बगैर शव मिले ही जय किशन सहित 135 लोग मृत घोषित
चमोली हादसा पहचान करने उत्तराखंड गए भाई को प्रमाण पत्र दे वापस भेजा मौत होने की खबर पर बे
चमोली हादसा
पहचान करने उत्तराखंड गए भाई को प्रमाण पत्र दे वापस भेजा
मौत होने की खबर पर बेटियों समेत परिजन बेहाल जागरण संवाददाता, पटेहरा (मीरजापुर ) : उत्तराखंड के चमोली स्थित ऋषि गंगा प्लांट में ग्लेशियर टूटने से आई आपदा में लापता हुए कोटवा पांडेय निवासी जय किशन (36) पुत्र राजकरन सहित 135 लोगों को वहां की प्रदेश सरकार ने मृत घोषित कर दिया है। जय किशन की खोज में चमोली गए विजय बाबू को भाई जय किशन तो नहीं मिले, लेकिन उसके मृत घोषित किए गए जाने का सरकार ने बगैर शव मिले ही प्रमाण पत्र दे दिया। यह देख वे हैरान हो गए।
विजयबाबू ने कहा कि सरकार ने उनके भाई को खोजने का कोई प्रयास नहीं किया। अगर मन से खोजा जाता तो जय जरुर मिलता। कहा कि प्लांट के अधिकारियों की लापरवाही से यह घटना हुई है, जिसे छिपाने का प्रयास किया जा रहा है।
कोटवां पांडेय गांव निवासी जय किशन आठ नवंबर को ठेकेदार के माध्यम से चमोली में स्थापित किए जा रहे ऋषि गंगा पावर प्लांट में काम करने गए थे। सात फरवरी को वे प्लांट पर कार्य कर रहे थे कि इसी दौरान ग्लेशियर टूटने से आई बाढ़ में उनके साथ करीब ढाई सौ मजदूर व कर्मचारी लापता हो गए थे। कुछ दिनों तक चलाए गए रेस्क्यू आपरेशन के दौरान 100 से अधिक शव बरामद होने पर उनकी पहचान करने के लिए जय किशन के पिता राजकरन के खून का सैंपल मंगवाया गया था। राजकरन के खून का सैंपल लेकर सीएमओ के माध्यम से उत्तराखंड भेजा गया था। साथ में भाई विजय बाबू और जय किशन के साले उदय राज भी गए थे। वहां पिता के सैंपल टेस्ट का शवों के सैंपल से मिलान कराया गया तो उसमें जय किशन नहीं पाया गया। इसके बाद सरकार ने जय किशन सहित 135 को मृत घोषित करते हुए उनके परिवार को प्रमाण पत्र देकर वापस भेज दिया। बुधवार को जब विजय बाबू घर पहंचे तो जय किशन की चारों बेटियां नैना (10), निधि (7), नंदनी (5), गौरी (3) उनके पास दौड़ पड़ी। वे बार-बार पूछती रहीं कि उनके पापा क्यों नहीं आए, कब आएंगे पापा, उनको छुट्टी नहीं मिल रही क्या? कई दिन हो गया वे बात क्यों नहीं कर रहे हैं? यह सुन वे फफककर रोने लगे। उनके रोते ही बेटियों के साथ जय किशन की पत्नी भी रोने लगी। पत्नी निर्मला ने बिलखते हुए बताया कि आठ नवंबर 2020 को वह घर से निकले थे। जब सात फरवरी को घटना की जानकारी हुई तो उसके पांव तले जमीन ही खिसक गई। चौथे नंबर पर था जय किशन--
मृतक जय किशन अपने पांच भाइयों में चौथे नंबर पर थे। इनके पिता राजकरन के नाम मात्र 12 बिस्वा जमीन है। सभी भाई भी अलग रहते हैं। अब तो पिता का साया उठने के बाद चारों बेटियों की शादी और घर मकान सभी की चिता माता निर्मला और दादा राजकरन पर आ गई है। उत्तराखंड सरकार भी कोई राहत प्रदान नहीं की । पत्नी करेंगी नौकरी की मांग--,
पत्नी निर्मला ने बताया कि घर वर्ष 2019 की बरसात में गिर गया था। कोई सरकारी आवास भी नहीं मिला। अब सरकार से नौकरी की मांग करूंगी। यदि सरकार ने सुन ली तो बच्चों का लालन-पालन हो पाएगा वरना जिदगी कठिन हो जाएगी।