किसानों की आय बढ़ने में बाधक है कंडुआ रोग, किसान बरतें सावधानी
जागरण संवाददाता मीरजापुर खेती के दौरान एक छोटी सी भूल किसानों की उपज को प्रभावित कर
जागरण संवाददाता, मीरजापुर : खेती के दौरान एक छोटी सी भूल किसानों की उपज को प्रभावित कर सकती है। कभी-कभी कंडुआ रोग किसानों की आय बढ़ाने में बाधक बनता है। खेत में यूरिया के अधिक प्रयोग व अधिक नमी से रोग की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे में रोग से बचाव के लिए नर्सरी डालने व बुवाई से पहले नमक का पानी में घोल बना कर उपचारित कर सकते हैं।
कंडुआ रोग अक्टूबर व नवंबर महीने में फसल तैयार होते समय पता चलता है। प्राय: अधिक उपज देने वाली प्रजातियों में लगता है। बालियां निकलने पर ही रोग दिखाई देता है। यूरिया के अधिक प्रयोग तथा अधिक नमी की दशा में भी रोग लगने की संभावना बढ़ जाती है। रोगी फसल का चावल खाने वाले के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। कृषि विज्ञान केंद्र बरकछा के अध्यक्ष डा. श्रीराम सिंह ने बताया कि जनपद में कंडुआ व आभासी कंडुआ से धान की फसल प्रभावित हुई थी। फसलों को कंडुआ रोग से बचाने के लिए रोगग्रस्त फसल का बीज प्रयोग नहीं करे। कंडुआ रोग से किसान ऐसे पाएं निजात
कृषि विज्ञान केंद्र बरकछा के अध्यक्ष डा. श्रीराम सिंह ने बताया कि नर्सरी डालने व बुवाई से पहले नमक का पानी में घोल बनाकर उपचारित करें। नर्सरी डालने से पूर्व कार्बेडाजिम दो ग्राम दवा से प्रति किग्रा बीज का शोधन अवश्य कर लें। जिन क्षेत्रों में यह रोग लगता है। उन क्षेत्रों में पुष्पन के दौरान किसान कापर आक्सीक्लोराइड के 0.3 प्रतिशत घोल का छिड़काव करें। वर्शन
कंडुआ रोग किसानों की फसल प्रभावित करता है। यह रोग बालियां निकलने के समय पता चलता है। इसके चलते विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है।
- डा. श्रीराम सिंह, अध्यक्ष, कृषि विज्ञान केंद्र, बरकछा, मीरजापुर।