पर्यटन मानचित्र पर उभारना सरकार की मंशा
जागरण संवाददाता विध्याचल (मीरजापुर) विध्यधाम तीर्थ विकास परिषद के गठन के बाद विध्यवासिनी मंि
जागरण संवाददाता, विध्याचल (मीरजापुर) : विध्यधाम तीर्थ विकास परिषद के गठन के बाद विध्यवासिनी मंदिर को ट्रस्ट बनाए जाने की फैली अफवाह को पर्यटन व धर्मार्थ कार्य मंत्री डा. नीलकंठ तिवारी ने खारिज कर दिया। कहा कि विध्यवासिनी मंदिर का संचालन जिस प्रकार से हो रहा था, उसी प्रकार होगा। इससे कोई लेना-देना नहीं है। सरकार की मंशा पर्यटन मानचित्र पर आध्यात्मिक केंद्रों को उभारने की है। काशी, अयोध्या, चित्रकूट, मथुरा-वृंदावन की तर्ज पर विकास के लिए विध्यधाम तीर्थ विकास परिषद का गठन किया गया है।
विध्य कॉरिडोर के निरीक्षण के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए पर्यटन व धर्मार्थ कार्य मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में सरकार बनने के बाद ब्रज तीर्थ विकास परिषद का गठन हुआ। उसका परिणाम भी बहुत अच्छा रहा। ब्रज क्षेत्र के आध्यात्मिक, पर्यटन से जुड़े स्थलों का विकास हुआ। यात्रियों की सुविधाएं बढ़ीं। सड़क, गली, कुंड, यात्री सुविधा केंद्र समेत जो भी जरूरतें थीं पूरी की गई। साथ ही पौधारोपण कर बृहद सुंदर बनाया गया। उसी तर्ज पर प्रमुख तीर्थ स्थलों में शुमार विध्यधाम को भी संवारा जाएगा। यहां की अवस्थापना सुविधाएं, पर्यटन से जुड़ी जरूरतें रहने की व्यवस्था, धर्मशाला, पार्किंग, सड़क और भी जो जरूरत हैं उसे विकसित किया जाएगा। जो भी यात्री यहां आता है उसे कोई असुविधा न हो। इसकी व्यवस्था बनाने के लिए विध्यधाम विकास परिषद का गठन किया गया है। जनप्रतिनिधियों व अफसरों को दिया धन्यवाद
विध्य कारिडोर के लिए प्रथम चरण का कार्य सकुशल पूर्ण होने पर पर्यटन व धर्मार्थ कार्य मंत्री ने जनप्रतिनिधियों व प्रशासनिक अधिकारियों को धन्यवाद दिया। कहा, सब लोगों ने मिलकर रिकार्ड समय में बहुत अच्छे तरीके से प्रथम फेज का काम पूरा कर लिया। अब उसका विकास किया जाना है।
नियमानुसार हो रहा कार्य
विध्य कारिडोर के लिए खरीदी गई भूमि की कीमत कम देने की बात पर मंत्री ने कहा कि यहां कम-ज्यादा का कोई विषय नहीं है। भूमि की जो सरकारी रेट रहती है, उसी के आधार पर भुगतान किया जाता है। काशी, अयोध्या, चित्रकूट, मथुरा या विध्यधाम हो जहां भी काम हो रहा है, वहां यही नियम है। कहा, यह भी देखा होगा कि जो सड़क या एयरपोर्ट बनता है वहां भी भूमि की कीमत जो सरकारी रहती है उसी के आधार पर उसका भुगतान किया जाता है।