बाजार में हावी रही स्वदेशी राखी चीनी व्यवसाय को लाखों का घाटा

जागरण संवाददाता मीरजापुर रक्षाबंधन पर्व पर चीनी राखियां इस बार बाजारों से लगभग गायब सी हो गई। रक्षाबंधन के पवित्र पर्व पर स्वदेशी हावी रहा। लोगों ने तहेदिल से चीनी राखियों को बहिष्कार किया। बहनों ने भाई की कलाई पर स्वदेशी राखियां बांधी और स्वदेशी राखियां नहीं मिलने पर रक्षासूत्र ही बांधा लेकिन चाइनीज राखियों का त्याग गया। चीनी राखियों के बहिष्कार के चलते जनपद में लगभग 10 से 1

By JagranEdited By: Publish:Mon, 03 Aug 2020 06:44 PM (IST) Updated:Mon, 03 Aug 2020 06:44 PM (IST)
बाजार में हावी रही स्वदेशी राखी 
चीनी व्यवसाय को लाखों का घाटा
बाजार में हावी रही स्वदेशी राखी चीनी व्यवसाय को लाखों का घाटा

जागरण संवाददाता, मीरजापुर : रक्षाबंधन पर्व पर चीनी राखियां इस बार बाजारों से लगभग गायब सी हो गई। रक्षाबंधन के पवित्र पर्व पर स्वदेशी हावी रहा। लोगों ने तहेदिल से चीनी राखियों को बहिष्कार किया। बहनों ने भाई की कलाई पर स्वदेशी राखियां बांधी। स्वदेशी राखियां नहीं मिलने पर रक्षासूत्र ही बांधा लेकिन चाइनीज राखियों का त्याग गया। चीनी राखियों के बहिष्कार के चलते जनपद में करीब 10 से 18 लाख का नुकसान उठाना पड़ा है। बीते वर्ष मीरजापुर में राखी के होल सेलरों द्वारा लगभग 18 से 20 लाख की चाइनीज राखियां मंगाया था। इसमें से लगभग दो से तीन लाख की राखियां बची हुई थी। दुकानदारों द्वारा इस बार स्वदेशी को प्राथमिकता देते चीन में बनी राखियों को नहीं मंगाया। हालांकि पिछले वर्ष बची राखियों को इस बार जरूर बेचा। राखी के होलसेलर राजेंद्र कुमार तिवारी ने बताया कि प्रति वर्ष 70 हजार से एक लाख की राखियां आर्डर करते थे लेकिन इस बार चीन में बनी राखियों का आर्डर नहीं दिया। इमरती रोड स्थित रिलेट व्यवसायी रवि केशरवानी ने बताया कि वह बनारस से प्रति वर्ष लगभग 10 से 15 हजार की राखियां लाकर बेचते थे लेकिन इस वर्ष करीब 6 हजार की राखियां ही बेंचा।

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