पारा चढ़ने से बढ़ी गर्मी, दिन में निकलना मुश्किल

मई का महीना बीतने जा रहा है और गर्मी लगातार बढ़ती जा रही है। सोमवार को जिले का तापमान 43 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया। दिन में तेज धूप की वजह से लोगों का बाहर निकलना मुश्किल हो गया है। सुबह दस बजे से लेकर दोपहर तीन बजे तक हालात ज्यादा खराब रहती है। तेज धूप में चल रही गर्म हवाओं से राहगीरों की राह मुश्किल हो रही है वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में उड़ रही धूल ने चलना मुहाल कर दिया है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 20 May 2019 10:05 PM (IST) Updated:Tue, 21 May 2019 06:26 AM (IST)
पारा चढ़ने से बढ़ी गर्मी, दिन में निकलना मुश्किल
पारा चढ़ने से बढ़ी गर्मी, दिन में निकलना मुश्किल

जागरण संवाददाता, मीरजापुर : मई का महीना बीतने जा रहा है और गर्मी लगातार बढ़ती जा रही है। सोमवार को जिले का तापमान 43 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया। दिन में तेज धूप की वजह से लोगों का बाहर निकलना मुश्किल हो गया है। सुबह दस बजे से लेकर दोपहर तीन बजे तक हालात ज्यादा खराब रहती है। तेज धूप में चल रही गर्म हवाओं से राहगीरों की राह मुश्किल हो रही है वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में उड़ रही धूल ने चलना मुहाल कर दिया है। पिछले तीन दिनों से दिनों से सूर्य का तापमान बढ़ता जा रहा है। पारा 43 डिग्री सेल्सियस के आसपास बना हुआ है। तेज धूप में तेज हवा बह रही है और परेशान लोग तीखी धूप व हवा से खुद को बचाते नजर आ रहे हैं। हर कोई कह रहा है ये गर्मी ने तो बुरा हाल कर रखा है। जनपद के हाइवे पर निकलिए या शहर की सड़कों पर, यहां दिन में ही सन्नाटा पसरा रहता है। बाजार में भी ग्राहक सुबह व शाम को ही दिखाई देते हैं। इलेक्ट्रानिक की दुकान चला रहे विजय जायसवाल ने बताया कि दोपहर 12 बजे से शाम को तीन बजे तक ग्राहक कम ही आते हैं। इतनी गर्मी में कोई बाहर नहीं निकलना चाहता। 92 वर्षीय बुजुर्ग कमला प्रसाद सिंह ने बताया कि पहले इतनी गर्मी नहीं पड़ती थी। उन्होंने कहा कि बचपन में हम पूरी गर्मी आम के बगीचे में बिता देत थे और किसी को लू नहीं लगती थी। अब तो यह हालत है कि दिन में घर से बाहर निकलने में भी डर लगता है। पेड़ों का महत्व समझ में आया

भीषण गर्मी के बीच रास्ते पर जब कोई छायादार वृक्ष मिलता है तो लोग वहीं रुक जाते हैं। फिर चर्चा होती है कि पेड़ कितने जरुरी है। उद्यान अधिकारी मेवाराम ने बताया कि पौधे लगाना तो लोग भूलते ही जा रहे हैं। गांव में भी पेड़ों की अंधाधुंध कटाई से पर्यावरण का संतुलन बिगड़ रहा है। उन्होंने कहा कि हर साल लोगों को पौधे लगाने चाहिए नहीं तो एक दिन ऐसा आएगा कि यह पुराने पेड़ भी बेअसर हो जाएंगे।

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