गंगा व गोमाता से साम‌र्थ्यवान बनेगा देश : गोविदाचार्य

जागरण संवाददाता चुनार (मीरजापुर) भारत की असली ताकत यहां की प्रकृति पर्यावरण लोगों क

By JagranEdited By: Publish:Sat, 19 Sep 2020 10:33 PM (IST) Updated:Sat, 19 Sep 2020 11:07 PM (IST)
गंगा व गोमाता से साम‌र्थ्यवान बनेगा देश : गोविदाचार्य
गंगा व गोमाता से साम‌र्थ्यवान बनेगा देश : गोविदाचार्य

जागरण संवाददाता, चुनार (मीरजापुर) : भारत की असली ताकत यहां की प्रकृति, पर्यावरण, लोगों का मूल स्वभाव तथा हमारे देश के अपने संसाधन हैं। गंगाजी और गोमाता को केंद्र में रखकर पर्यावरण की रक्षा करते हुए प्राकृतिक संसाधनों का सकारात्मक प्रयोग कर समाज सत्ता के दम पर साम‌र्थ्य भारत का निर्माण किया जा सकता है। भारत के पास अपार बौद्धिक व अकूत प्राकृतिक क्षमता है। जिसका देश के विकास में सकारात्मक प्रयोग किए जाने की आवश्यकता है।

ये बातें शनिवार को कैलहट स्थित राजदीप महाविद्यालय कैलहट में आयोजित संवाद प्रवास कार्यक्रम के दौरान प्रख्यात चितक, विचारक और भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय महासचिव रहे केएन गोविदाचार्य ने कही। देव प्रयाग से गंगासागर तक की अध्ययन प्रवास यात्रा पर निकले केएन गोविदाचार्य ने वैश्वीकरण के सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक व राजनीतिक प्रभाव पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि विश्व स्तर पर चितन करने वालों को कम्युनिकेशन, रोबोटिक, आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस, जेनेटिक इंजीनियरिग के घातक प्रभाव नजर आने लगे हैं। तकनीक को नियंत्रित करने के लिए लोकपाल सरीखी व्यवस्था पर बहस का समय आ गया है। उन्होंने अपने चिरपरिचित अंदाज में स्वदेशी की हिमायत करते हुए कहा कि स्वदेशी विकास के लिए भारत को भारत के नजरिए से देखने की आवश्यकता है। केंद्र सरकार द्वारा लाई गई कृषि नीति पर उनका मत पूछे जाने पर गोविदाचार्य ने कहा कि यात्रा के कारण उन्हें अभी इस बिल के बारे में विस्तृत जानकारी नहीं है, लेकिन कारपोरेट खेती और कोआपरेटिव खेती दोनों से ही किसानों का भला होने वाला नहीं है। इसके पूर्व भारत स्वाभिमान परिषद के पवन कुमार श्रीवास्तव ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया। महाविद्यालय के संरक्षक व कार्यक्रम संयोजक इ. राजबहादुर सिंह ने स्वागत तथा आभार व संचालन जिलाजीत सिंह ने की।

कैलाश मानसरोवर होगा देश का अभिन्न अंग

कैलाश मानसरोवर का जिक्र करते हुए गोविदाचार्य ने कहा अब भारत का अभिन्न अंग बनेगा इसका संकल्प लिया गया है। यह बात भले ही अव्यवहारिक लगती हो लेकिन कुछ समय पहले तक श्रीराम मंदिर और धारा 370 जैसे मुद्दे भी अव्यवहारिक लगते थे। इन प्रश्नों के उत्तर का न कोई आंकलन था न ही कोई अनुमान। ऐसे में कुछ भी असंभव नहीं है।

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