तीसरी लहर के लिए नहीं तैयार है सरकारी अस्पताल

कोरोना की तीसरी लहर आने की आशंका जताई जा रही है। बावजूद

By JagranEdited By: Publish:Mon, 02 Aug 2021 06:59 PM (IST) Updated:Mon, 02 Aug 2021 06:59 PM (IST)
तीसरी लहर के लिए नहीं तैयार है सरकारी अस्पताल
तीसरी लहर के लिए नहीं तैयार है सरकारी अस्पताल

जागरण संवाददाता, मीरजापुर : कोरोना की तीसरी लहर आने की आशंका जताई जा रही है। बावजूद इससे निपटने के लिए जनपद में कोई खास तैयारी नहीं की गई है। जिले में कुल 53 सरकारी अस्पताल हैं। इसमें मंडलीय चिकित्सालय, जिला महिला चिकित्सालय, आठ सीएचसी, आठ पीएचसी व 35 न्यू पीएचसी शमिल हैं, लेकिन किसी में तीसरी लहर से निपटने की कोई खास व्यवस्था नहीं की गई। थोड़ा सुधार जरूर किया गया है। सरकारी अस्पतालों में जैसे पहली और दूसरी लहर में व्यवस्था थी, वैसे ही तीसरी लहर में भी है। मंडलीय चिकित्सालय में मात्र 155 बेड ही हैं, जबकि सीएचसी में 30 ,पीएचसी में चार तथा न्यू पीएचसी में दो बेड हैं। इसमें कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है।

दूसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी से लोगों की हुई मौत को देखते हुए मंडलीय चिकित्सालय के सभी बेड को ऑक्सीजन युक्त कर दिया गया है, जिससे किसी की ऑक्सीजन की कमी से मौत न हो। तीसरी में बच्चों के प्रभावित होने की आशंका जाते हुए चिकित्सालय परिसर में बनाया जा रहा 100 बेड का पीकू चिकित्सालय भी बनकर तैयार नहीं हो सका। कोरोना से पहली और दूसरी लहर में हुई तबाही के बावजूद कोई नहीं सीखा। दोनों लहरों में कोरोना से निपटने की तैयारी करने का दावा करने के बावजूद इसकी लहर आने पर लोगों की जाने जाती रही, लेकिन सरकारी अस्पतालों के हालात जस के तस रहे। न डाक्टर की संख्या बढ़ी और न ही स्टाफ बढ़ाए गए। एक कार्य जरूर हुआ कि कोरोना की आड़ में सरकारी से लेकर निजी चिकित्सालयों तक ने मरीजों को जमकर लूटा। सीएचसी व पीएचसी में पहले जैसे ही हालात हैं। एल वन सेंटर तो एक साल पहले की बंद कर दिया गया। केवल एल टू सेंटर चल रहा है। गंभीेर रोगियों के लिए एल -थ्री सेंटर नहीं है। इसके लिए मरीजों को प्रयागराज या वाराणसी के मेडिकल कालेज में भेजा जाता है।

कोरोना से प्रभावित लोगों का इलाज करने के लिए जनपद में मात्र 50 बेड का एल - टू चिकित्सालय है। इसमें 18 बेड वेंटीलेटर के हैं जबकि 32 बेड आम संक्रमितों को भर्ती करने के लिए है। 30 बेड और बनाने के लिए बोला गया है, लेकिन अभी तक वह बनकर तैयार नहीं हा सका है। मंडलीय चिकित्सालय में दो आक्सीजन प्लांट स्थापित

मंडलीय चिकित्सालय में दो आक्सीजन प्लांट स्थापित किए गए हैं। एक प्लांट प्रदेश सरकार की ओर से परिसर में लगाया गया है। जो एक मिनट में 300 लीटर आक्सीजन उपलब्ध कराता है। 40 निजी चिकित्सालय

जनपद में 40 निजी चिकित्सालय है। इसमें कोरोना के दौरान इलाज करने पर मरीजों की कमर टूट गई। एक दिन का आक्सीजन व कुछ इंजेक्शन लगाए जाने के बदले 25 से 50 हजार रुपये तक बिल बनाए गए। पांच दिन में मरीजों से ढाई लाख रुपये तक ले लिए गए। इससे कोई निजी चिकित्सालय में इलाज कराने नहीं जा रहा है।

जनपद में डाक्टर समेत 1500 स्टाफ

जनपद में कहने को डाक्टर समेत कुल 1500 स्टाफ हैं लेकिन जब जरूरत पड़ती है तो कोई नहीं दिखता है। अधिकारी भी स्टाफ की कमी का हवाला देते हुए अपना पल्ला झाड़ने लगते हैं। मंडलीय चिकित्सालय में डाक्टरों के 50 पद हैं। इसमें 40 तैनात हैं। स्टाफ नर्स का 60 पद है इसमें 50 तैनात है। फार्मासिस्ट छह हैं, इसमें चार तैनात हैं। इस प्रकार वार्ड ब्वाय व एल टी समेत अन्य स्टाफ है। जिला महिला चिकित्सालय में भी संविदा व नियमित डाक्टर को मिलाकर कुल 30 का पद हैं जिसमें 22 तैनात हैं। स्टाफ नर्स भी 40 में 30 तैनात हैं। वार्ड आया आदि अन्य स्टाफ भी हैं। इस तरह जिलेभर के सीएचसी व पीएचसी में सरकारी और संविदा मिलाकर कुल 1200 डाक्टर समेत अन्य स्टाफ है। इसमें लगभग छह सौ नियमित व 722 संविदा पर है। बावजूद इसके नार्मल व कोरोना के मरीजों का इलाज नहीं हो पा रहा है। नहीं है यहां पर सिटी स्कैन समेत अन्य जांच की सुविधा जनपद के किसी सरकारी चिकित्सालय में सिटी स्कैन अल्ट्रासाउंड, एक्सरे आदि की व्यवस्था नहीं है। मंडलीय चिकित्सालय में केवल एक्सरे की सुविधा है। महिला चिकित्सालय में एक्सरे व अल्ट्रासाउंड की सुविधा नहीं है। पहली और दूसरी लहर में स्वास्थ्य सुविधाओं और आक्सीजन खली कमी

कोरोना के पहली लहर में बेड और इलाज की सुविधा का अभाव रहा तो दूसरी लहर में आक्सीजन की कमी लोगों को खली। पुलिस प्रताड़ना भी अधिकांश लोगों झेलना पड़ा। हर व्यक्ति ऑक्सीजन के अभाव में जान गंवाते रहे, लेकिन ऑक्सीजन नहीं मिल पाया। हालांकि सरकारी आंकड़े पर सारी व्यवस्था होने का दावा किया जाता रहा लेकिन हकीकत कुछ और ही रही। लोगों को न तो अस्पतालों में बेड मिला और न ही ऑक्सीजन नसीब हुआ। हालात बहुत बुरे थे। चारों ओर हाहाकार मचा रहा। दूसरी लहर में 12 मीट्रिक टन आक्सीजन की खपत

कोरोना के दूसरी लहर में जनपद के सरकारी अस्पतालों में लगभग 12 मीट्रिक टन या 1200 सिलेंडर ऑक्सीजन की खपत हो रही थी। पूरे जनपद की बात की जाए तो सरकारी और निजी चिकित्सालय मिलाकर 20 मीट्रिक टन यानी 2000 सिलेंडर की मांग थी। जिसे पूरा करने में दिक्कत हो रही थी। फिर भी किसी तरह पूरा करने का प्रयास किया जा रहा था।

वर्जन

कोरोना की तीसरी लहर के लिए स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ाई गई है। आक्सीजन प्लांट लगाए गए हैं। बेड की संख्या बढ़ाई जा रही है। स्टाफ भी बढ़ेंगे। किसी प्रकार की दिक्कत नहीं होगी।

डा. पीडी गुप्ता मुख्य चिकित्साधिकारीे।

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