पीएम आवास योजना में निजी एजेंसी ने लगाई सेंध

प्रधानमंत्री की सबसे महत्वपूर्ण गरीबों के लिए आवास योजना में निजी एजेंसी ने सेंधमारी कर ली है। इससे न सिर्फ पीएम के सपनों का घर बनने में रूकावट पैदा हो रही है बल्कि हजारों पात्र लाभार्थियों को आवास न मिलने से सरकार के प्रति रोष भी बढ़ रहा है।ग्रामीण क्षेत्र में ग्राम प्रधान, सचिव, पंचायत सदस्य व शहरी क्षेत्र में सभासदों की मिलीभगत से अपात्रों को पात्र और पात्रों को अपात्र बनाने बनाने का गोरखधंधा धड़ल्ले से चल रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 19 Nov 2018 11:52 PM (IST) Updated:Mon, 19 Nov 2018 11:52 PM (IST)
पीएम आवास योजना में निजी एजेंसी ने लगाई सेंध
पीएम आवास योजना में निजी एजेंसी ने लगाई सेंध

जागरण संवाददाता, मीरजापुर :

प्रधानमंत्री की सबसे महत्वपूर्ण गरीबों के लिए आवास योजना में निजी एजेंसी ने सेंधमारी कर ली है। इससे न सिर्फ पीएम के सपनों का घर बनने में रूकावट पैदा हो रही है बल्कि हजारों पात्र लाभार्थियों को आवास न मिलने से सरकार के प्रति रोष भी बढ़ रहा है।ग्रामीण क्षेत्र में ग्राम प्रधान, सचिव, पंचायत सदस्य व शहरी क्षेत्र में सभासदों की मिलीभगत से अपात्रों को पात्र और पात्रों को अपात्र बनाने बनाने का गोरखधंधा धड़ल्ले से चल रहा है। प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए प्राथमिक दो स्तरों पर निजी आइटी एजेंसियों की सेवा ली जा रही है। इसमें पात्रों का सर्वे व मकानों की जियो टै¨गग कराने का काम शामिल है। इसके बाद यह सूची स्थानीय निकायों द्वारा स्वीकृत कराई जाती है। एजेंसी के सर्वेयर गांवों में सीधे ग्राम प्रधान से संपर्क करते हैं और शहरी क्षेत्र में सभासदों से। वे ब्लाक, नगर पंचायत, क्षेत्र पंचायत या जिला पंचायत के पास तब पहुंचते जब वे भौतिक सर्वे व जिया टै¨गग का काम पूरा हो जाता है। सूत्रों ने बताया कि हाल ही में कुछ विकास खंडों में जब ब्लाक स्तर के अधिकारियों ने निजी एजेंसी द्वारा दी गई सूची का सत्यापन कराया तो उनके पैरों तले जमीन खिसक गई। इन सूचियों में ऐसे-ऐसे लोगों को भी आवास दिए गए हैं जिनके पास पहले से दो-दो मंजिला मकान हैं। वहीं वास्तविक पात्र लाभार्थियों को सिर्फ इसलिए अपात्र की सूची में डाल दिया गया क्योंकि उन्होंने रिश्वत की रकम अदा नहीं की। निजी एजेंसी के सर्वेयर, ग्राम प्रधान व सभासद की मिलीभगत से यह काम जिले में खुलेआम चल रहा है। इस तरह से होता है खेल

निजी एजेंसी के सर्वेयर को गांव-गांव, शहर की बस्तियों, कालोनियों में जाकर पात्रों का सर्वे करना है। वे प्रधान या सभासद से सीधे संपर्क करते हैं। फिर अन्य माध्यमों से गांव के लोगों से पैसा मांगा जाता है। जो नहीं देता वह सूची से बाहर और जो दे देता है लखपति हो तब भी सूची में दर्ज हो जाता है। यह पूरी प्रक्रिया गुप्त तरीके से चलती है। इसकी शिकायतें तो आती हैं लेकिन जांच में कभी किसी को दोषी नहीं पाया जाता। यह खेल ज्यादातर ग्राम पंचायतों व नगर निकायों में चल रहा है। दर-दर भटक रहे गरीब

जिलाधिकारी कार्यालय के आंकड़े देखें तो हर महीने से 70 से ज्यादा शिकायतें आवास को लेकर आती हैं। इनमें से भी 90 फीसद शिकायतें उन गरीबों की होती हैं जिन्हें पैसा न देने की वजह से अपात्र बना दिया गया। विभाग के पास अपने आंकड़े हैं लेकिन वास्तव में गरीबों को ही आवास मिल रहा है कि नहीं, इसे परखने का पैरामीटर नहीं है। वे उसी निजी एजेंसी के भरोसे हैं, जो प्राथमिक स्तर पर ही घालमेल कर रही है। जिया टै¨गग के भी पैसे

कई गांवों में जियो टै¨गग कराने के नाम पर भी निजी एजेंसी द्वारा पैसे लेने का प्रकरण सामने आया है। मझवां ब्लाक के गोरही ग्राम सभा में महीने भर पहले कराई गई जियो टै¨गग के लिए 100 से 500 रूपये प्रति मकान वसूले गए लेकिन अभी तक किसी भी लाभार्थी तक आवास नहीं पहुंचा है। अहरौरा, राजगढ़, मड़िहान, लालगंज, हलिया, गैपुरा और चील्ह से भी आवास के लिए रिश्वत की दर्जनों शिकायतें अधिकारियों तक पहुंचती हैं। पीएम आवास एक नजर में

कुल स्वीकृत धनराशि- एक लाख 30 हजार

आवास की प्रथम किस्त- 44 हजार रूपये

आवास की दूसरी किस्त- 76 हजार रूपये

आवास की तीसरी किस्त- 10 हजार रूपये

2016-17 तक चयनित आवास- 23421

2018-19 में चयनित आवास- 4396 ------------------

वर्जन

'निजी एजेंसी द्वारा ऐसा किया जा रहा है तो इसकी जांच कराई जाएगी। जहां से भी शिकायतें आएंगी उन पर सख्ती से कार्रवाई की जा रही है। हमारा लक्ष्य पात्र गरीबों को छत मुहैया कराना है।'

प्रियंका निरंजन, सीडीओ, मीरजापुर

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