कोरोना की तीसरी लहर को लेकर मुकम्मल तैयारी नहीं, उठ रहे सवाल

जागरण संवाददाता मीरजापुर कोरोना की तीसरी लहर से बचाव के इंतजाम मुकम्मल न होने पर सवाल

By JagranEdited By: Publish:Wed, 04 Aug 2021 09:36 PM (IST) Updated:Wed, 04 Aug 2021 09:36 PM (IST)
कोरोना की तीसरी लहर को लेकर मुकम्मल तैयारी नहीं, उठ रहे सवाल
कोरोना की तीसरी लहर को लेकर मुकम्मल तैयारी नहीं, उठ रहे सवाल

जागरण संवाददाता, मीरजापुर : कोरोना की तीसरी लहर से बचाव के इंतजाम मुकम्मल न होने पर सवाल उठने लगे हैं। मरीजों के लिए जीवन रक्षक रेमडेसिविर और फेरापिराविर जैसे इंजेक्शन बाजारों में नहीं मिल रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के पास भी नाममात्र के इंजेक्शन हैं।

बहुत ढूंढने पर किसी मेडिकल पर इंजेक्शन मिल भी गया तो इनकी कीमत निर्धारित मूल्य से काफी अधिक होती है।कोरोना की दूसरी लहर में विभाग के पास मात्र 70 रेमडेसिविर का इंजेक्शन आया था जबकि फेरापिराविर इंजेक्शन का कहीं अता-पता नहीं था। बाजारों में भी ये जीवन रक्षक इंजेक्शन या दवाएं नहीं मिलेंगी तो कैसे तीसरी लहर में लोगों का इलाज होगा। यह सोचने वाली बात है।

शासन और प्रशासन दूसरी लहर में मचे हाहाकार से भी कुछ नहीं सीख पाए। यही कारण है कि कोरोना से बचाने वाले महत्वपूर्ण इंजेक्शन रेमडेसिविर व फेरापिराविर इंजेक्शन बाजारों में नहीं मिल रहे हैं। इसके अलावा जांच मशीनें भी नहीं मिल रही है। दूसरी लहर के दौरान तो बाजारों से विटामिन सी की गोलियां खत्म हो गई थीं। कालपाल, पैरासिटामॉल, क्रोसिन, कुछ एंटीबायेटिक दवाएं व ऑक्सीजन मीटर भी नहीं मिल पा रहे थे। इससे मरीजों को इन दवाओं और जांच की मशीनों के लिए भटकना पड़ा।

हालात बहुत ही बुरे रहे। सबसे अधिक दिक्कत ऑक्सीजन की रही। भले की सरकार किसी की आक्सीजन से मौत नहीं होने की बात कर रहा हो, लेकिन यह भी जानते हैं कि ऑक्सीजन की कमी से कितनी मौतें हुई। लोग हजारों लाखों रुपये लेकर ऑक्सीजन सिलेंडर खरीदने के लिए परेशान थे लेकिन किसी को सिलेंडर नहीं मिल रहे थे। तीसरी लहर में भी इन दवाओं पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इससे अभी तक ये इंजेक्शन बाजार में नहीं मिल रहे हैं। वर्तमान में स्वास्थ्य विभाग के पास दस इंजेक्शन

कोरोना के दूसरी लहर में तेजी पकड़ने के बाद स्वास्थ्य विभाग को 75 रेमडेसिविर इंजेक्शन मिला था। इसमें 65 इंजेक्शन मरीजों को लगा दिए गए । वर्तमान में दस रेमडेसिविर इंजेक्शन बचे है। जहां तक फेरापिराविर इंजेक्शन की बात है तो इसके बारे में अभी तक किसी को कुछ पता ही नहीं है। बताया गया कि इस इंजेक्शन को यहां पर नहीं भेजा गया है। रेमडेसिविर इंजेक्शन प्रोडक्शन कम

देश में रेमडेसिविर का प्रोडक्शन कम हो रहा है, इसलिए यह बाजारों अधिक नहीं मिल रही है। जिनके पास भी है सीमित मात्रा में है। फेरापिराविर इंजेक्शन बड़े शहरों में मिल रही है। छोटे शहरों में तो अधिकांश लोग अभी नाम भी नहीं इसका जानते होंगे। बीपी और सुगर मशीन की रही कमी

कोरोना के दूसरी लहर में जिले में बीपी मशीन, सुगर मशीन, आक्सीमीटर आदि जांच की मशीनें नहीं मिेल रही है। लोग मशीनें खरीदने के लिए परेशान रहे। कहीं पर मिल रही थी तो जो मशीनें पांच सौ से पंद्रह सौ रुपये में मिलती थी। वह पांच हजार से 15 हजार तक रुपये में बेची गई। नगर निवासी रामविलास ने कहा कि उनकी माता बीमार थी। उनका ऑक्सीजन लेवल लगातार गिर रहा था। उसकी जांच करने के लिए जब बाजार में मशीन खरीदने गए तो नहीं मिल रही थी। एक मेडिकल पर बहुत मुश्किल से पांच हजार रुपये में मिली। बीपी मशीन तो छह हजार रुपये में दी गई। जबकि बाजार में इसका रेट एक हजार से 1500 रुपये है। बाजारों से गायब हो गई थी विटामिन सी की गोलियां

कोरोना में इम्युनिटी बढ़ाने के लिए हर कोई प्रयास कर रहा था। लोगों से विटामिन सी की गोलियां या नीबू को निचोड़कर उसके रस को पानी में घोल बनाकर पीने की सलाह दी गई। ऐसा नहीं करने पर विटामिन सी की गोलियां बाजारों से खरीदकर खाने की सलाह दी गई। इससे आपकी शरीर को मजबूती प्रदान होने की बात कही गई। यह सुनकर अधिकांश लोगों ने बाजारों से विटामिन सी की गोलियां खरीद ली थी। इससे इसकी कमी हो गई। जेनरिक दवाओं के मेडिकलों पर भी जांच मशीनें नहीं मिल रही

आज के समय में अधिकांश दवाएं बाजारों में मिल रही है। लेकिन अधिकांश रोगों के जांच मशीनों की बात की जाए तो वे नहीं मिल रही है। यह सबसे बड़ा सवाल है। मेडिकलों पर इन मशीनों को नहीं पाएंगे। कही पर मिल भी गई तो महंगे दाम पर मिलेंगी। जेनरिक दवाओं को बेचने वाले मेडिकलों पर भी कोई जांच मशीन नहीं मिल पा रही है। जबकि केंद्र सरकार ने यहां पर सारी मशीनें सस्ते दरों में मिलने की बात कही थी। दुकानदार या तो इसको रख नहीं रहे हैं या फिर बाजारों में महंगे दामों पर बेचने काम कर रहे हैं। वर्जन

तीसरी लहर के लिए सारी तैयारी की गई है। पर्याप्त मात्रा में दवा व जरूरत की इंजेक्शन है। जरूरत पड़ने पर और मंगाया जाएगा।

डा. पीडी गुप्ता मुख्य चिकित्साधिकारी

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