फ्रीज के पानी से तौबा कर रहे लोग, घड़े की मांग बढ़ी

जागरण संवाददाता मीरजापुर कोरोना काल में एक बार फिर लोगों को मिट्टी के घड़ों की जरू

By JagranEdited By: Publish:Mon, 10 May 2021 05:55 PM (IST) Updated:Mon, 10 May 2021 05:55 PM (IST)
फ्रीज के पानी से तौबा कर रहे लोग, घड़े की मांग बढ़ी
फ्रीज के पानी से तौबा कर रहे लोग, घड़े की मांग बढ़ी

जागरण संवाददाता, मीरजापुर : कोरोना काल में एक बार फिर लोगों को मिट्टी के घड़ों की जरूरत समझ में आने लगी है, क्योंकि फ्रीज के पानी से लोग तौबा कर रहे हैं। चार दशक पहले तक गरमी में पानी ठंडा करने के लिए मिट्टी का घड़ा घर-घर रखा जाता था। आम आदमी ही नहीं, शहर में पैसे वाले लोग भी घड़े का पानी पीना पसंद करते थे। जगह-जगह प्याऊ लगाए जाते थे।

वक्त बदला और आधुनिक दौर में फ्रीज व वाटर कूलर का चलन बढ़ गया। कोरोना ने घड़े की वापसी तो कराई ही है, साथ ही मांग भी बढ़ गई है। अब बुजुर्ग फ्रीज की जगह घड़े का पानी पीने की सलाह लोगों को दे रहे हैं। दांती गांव निवासी 80 वर्षीय बहादुर गुप्ता ने बताया कि पहले गरमी बढ़ने के साथ ही हर घर में बालू बिछाकर उसके ऊपर घड़ा रखा जाता था। इसमें पानी भरकर सकोरे से ढक दिया जाता था। घड़े का पानी लगभग दो घंटे में ठंडा हो जाता था। साथ ही मिट्टी की सौंधी सुगंध आती थी। इससे पानी का स्वाद पसंद किया जाता था। मिट्टी के घड़े का पानी स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा माना जाता है। कुछ वर्षों से घड़ा और सुराही विलुप्त होने लगे थे। मांग घटने से कुम्हारों ने घड़ा बनाना कम कर दिया था। कोरोना काल में फ्रीज के ठंडे पानी से परहेज ने अब फिर घड़े की मांग बढ़ा दी है। मनोहर प्रजापति ने बताया कि घड़े की डिमांड कोरोना के कारण बढ़ी है। घड़ा साइज के हिसाब से 80 से लेकर दो सौ रुपये तक बिक रहा है। घड़े के पानी में कीटाणु मर जाते हैं, शुद्धता रहती है और शरीर को कोई नुकसान नहीं होता। घड़े का पानी पीने से शरीर स्वस्थ रहता है। इसकी खूब मांग हो रही है, इसलिए घड़ा बनाना फिर शुरू कर दिया है। डाक्टरों का भी मानना है कि वाटर कूलर का पानी पीने लायक नहीं रहता। घड़े का पानी पीने से शरीर को लाभ होता है।

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