अब रिपोर्ट लेकर क्या करेंगे, जिनकी जांच कराई थी वे तो चले गए

जागरण संवाददाता मीरजापुर स्वास्थ्य विभाग यह हाल हो गया कि लोगों की मौत होने के बाद उनक

By JagranEdited By: Publish:Tue, 20 Apr 2021 06:22 PM (IST) Updated:Tue, 20 Apr 2021 06:22 PM (IST)
अब रिपोर्ट लेकर क्या करेंगे, जिनकी जांच कराई थी वे तो चले गए
अब रिपोर्ट लेकर क्या करेंगे, जिनकी जांच कराई थी वे तो चले गए

जागरण संवाददाता, मीरजापुर : स्वास्थ्य विभाग यह हाल हो गया कि लोगों की मौत होने के बाद उनकी जांच रिपोर्ट आ रही है। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि विभाग की स्थिति कितनी चरमा गई है। हालात इतने खराब हो चुके हैं कि लोगों के सामने अब जांच करने का मौका तक नहीं मिल पा रहा है। आज तबीयत खराब हुई और कल मौत हो जा रही है। अभी भी लोग संभले नहीं तो काफी मुश्किल होगी।

जनपद में सैंपल लेने से लेकर कोरोना लैब के कर्मचारी तक इस समय वायरस की चपेट में है। इसके चलते न सैंपल लिए जा रहे और न ही जांच पूरी तरह से हो पा रही है। जांच कराने वाले लोगों को पांच दिन बाद रिपोर्ट मिल रही है। जब जांचकर्ता को रिपोर्ट दी जा रही है तब तक बहुत देर हो जा रही है। बताया जा रहा है कि जिनकी जांच कराई गई थी उनकी मौत हो गई। अब रिपोर्ट लेकर क्या करेंगे। कुछ ऐसा ही हाल रहा नगर निवासी एक व्यक्ति का जिनकी कुछ दिनों पहले तबीयत खराब हुई। अस्पताल ले आए तो उनको कोरोना जांच कराने को कहा गया। जांच कराई लेकिन रिपोर्ट उस दिन नहीं मिली। उनका इलाज चल रहा था। इसी बीच उनकी मौत हो गई। जब रिपोर्ट आई तो उनके घर फोन गया कि वे वायरस से पीड़ित हैं। यह सुन परिवार के लोगों ने कहा कि अब पॉजिटिव हो या निगेटिव क्या फर्क पड़ता है। वे तो चले गए, यह सुन कर्मचारी ने फोन काट दिया। इनसेट

डाक्टरों के फोन नहीं उठने से मरीज परेशान

अस्पताल की ओपीडी बंद कर दिए जाने से लोग अपनी बीमारी के बारे में डाक्टर को नहीं बता रहे हैं। प्रशासन की ओर से डाक्टरों के जारी किए गए फोन नंबर नहीं उठने से धीरे-धीरे स्थिति और भयावह होती जा रही है। इमरजेंसी में तैनात डाक्टर भी बढ़ते मरीजों को देखते हुए इलाज करने से कतराने लगे हैं। इसके चलते मरीजों की मरने की संख्या में आए दिन बढ़ोतरी हो रही है। सरकारी अस्पताल की ओपीडी की क्या बंद हुई निजी चिकित्सकों की चांदी कटने लगी। वे हालात में सहयोग करने की बजाय नाम मात्र के मरीज देखने लगे हैं। हर किसी को कोरोना का मरीज होने की आशंका जताते हुए सरकारी और निजी चिकित्सक उनको देखने से इन्कार कर रहे हैं। इलाज नहीं मिलने के कारण अधिकांश मरीजों की मौत होती जा रही है। पिछले एक सप्ताह के अंदर के आकड़े पर गौर की जाए तो 35 से अधिक लोगों की मौत हो गई। इनमें भी कोरोना जैसे लक्षण रहे, लेकिन जांच नहीं होने के कारण इन्हें कोरोना का मरीज नहीं बताया गया। मरने वालों में 25 लोगों को सांस लेने में तकलीफ होने बताया गया। 18 अप्रैल की रात से नगर के चील्ह, मकरीखोह, वासलीगंज, डंकीनगंज आदि इलाके लोगों की मौत हुई है।

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