सिदूर खेला को लेकर महिलाओं में दिखा उत्साह
जागरण संवाददाता मीरजापुर दुर्गा पूजा पंडाल में एक-दूसरे को सिदूर लगाती और ढाक की धुन
जागरण संवाददाता, मीरजापुर: दुर्गा पूजा पंडाल में एक-दूसरे को सिदूर लगाती और ढाक की धुन पर थिरकती महिलाएं, जय मां दुर्गा के जयकारे से गुंजायमान वातावरण, मां के कान में अपनी मनोकामना पूर्ण करने का संदेश देते श्रद्धालु। कुछ ऐसा ही माहौल सोमवार को मां दुर्गा की प्रतिमा के विसर्जन से पहले सुंदर घाट स्थित हरिसभा मंदिर परिसर पर देखने को मिला। मां के मायके आने और सिदूर खेला के साथ विदाई का मनोरम दृश्य बंगाली समाज की संस्कृति के बारे में बता रहा था। प्रतिमा विसर्जन के लिए रवानगी से पहले कंचन अधिकारी, रीता मुखर्जी, कीर्ति चक्रवर्ती, निशा राय, सुभा लाल चौधरी समेत कई महिलाओं ने सिदूर खेला खेला। 450 साल पहले शुरू हुई थी परंपरा
दशमी पर सिदूर लगाने की पंरपरा सदियों से चली आ रही है। खासतौर से बंगाली समाज में इसका बहुत महत्व है। ऐसी मान्यता है कि मां दुर्गा साल में एक बार अपने मायके आती हैं और वह अपने मायके में 10 दिन रुकती हैं। लगभग 450 साल पहले सिदूर खेला की रस्म पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश के कुछ हिस्सों में पहली बार शुरू हुई थी।