जिदगी है दांव पर फिर जिदगी के वास्ते..

आजादी के अमर सपूत चंद्रशेखर आजाद की शहादत को याद करने के

By JagranEdited By: Publish:Tue, 02 Mar 2021 04:44 PM (IST) Updated:Tue, 02 Mar 2021 04:44 PM (IST)
जिदगी है दांव पर फिर जिदगी के वास्ते..
जिदगी है दांव पर फिर जिदगी के वास्ते..

जागरण संवाददाता, मीरजापुर : आजादी के अमर सपूत चंद्रशेखर आजाद की शहादत को याद करने के लिए नारघाट स्थित शहीद उद्यान में कवि सम्मेलन एवं मुशायरे का आयोजन हुआ। कार्यक्रम की शुरुआत कवियों एवं शायरों की ओर से अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद की शहादत को श्रद्धांजलि अर्पित करने के साथ की गई। 'हिदीश्री सम्मान' का सभी कवियों को सम्मान पत्र दिया गया और गायिका अजिता श्रीवास्तव को शाल भेंट किया गया। कवि सम्मेलन का प्रारंभ सृष्टिराज की वाणी वंदना से हुआ। अध्यक्ष बृजदेव पांडेय ने-देख लिया है पेड़ के पीछे, छिपे भेड़ियों को, जो उनको नोचने के लिए अवसर के इंतजार में दुबके हुए हैं। गणेश गंभीर ने-जिदगी है दांव पर फिर जिदगी के वास्ते, घर जलाया है किसी ने रोशनी के वास्ते सुनाया। आनंद अमित ने ़ग•ाल सुनाते हुए कहा- दर्द उभरा है पुराना आजकल, है हवा का ही असर या और कुछ। भोलानाथ कुशवाहा ने-मित्र खिड़की खोलकर रखना ताकि शुद्ध हवा आती रहे सुनाकर मंत्रमुग्ध कर दिया।

ज्ञानपुर भदोही के शायर डा. कृष्णावतार राही ने पढ़ा-गंध आजाद होकर बिखरती रही, फूल को हम गिरफ्तार करते रहे, स्वप्न साकार कोई नहीं हो सका, भदोही के ही शायर संदीप बाला ने कहा-हवाएं तो निर्दोष हैं विष घोलता कोई और है, कंधा किसी का धर बंदूक छोड़ता कोई और है। हसन जौनपुरी ने कहा-मिलेगी मुझको जन्नत तो मैं कह दूंगा, अरविद अवस्थी ने-अभी-अभी टूट गया मेरा ख्वाब कि जोर से रोने की कोई आवाज लहूलुहान थी अखबार की हेडिग, कर्मराज किसलय ने धन्य है मेरा भारत जहां पचास, सौ किलो की मालाएं पहनने वाले आंखें मूदकर चलते हैं। श्रुति जायसवाल ने दुख नहीं बदलते, बदलते हैं उनके चित्र, इला जायसवाल ने शब्द कभी हथियार नहीं होते, पर लड़ते हैं बड़े-बड़े युद्ध, और करते हैं रक्षा धरती की सुनाकर मंत्रमुग्ध कर दिया। काव्यपाठ करने वाले अन्य कवि सर्वश्री शिव प्रसाद द्विवेदी, अजिता श्रीवास्तव, अखिलेश टंडन, लालव्रत सिंह सुगम, आनंद अमित, रवींद्र कुमार पांडेय, इंतियाज अहमद गुमनाम, आशीष कुमार, अमरनाथ सिंह, केदारनाथ सविता आदि रहे।

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