गलत इंजेक्शन ने छीन ली नेत्र की रोशनी, आवाज बंद

चिकित्सक भगवान का रुप होते हैं लेकिन यह कहावत कभी-कभी ही सही लगती है। ताजा मामला अदलहाट थानाक्षेत्र का है जहां एक चिकित्सक की लापरवाही ने न केवल दो वर्षीय की बच्ची के आंखों की रोशनी छीन ली बल्कि उसकी आवाज भी बंद हो गई। गलत दवा के रिएक्शन से बच्ची के पैर भी हिलना-डुलना बंद हो गए। परिजनों ने शिकायत की तो प्रशासन ने क्लीनिक सील करके इतिश्री कर ली और लापरवाही के आरोपित चिकित्सक पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। इससे निराश बच्ची के परिजन अधिकारियों के दरवाजे पर न्याय की गुहार मांगते फिर रहे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 14 Oct 2019 07:12 PM (IST) Updated:Tue, 15 Oct 2019 12:07 AM (IST)
गलत इंजेक्शन ने छीन ली  नेत्र की रोशनी, आवाज बंद
गलत इंजेक्शन ने छीन ली नेत्र की रोशनी, आवाज बंद

जागरण संवाददाता, अदलहाट (मीरजापुर) : चिकित्सक भगवान का रूप होते हैं लेकिन यह कहावत कभी-कभी ही सही लगती है। ताजा मामला अदलहाट थानाक्षेत्र का है, जहां एक चिकित्सक की लापरवाही ने न केवल दो वर्षीय की बच्ची के आंखों की रोशनी छीन ली बल्कि उसकी आवाज भी बंद हो गई। गलत दवा के रिएक्शन से बच्ची के पैर भी हिलना-डुलना बंद हो गए। परिजनों ने शिकायत की तो प्रशासन ने क्लीनिक सील करके इतिश्री कर ली और लापरवाही के आरोपित चिकित्सक पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। इससे निराश बच्ची के परिजन अधिकारियों के दरवाजे पर न्याय की गुहार मांगते फिर रहे हैं।

अदलहाट थानाक्षेत्र के डेहरी ग्राम निवासी राम आसरे पटेल पुत्र पन्ना लाल पटेल की दो वर्षीय पुत्री आकांक्षा को बुखार व उल्टी की शिकायत होने पर परिजन उसे लेकर इलाज के लिए वाराणसी जा रहे थे। तभी किसी व्यक्ति ने उन्हें नरायनपुर के एक चिकित्सक के बारे में बताया और अच्छे इलाज का भरोसा दिया। यह विश्वास कर परिजन बीते 28 अगस्त को बच्ची को इलाज के लिए उस चिकित्सक के पास पहुंचे। पिता रामआसरे ने बताया कि साधारण बुखार व उल्टी की समस्या होते हुए भी चिकित्सक ने 11 दिन अस्पताल में बच्ची को भर्ती रखा व पानी चढ़ाते रहे। इसी दौरान बच्ची को गलत इंजेक्शन लगा दिया जिसने उसकी हंसती-खेलती जिदगी पर मानो ग्रहण लगा दिया। बच्ची के आंख की रोशनी चली गई, बोलना तथा हाथ-पैर हिलना ही बंद हो गया। बच्ची की हालत बिगड़ी तो चिकित्सक ने परिजनों को भला-बुरा कहकर अस्पताल से निकाल दिया। परिजन उसे लेकर बीएचयू इमरजेंसी पहुंचे जहां उसकी हालत देखते हुए भी भर्ती से इंकार कर दिया गया। समय की क्रूरता से पीड़ित परिजन बच्ची को लेकर वापस घर चले आए और तब से वे मासूम की एक आवाज सुनने को भी तरस गए हैं।

नियति से बेहाल, नीयत पर सवाल

पिता रामआसरे ने कहा कि नियति ने उसकी बिटिया को इस हाल में पहुंचा दिया और शिकायत के बाद सिर्फ क्लिनिक सील किया गया है, जो कुछ दिनों में खोल दिया जाएगा। जबकि चिकित्सक पर कार्रवाई नहीं हो रही। इतना ही नहीं अब खुद को सीएमओ आफिस का बाबू बताने वाला सख्श फोन करके परिजनों को 50 हजार रुपये लेकर सुलह करने का दबाव बना रहा है। पिता अपने आंसुओं को पीते हुए कहता है कि नियति से तो हम मार खा ही गए, अब समाज के ठेकेदार हमारी नीयत खरीदने की फिराक में हैं।

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