Abdullah Birth Certificate Case : सांसद आजम और अब्दुल्ला के मुकदमों में गवाह से आज होगी जिरह

Abdullah Birth Certificate Case मुकदमा निचली अदालत में चलाए जाने की याचिका दाखिल की थी जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था। इन मुकदमों में पहली गवाही भाजपा नेता की पूरी हो चुकी है। दूसरी गवाही प्रधानाचार्य की हुई थी। अब उनसे बचाव पक्ष के अधिवक्ता द्वारा जिरह होनी है।

By Narendra KumarEdited By: Publish:Thu, 28 Oct 2021 08:14 AM (IST) Updated:Thu, 28 Oct 2021 08:14 AM (IST)
Abdullah Birth Certificate Case : सांसद आजम और अब्दुल्ला के मुकदमों में गवाह से आज होगी जिरह
जन्म प्रमाण पत्र, पैन कार्ड और पासपोर्ट के मामले में होनी है सुनवाई

मुरादाबाद, जागरण संवाददाता। Abdullah Birth Certificate Case : रामपुर सांसद आजम खां, उनकी पत्नी शहर विधायक डा. तजीन फात्मा और बेटे अब्दुल्ला के खिलाफ तीन मामलों की बुधवार को सुनवाई नहीं हो सकी। हालांकि अभियाेजन की ओर से गवाह के रूप में सेंटपाल स्कूल के प्रधानाचार्य मनोज पाठक को कोर्ट में पेश किया गया, लेकिन सांसद के अधिवक्ता ने स्थगन प्रार्थना लगा दिया।

सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता प्रताप सिंह मौर्य ने बताया कि बचाव पक्ष के अधिवक्ता की ओर से दिए स्थगन प्रार्थना पत्र में समय की मांग की थी। अदालत ने अंतिम अवसर देते हुए गुरुवार को सुनवाई तय की है। जिन मुकदमों में सुनवाई होनी है, वे सांसद के बेटे अब्दुल्ला के फर्जी जन्म प्रमाण पत्र, पासपोर्ट और पैन कार्ड बनाने के आरोप के हैं। तीनों मुकदमे भाजपा नेता आकाश सक्सेना ने दर्ज कराए थे। इसमें सांसद पर आरोप है कि उन्होंने अपने बेटे को चुनाव लड़ाने के लिए उसके जन्म प्रमाण पत्र में उम्र बढ़ाई थी। बाद में पैन कार्ड और पासपोर्ट में भी जन्मतिथि बदलवा दी। इस तरह बेटे के अलग-अलग जन्मतिथि के दो जन्म प्रमाण पत्र, दो पासपोर्ट और दो पैनकार्ड बनवा लिए। इनमें जन्म प्रमाण पत्र मामले में सांसद के अलावा उनकी पत्नी और बेटा आरोपित है, जबकि पैन कार्ड मामले में सांसद और उनका बेटा आरोपित है। इसके अलावा पासपोर्ट के मुकदमे में अकेले अब्दुल्ला आराेपित हैं। इन तीनों मुकदमों को सांसद के अधिवक्ता ने निचली अदालत में चलाए जाने की याचिका दाखिल की थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था। इन मुकदमों में पहली गवाही भाजपा नेता की पूरी हो चुकी है। दूसरी गवाही प्रधानाचार्य की हुई थी। अब उनसे बचाव पक्ष के अधिवक्ता द्वारा जिरह होनी है।

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