सिपाहियों ने लड़ी लंबी लड़ाई, तब चेहरे पर खुशी आई
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक प्रभाकर चौधरी ने पासिग आउट परेड को संबोधित करते हुए बताया कि ट्रेनिग के लिए 187 रिक्रूटों ने आमद कराई। चार रिक्रूट प्रशिक्षण काल में इस्तीफा देकर चले गए। शेष रिक्रूटों में तीन मृतक आश्रित कोटे के हैं। जबकि परीक्षा में पास 180 रिक्रूट वर्ष 2013 की सीधी सिपाही भर्ती के अभ्यर्थी थे।
मुरादाबाद, जेएनएन : पुलिस लाइंस में गुरुवार का दिन ऐतिहासिक रहा। 180 जवानों के सात साल से अधूरे सपने पूरे होने वाले थे। इस ऐतिहासिक घड़ी का गवाह खुद बरेली जोन के एडीजी अविनाश चंद्र बने। परेड संपन्न होते ही सिपाहियों की आंखें भर आई।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक प्रभाकर चौधरी ने पासिग आउट परेड को संबोधित करते हुए बताया कि ट्रेनिग के लिए 187 रिक्रूटों ने आमद कराई। चार रिक्रूट प्रशिक्षण काल में इस्तीफा देकर चले गए। शेष रिक्रूटों में तीन मृतक आश्रित कोटे के हैं। जबकि परीक्षा में पास 180 रिक्रूट वर्ष 2013 की सीधी सिपाही भर्ती के अभ्यर्थी थे। सुप्रीम कोर्ट के आदेश बाद सितंबर 2020 में इनका प्रशिक्षण शुरू हुआ। यही वजह रही कि खोया समय दर्द बनकर सिपाहियों के सीने को साल रहा था। बातचीत में उन्होंने कहा भी कि यदि सही समय पर नौकरी मिली होती तो आज वह हेड कांस्टेबल बनने की कगार पर होते। जो सिपाही गुरुवार को मुरादाबाद पुलिस लाइंस में पासिग आउट परेड में शामिल रहे, उन्हें उनके तैनाती जिले में वापस भेजा जाएगा। सहारनपुर निवासी नितिन ने बताया कि वर्ष 2013 के सिपाही भर्ती का परिणाम लंबे समय तक अधर में लटके रहने के कारण वर्ष 2018 की सिपाही भर्ती में भी उनका चयन हो गया। तभी सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल गई। तब 2013 की भर्ती प्रक्रिया के तहत ही उन्होंने प्रशिक्षण शुरू करने का निर्णय लिया।
आकर्षण का केंद्र बनी अमित की मूंछ
मूंछ का क्रेज सिपाहियों में भी कम नहीं है। बागपत के रहने वाले अमित कुमार की मूंछ ने पासिग आउट परेड में लोगों को आकर्षित किया। अमित कुमार ने बताया कि मूंछ हमारी शान है। बागपत में मणिकला गांव के मूल निवासी अमित ने बताया कि पिता यशपाल सिंह पेशे से किसान हैं। तीन भाई बहनों में अमित सबसे बड़े हैं। सिपाही बनने व मूंछ रखने का उनका बचपन से सपना था। दोनों ही पूरे हो गए। अमित संग दर्जनों सिपाहियों ने सेल्फी ली।