उड़ान भरने का इंतजार कर रहा था रोपवे, कोरोना ने कुतरे पंख

कमलेश्वर शरण मीरजापुर कोरोना वायरस की बढ़ती संख्या ने पर्यटन कारोबारियों की चिता ब

By JagranEdited By: Publish:Tue, 13 Apr 2021 10:14 PM (IST) Updated:Tue, 13 Apr 2021 10:14 PM (IST)
उड़ान भरने का इंतजार कर रहा था रोपवे, कोरोना ने कुतरे पंख
उड़ान भरने का इंतजार कर रहा था रोपवे, कोरोना ने कुतरे पंख

कमलेश्वर शरण

मीरजापुर : कोरोना वायरस की बढ़ती संख्या ने पर्यटन कारोबारियों की चिता बढ़ा दी है। कोरोना काल में धीरे-धीरे उबरने की कोशिश में जुटे पर्यटन कारोबार को एक बार फिर झटका लगा है। विध्याचल के अष्टभुजा पहाड़ पर बनकर तैयार पूर्वांचल का पहला रोप-वे अभी भी बंद पड़ा है। पिछले वर्ष लोकार्पण न होने से शारदीय नवरात्र में श्रद्धालुओं की रोप-वे की सवारी करने की आस अधूरी रह गई थी। नववर्ष में सीएम योगी आदित्यनाथ ने लोकार्पण कर विध्यवासियों को इसकी सौगात दी, लेकिन उड़ान भरने का इंतजार कर रहे रोप-वे के पंख को कोरोना ने कुतर दिया। रोप-वे चालू न होने से इस बार भी श्रद्धालुओं को कड़ी धूप के बीच सीढ़ी चढ़कर ही विध्य पर्वत पर जाना होगा। यही नहीं, रोप-वे न चालू होने से श्रद्धालु विध्य पर्वत व मां गंगा का मनोरम ²श्य नहीं निहार सकेंगे। विध्यधाम आए श्रद्धालु बड़ी हसरत के साथ रोप-वे को निहारते रहे और कहने लगे कि आखिर यह कब तक चालू होगा।

विध्यवासिनी धाम की महत्ता और मान्यता किसी से छिपी नहीं है। प्रतिदिन सैकड़ों-हजारों श्रद्धालु विध्यधाम में दर्शन के लिए आते हैं। यह मंदिर विध्य पर्वत पर बना है। विध्य पर्वत पर विराजमान अष्टभुजा व काली माता मंदिर तक करीब डेढ़ सौ सीढिय़ां चढ़कर जाना होता है। जहां सीढिय़ां नहीं हैं, वहां समतल चढ़ाव भी श्रद्धालुओं के लिए खासा थकान भरा होता है। इन्हीं सब परेशानियों को दूर करने के लिए रोप-वे निर्माण की गई है। विध्याचल में पूर्वांचल के पहले रोप-वे का सपना फिलहाल पूरा तो हो गया लेकिन रोप-वे की सवारी की हसरत अधूरी रह गई। अष्टभुजा और कालीखोह मंदिर को जोड़ने के लिए रोप-वे का निर्माण कार्य पिछले वर्ष ही पूरा हो गया था। माना जा रहा था कि शारदीय नवरात्र के अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ रोप-वे का लोकार्पण करेंगे। इससे श्रद्धालुओं को भी उम्मीद थी कि वे रोप-वे की सवारी कर विध्य पर्वत का अद्भुत नजारा निहार सकेंगे लेकिन लोकार्पण नहीं हो पाया। इस कारण शारदीय नवरात्र में श्रद्धालुओं को कालीखोह व अष्टभुजा माता के दर्शन के लिए पहाड़ की सीढिय़ां चढऩी पड़ी थी। रोप-वे चालू होने से मिलती सुविधा, दस मिनट में होता त्रिकोण

अष्टभुजा पहाड़ी पर पैदल त्रिकोण यात्रा पूरी करने में करीब एक घंटे का समय लगता है। कालीखोह मंदिर से ऊपर सीढिय़ों से चढऩे में ही 20 से 25 मिनट लग जाते हैं। रोप-वे के माध्यम से यह दूरी मात्र दस मिनट में पूरी हो जाती। ऐसे में बुजुर्ग दर्शनार्थियों को काफी राहत होती और पैदल चलने की बजाय वे रोप-वे के माध्यम से त्रिकोण परिक्रमा पूरी कर पातें। 265 मीटर ऊंचे रोप-वे के चालू होने से दर्शनार्थियों को अष्टभुजा और कालीखोह मंदिर तक पहुंचने में सिर्फ दो मिनट लगतें। नववर्ष पर विध्यवासियों को मिली थी रोप-वे की सौगात

नई दिल्ली की ग्लोरियस कंपनी से रोप-वे निर्माण का करार वर्ष 2014 में हुआ था। वन भूमि पर प्रोजेक्ट होने के कारण केंद्र सरकार से 2017 में कंपनी को निर्माण कार्य कराने की स्वीकृति मिली। कंपनी ने लगभग 16 करोड़ रुपये खर्च कर पीपीपी माडल पर 2020 में रोप-वे निर्माण कार्य पूरा कराया। नववर्ष पर सीएम योगी आदित्यनाथ ने रोप-वे का लोकार्पण कर विध्यवासियों को सौगात दी। वर्जन

विध्य पर्वत पर पूर्वांचल का पहला रोप-वे बनकर तैयार हो गया है। उसकी टेस्टिग कर शासन को रिपोर्ट भेजी जा चुकी है। नववर्ष पर सीएम योगी आदित्यनाथ ने रोप-वे का लोकार्पण किया था। रोप-वे चालू करने के लिए शासन से अनुमति का इंतजार है।

- नवीन कुमार, सहायक पर्यटन अधिकारी, मीरजापुर

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