इलाज के अभाव में श्रमिक ने तोड़ा दम
इसे सिस्टम का दोष कहा जाए या इंसानी गुरूर जिसके कारण एक मजदूर दम तोड़ने को विवश हो गया। कुछ ऐसा ही एक मामला रविवार को मंडलीय चिकित्सालय में देखने को मिला। जहां सीएचसी अहरौरा मंडलीय चिकित्सालय बीएचयू के ट्रामा सेंटर व चंदौली के एक निजी चिकित्सालय में इलाज कराने के बावजूद अहरौरा के पियरहवा पोखरा निवासी एक मजदूर ने इलाज के अभाव में एक महीने बाद दम तोड़ दिया।
जागरण संवाददाता, मीरजापुर : इसे सिस्टम का दोष कहा जाए या इंसानी गुरूर जिसके कारण एक श्रमिक दम तोड़ने को विवश हो गया। कुछ ऐसा ही एक मामला रविवार को मंडलीय चिकित्सालय में देखने को मिला। जहां सीएचसी अहरौरा, मंडलीय चिकित्सालय, बीएचयू के ट्रामा सेंटर व चंदौली के एक निजी चिकित्सालय में इलाज कराने के बावजूद अहरौरा के पियरहवा पोखरा निवासी एक श्रमिक ने इलाज के अभाव में एक महीने बाद दम तोड़ दिया। उनकी मौत होने की खबर लगते ही परिजन रोने बिलखने लगे।
अहरौरा थाना क्षेत्र के पियरहवां पोखरा निवासी रामपति (40) करीब एक महीने पहले अहरौरा में ही एक ट्रक की चपेट में आकर घायल हो गया था। पैर पर पहिया चढ़ने के कारण उसका एक पैर कुचलकर पूरी तरह से खराब हो गया था। उसे सीएचसी अहरौरा ले जाया गया। जहां सुधार नहीं होने पर उसे मंडलीय चिकित्सालय रेफर किया गया। यहां पर करीब 15 दिन तक भर्ती रहने के बावजूद कोई सुधार नहीं हुआ तो चिकित्सक ने घायल को बीएचयू के ट्रामा सेंटर रेफर कर दिया। जहां इलाज में लापरवाही बरतने के कारण उसका पैर धीरे धीरे खराब होता गया। उसमें इंफेक्शन फैल गया। जिसके चलते एक पैर काटना पड़ा। बीएचयू में भी सुधार नहीं हुआ तो चंदौली जनपद के एक अस्पताल ले गए। वहां भी ठीक नहीं हुआ तो दोबारा उसे मंडलीय चिकित्सालय ले आए। लेकिन यह सब काफी देर में हुआ। इससे उसके पूरे शरीर में इंफेक्शन फैलता गया और करीब एक महीने बाद मात्र एक पैर कुचलने के चलते उसकी मौत हो गई। जबकि उसे बचाया जा सकता था लेकिन ऐसा नहीं किया गया। परिजनों ने बताया कि बीएचयू के ट्रामा सेंटर में इलाज के दौरान प्रतिदिन पैसे मांगे जाते थे। वे लोग गरीब है इतने पैसे उनके पास नहीं थे कि वे प्रतिदिन उनको पैसा उपलब्ध करा सके। पैसे के अभाव में वह लोग इलाज नहीं करा सके। जिससे उसकी मौत हो गई।