कृषि विधेयक बिल का विरोध, कलेक्ट्रेट में धरने पर बैठे किसान, पुलिस से झड़प

Opposition to the Agricultural Bill कृषि विधेयक बिल के विरोध में किसानों ने धरना दिया। मांगों के संबंध में आवाज बुलंद की और सरकार को जमकर कोसा। किसान नेताओं ने कहा कि उनका व‍िरोध तब तक जारी रहेगा जब तक सरकार इस पर व‍िचार नहीं करती है।

By Narendra KumarEdited By: Publish:Mon, 28 Sep 2020 03:31 PM (IST) Updated:Mon, 28 Sep 2020 03:31 PM (IST)
कृषि विधेयक बिल का विरोध, कलेक्ट्रेट में धरने पर बैठे किसान, पुलिस से झड़प
कृषि विधेयक बिल के विरोध में सड़क पर उतरकर नारेबाजी करते क‍िसान।

मुरादाबाद।  Opposition to the Agricultural Bill। कृषि विधेयक बिल के विरोध में किसानों का सोमवार को भी जोरदार प्रदर्शन जारी रहा। काफी संख्‍या में किसान सड़कों पर उतरे। जुलूस निकालकर सरकार के व‍िरोध में आवाज बुलंद की। इस दौरान सड़कों पर कई जगहों पर जाम की स्थिति बनी रही। व्‍यवस्‍था बनाने के लिए पुलिस को भी कड़ी मशक्‍कत करनी पड़ी। क‍िसान वाहनों से कलेक्ट्रेट पर भी पहुंच गए। गेट पर तैनात कर्मचारियों ने उन्‍हें रोका तो वे ब‍िगड़ गए और जबरन गेट के अंदर दाखिल होने की कोशिश करने लगे। इसे लेकर पुलिस से झड़प भी हुई।

क‍िसान लगातार कृषि विधेयक बिल का व‍िरोध कर रहे हैं। सोमवार को शहर से लेकर देहात तक यह स‍िलस‍िला जारी रहा। किसानों ने कलेक्ट्रेट परिसर में धरना दिया और सरकार को जमकर कोसा। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी हरपाल सिंह ने कहा कि किसान को आजादी नहीं बड़े-बड़े उद्योगपतियों के हाथों की कठपुतली बनाने के लिए कृषि बिल लाई है। वर्ष 2014 में स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करने का वादा किया था जब तक इसे नहीं जोड़ा जाएगा चुप नहीं बैठेगा। कृषि क्षेत्र को अडानी, अंबानी को कॉन्ट्रैक्ट पर देकर किसानों को गुलाम करना चाहती है सरकार। न्यूनतम समर्थन मूल्य विधेयक में जोड़ दीजिए हमारा विरोध खत्म हो जाएगा। आखिर सरकार मनमानी पर क्‍यों आमादा हैं। स्वामीनाथन आयोग की र‍िपोर्ट को लागू करने के लिए कई सालों से क‍िसान आवाज उठा रहे हैं लेकिन सुनवाई नहीं। वादों के नाम पर हमेशा किसान छले जाते रहे हैं लेकिन अब ऐसा नहीं होगा।  

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