-शौक ने दिलाई हुनर को पहचान, योग ने दी जीने की राह
धीरज धरि योग मन भावा स्वच्छ मन और स्वस्थ तन पावा। स्वस्थ रहने के श्
कमलेश्वर शरण, मीरजापुर : धीरज धरि योग मन भावा, स्वच्छ मन और स्वस्थ तन पावा। स्वस्थ रहने के शौक को जब बाबा रामदेव के शिविर में'रहना है निरोग तो करना है योग' का मंत्र मिला तो भोला नाथ ने अपने शौक को हुनर बनाया और इस हुनर का विध्य नगरी ने खुलकर अपनाया। आखिरकार भोलानाथ के शौक को पहचान मिल ही गई। 2017 से उन्होंने योग का प्रशिक्षण देकर लोगों को स्वस्थ बनाने का मंत्र देना शुरू किया। उनका यह सफर लगातार जारी है। कहीं से भी योग का अभ्यास कराने का आमंत्रण मिला तो मन इस कदर मचल उठता है कि वहां समय निकालकर पहुंचना है। उनके इसी लगन व मेहनत का परिणाम है कि वे आज न सिर्फ विध्य योग सेवा धाम के संरक्षक हैं, बल्कि विध्य क्षेत्र के हजारों लोगों को योग की विधाओं से स्वस्थ रहने के गुर सिखा चुके हैं। स्वस्थ रहना और सुंदर दिखना प्रत्येक व्यक्ति की चाहत होती है। इसके लिए लोग तरह-तरह के जतन भी करते हैं। इसी तरह की चाहत रखने वाले भोलानाथ योग गुरु से पहले सभासद थे। इसी बीच उनके मन में कहीं न कहीं यह बात कचोटती रहती थी कि कैसे खुद स्वस्थ रहने के साथ अन्य को भी स्वस्थ रहने का पाठ पढ़ाया जाए। वर्ष 2007 में योग शिक्षक के लिए उनका चयन हुआ और वे ट्रेनिग के लिए उत्तराखंड के हरिद्वार गए। हरिद्वार में बाबा रामदेव से मुलाकात करने का मौका मिला तो मानो उनकी मन मांगी मुराद पूरी हो गई। वहीं से योग प्रशिक्षण लेने के बाद पूरी तनमयता के साथ लोगों को योग-प्राणायाम का प्रशिक्षण देने में जुट गए। साथ ही स्कूलों में योग की कक्षा संचालित करने लगे। योग गुरु ने बताया कि वे अब तक जिले भर के लगभग पांच सौ गांवों में निश्शुल्क योग शिविर लगाकर प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से लगभग पांच लाख लोगों को योग सीखा चुके हैं।
वर्जन
भागमभाग जिदगी में लोगों के पास केवल काम है, आराम नहीं। मानसिक, शारीरिक व बौद्धिक विकास के लिए योग महत्वपूर्ण है। योग नियमित करें तो रोग आसपास भी नहीं फटकेगा। योग से रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है और बैक्टीरिया व वायरस का प्रभाव नहीं पड़ता। योग के जरिए स्वस्थ गांव व स्वस्थ समाज की परिकल्पना संभव है। योग से मन की एक्राग्रता बढ़ती है। इससे नई उर्जा प्राप्त होती है।
- भोला नाथ, योग गुरु।
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योग के जरिए रोग से पाई
मुक्ति, मिला नया जीवन
शुगर व ब्लड प्रेशर से ग्रसित विध्याचल निवासी अधिवक्ता देवेंद्र प्रसाद मिश्र उर्फ चुन्नू लगातार शरीर के बढ़ते वजन से परेशान थे। एक वर्ष पूर्व कमर की नस में खिचाव से चलने-फिरने में असमर्थ हो गए। उन्होंने बीएचयू के न्यूरो विभाग के प्रमुख डा. विवेक शर्मा को दिखाया। फायदा नहीं हुआ। निराशा की स्थिति में योग गुरु भोलानाथ से संपर्क हुआ। आयुर्वेदिक उपचार के साथ ही कुछ आसान और प्राणायाम बताए। मात्र पंद्रह दिनों तक आसन व प्राणायाम का नतीजा यह निकला कि वे पूरी तरह स्वस्थ हो गए।