कोर्ट ने शबनम और सलीम द्वारा सामूहिक हत्याकांड को दुर्लभतम मामला मानते हुए फांसी की सजा सुनाई थी। हाईकोर्ट में भी यह सजा बरकरार रही। सुप्रीम कोर्ट में शबनम की महिला वकील ने जेल में उसके अच्छे आचरण के आधार पर फांसी की सजा खारिज करने की अपील की थी। इस पर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने कहा था कि हम ऐसे मामले में दोषी के अधिकारों पर फोकस या जोर नहीं देना चाहते जिसमें 10 महीने के बच्चे सहित सात लोगों की हत्या की गई। साथ ही अदालत ने इस बात का भी उल्लेख किया था कि शबनम पढ़ीलिखी महिला है जोकि शिक्षामित्र भी है। उसने हत्याकांड की साजिश रचने में दस दिन तैयारी की, ऐसे में उसके कृत्य को माफ कैसे किया जा सकता है।