समूह की महिलाओं के मशरूम से बनेगी परिषदीय बच्चों की सेहत

बाटम नवचेतना एफपीओ समूह की महिलाओं पर समूह की महिलाओं को तकनीकी प्रशिक्षण और मशरूम

By JagranEdited By: Publish:Wed, 24 Feb 2021 06:40 PM (IST) Updated:Wed, 24 Feb 2021 11:40 PM (IST)
समूह की महिलाओं के मशरूम से बनेगी परिषदीय बच्चों की सेहत
समूह की महिलाओं के मशरूम से बनेगी परिषदीय बच्चों की सेहत

बाटम

नवचेतना एफपीओ समूह की महिलाओं पर समूह की महिलाओं को तकनीकी प्रशिक्षण और मशरूम के बीज (स्पान) मुहैया कराने की जिम्मेदारी - परिषदीय बच्चों के पौष्टिक आहार में शामिल होगा मशरूम

- समूह की महिलाएं परिषदीय विद्यालयों के लिए तैयार करेंगी मशरूम अमित तिवारी, मीरजापुर : स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा उत्पादित मशरूम से परिषदीय विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों की सेहत बनेगी। परिषदीय विद्यालयों के बच्चों के पौष्टिक आहार में अब मशरूम भी शामिल होगा। मिड डे मील के तहत सप्ताह में एक दिन मशरूम देने की तैयारी चल रही है। इसका उत्पादन स्वयं सहायता समूह की महिलाएं करेंगी। नवचेतना एफपीओ समूह की महिलाओं पर समूह की महिलाओं को तकनीकी प्रशिक्षण और मशरूम के बीज (स्पान) मुहैया कराएगी।

विकास भवन में मुख्य विकास अधिकारी अविनाश सिंह के निर्देशन में उप निदेशक कृषि डा. अशोक उपाध्याय, उद्यान अधिकारी मेवा राम ने आयस्टांग यंग फाउंडेशन (टेक्निकल स्पोर्ट यूनिट कृषि विभाग उत्तर प्रदेश) के पदमांक जानी, प्रदीप कुमार, चित्रलेखा धार, पैट्रीसिया, नव चेतना एग्रो सेंटर सीखड़ एफपीओ के मुकेश पांडेय, डीसी एमडीएम चंद्रशेखर आजाद, डीडीएम एनआरएलएम के साथ इस पर विस्तार से चर्चा की। सीडीओ ने कहा कि विध्य क्षेत्र में एक नया कीर्तिमान स्थापित हो रहा है। इस पहल से स्वयं सहायता समूह की महिलाएं आत्मनिर्भर होंगी। बच्चों को पौष्टिक आहार मिलेगा। कहा कि यह एक पायलट प्रोजेक्ट है। मशरूम चयनित स्कूलों में दोपहर के मेन्यू का एक हिस्सा होगा। फीडबैक के आधार पर पूरे जिले में मेन्यू लागू किया जाएगा। मशरूम में पौष्टिक तत्वों की होती है प्रचुरता

जिला उद्यान अधिकारी मेवा राम ने बताया कि मशरूम में पौष्टिक तत्वों की प्रचुरता होती है, जो स्वास्थ्य के लिए काफी उपयोगी होता है। मशरूम का उत्पादन बहुत कम खर्च में किया जा सकता है। इसको उगाने के लिए फसल अवशेष, पराली व भूसे का उपयोग किया जाता है। इससे पराली व फसल अवशेष का प्रबंधन होगा और आय भी बढ़ेगी। पराली व कृषि अपशिष्ट से मशरूम का होगा उत्पादन

स्वयं सहायता महिला समूहों द्वारा पराली और कृषि अपशिष्ट का उपयोग करके मशरूम का उत्पादन किया जाएगा। उप निदेशक कृषि डा. अशोक उपाध्याय ने बताया कि पराली की मदद से मशरूम बनाने से मांग बढ़ेगी और किसानों को पराली जलाना भी नहीं पड़ेगा। पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा।

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