बुजुर्गो की आंखें रोज निहारती हैं अपनो को

जागरण संवाददाता मीरजापुर वृद्ध जनों की मासूम आंखें वृद्धाश्रम में आने-जाने वाली हर शख्स

By JagranEdited By: Publish:Mon, 14 Jun 2021 08:09 PM (IST) Updated:Mon, 14 Jun 2021 08:09 PM (IST)
बुजुर्गो की आंखें रोज निहारती हैं अपनो को
बुजुर्गो की आंखें रोज निहारती हैं अपनो को

जागरण संवाददाता, मीरजापुर : वृद्ध जनों की मासूम आंखें वृद्धाश्रम में आने-जाने वाली हर शख्स से पूछती नजर आती हैं। उनकी आंखों में आज भी अपनों के आने का इंतजार दिखता है। कई वृद्धजनों की आंखें तो अपनों का इंतजार करते करते पथरा सी गई हैं।

नगर के कमला प्रसाद, फतहां के प्रकाश नारायण द्विवेदी, त्रिपुरारी शर्मा तो बनारस के कमलेश कुमार जायसवाल और बंगाल से भटकते विध्य धाम स्थित वृद्धाश्रम पहुंचे रतन सबकी एक ही कहानी है। किसी को बेटों ने ठुकराया तो किसी की बेबस बेटियां उम्र के अंतिम पड़ाव में सहारा नहीं बन सकीं। वर्तमान समय में वृद्धजन आवास वृद्धाश्रम में लगभग 55 वृद्धजन अपने बेटे व बेटियों की उपेक्षा के चलते रह रहे हैं। अधीक्षक संजय शर्मा के निर्देशन में सभी वृद्धजन अपने उम्र के अंतिम पड़ाव में स्वस्थ रहते हुए हंसी-खुशी जीवन व्यतीत कर रहे हैं। केस एक

लोगों को कभी न्याय दिलाने वाले प्रकाश नारायण द्विवेदी आज खुद से हार गए। जिन बेटियों को बड़े ही नाज व प्यार से पाला और एनआरआई से विवाह कर रुखसत किया। विदेश में रहने वाली बेटियों ने उनको अपने साथ रखना तक उचित नहीं समझा। बेटियां आज विदेश में ऐशो-आराम का जीवन व्यतीत कर रहीं हैं तो वहीं अधिवक्ता प्रकाश नारायण द्विवेदी वृद्धाश्रम में एकाकी जीवन जीने को मजबूर हैं। केस दो

राब‌र्ट्सगंज के कुशौली गांव के कमलेश कुमार जायसवाल के दो बेटे और पत्नी हैं। बेटों और पत्नी से नहीं जमने के कारण वृद्धाश्रम को ठिकाना बनाया। वर्तमान समय में हंसी खुशी बीते डेढ़ वर्षाें से वृद्धाश्रम में रह रहे हैं। केस तीन

कटरा कोतवाली क्षेत्र के त्रिपुरारी शर्मा भी बेटों के व्यवहार से तंग आकर वृद्धाश्रम रहने लगे। बेटे उनकी देखभाल अच्छी तरीके से नहीं कर रहे थे। आए दिन पिता के साथ मारपीट करते थे। बुढ़ापे में त्रिपुरारी शर्मा ने वृद्धाश्रम को अपना ठिकाना बनाया। केस चार

नगर के सिटी कोतवाली क्षेत्र के रहने वाले कमला प्रसाद का बेटा गलत शोहबत के चलते बिगड़ गया। देखभाल करना तो दूर बेटा आए दिन घर में आए दिन बवाल मचाता था। इसके चलते मजबूरन बीते दो वर्षाे से वृद्धाश्रम में रह रहे हैं। केस पांच

बचपन से अनाथ पश्चिम बंगाल के रतन ने किसी तरह अपना जीवन बिताया। वृद्धाश्रम में भटकते भटकते मां विध्यवासिनी धाम स्थित वृद्धाश्रम में पहुंच गए। वृद्धजन आवास वृद्धाश्रम विध्याचल के अधीक्षक संजय शर्मा ने इनको भटकते हुए देखा तो देखभाल के लिए वृद्धाश्रम लेते आए। बीते तीन वर्षाें से वृद्धाश्रम में वृद्धजनों के साथ हंसी खुशी जीवन व्यतीत कर रहे हैं।

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