विध्य पर्वत के प्राकृतिक सौंदर्य की अनुपम भेंट है गेरुआ व मोतिया तालाब

जागरण संवाददाता मीरजापुर विध्य पर्वत पर अवस्थित मोतिया तालाब और गेरुआ तालाब के प्रति भी लोगों की अगाध आस्था है। मान्यता है कि तालाबों में स्नान ध्यान के बाद पास बने मंदिरों में पूजन से भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। नवरात्र के समय हजारों श्रद्धालु इसमें स्नान करते हैं। दोनों ही तालाब विध्य पर्वत के प्राकृतिक सौंदर्य की अनुपम भेंट हैं। मां विध्यवासिनी विध्य पर्वत पर तीन महाशक्तियों के साथ विराजमान हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 13 Jun 2021 12:00 AM (IST) Updated:Sun, 13 Jun 2021 12:00 AM (IST)
विध्य पर्वत के प्राकृतिक सौंदर्य की अनुपम भेंट है गेरुआ व मोतिया तालाब
विध्य पर्वत के प्राकृतिक सौंदर्य की अनुपम भेंट है गेरुआ व मोतिया तालाब

जागरण संवाददाता, मीरजापुर : विध्य पर्वत पर अवस्थित मोतिया तालाब और गेरुआ तालाब के प्रति भी लोगों की अगाध आस्था है। मान्यता है कि तालाबों में स्नान, ध्यान के बाद पास बने मंदिरों में पूजन से भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। नवरात्र के समय हजारों श्रद्धालु इसमें स्नान करते हैं। दोनों ही तालाब विध्य पर्वत के प्राकृतिक सौंदर्य की अनुपम भेंट हैं। मां विध्यवासिनी विध्य पर्वत पर तीन महाशक्तियों के साथ विराजमान हैं।

विध्य पर्वत पर विराजमान महाकाली मंदिर से एक किलोमीटर की दूरी पर गेरुआ तालाब है। यहां पर मां के लाडले भाई श्रीकृष्ण विराजते हैं। यहां पर त्रिभुवन मोहिनी भगवती राधा के साथ ब्रजनंदन श्रीकृष्ण नित्य रासलीला रचाते हैं। भक्तों को आज भी उनकी मुरली की मधुर तान कोयल, मोर आदि पक्षियों की बोलियों में सुनाई पड़ती है। गेरुआ तालाब से एक रास्ता मोतिया तालाब की ओर जाता है। मोतिया तालाब सरोवर के उत्तरी तट पर मुक्तेश्वर नाथ का शिवलिग भी स्थापित है, जिनके दर्शन और सरोवर में स्नान मात्र से मुक्ति मिल जाती है। सरोवर की ऐसी मान्यता है कि कुत्ता काटने पर यहां स्नान कर लेने मात्र से विष तत्काल समाप्त हो जाता है। तालाब के विषय में पुराणों में लिखा है कि जो भी भक्त इस सरोवर में स्नान कर मुक्तेश्वर नाथ की पूजा करता है, वह पापों से मुक्त हो जाता है।

विध्याचल के तीर्थ पुरोहित ईश्वर दत्त त्रिपाठी ने बताया कि विध्य पर्वत ऋषि मुनियों का तपस्थली है। गेरुआ तालाब के पास तमाम ऋषि मुनि निवास करते थे, क्योंकि विध्य पर्वत पर गेरूआ व मोतिया तालाब के पास ही जल का संसाधन था। गेरुआ तालाब का जल भी गेरू रंग का दिखता है। इसी वजह से इसका नाम गेरुआ तालाब पड़ा। गेरुआ तालाब ही विध्य पर्वत पर वह स्थान है, जहां ब्रह्म के उपासक आदिगुरु शंकराचार्य को मां विध्यवासिनी की शक्ति की अनुभूति हुई थी। आदिगुरु शंकराचार्य ने लिखा था कि किसी भी साधक की साधना तब तक पूर्ण नहीं मानी जाएगी, जब तक वह विध्याचल की इस धरा पर आकर मां विध्यवासिनी के चरण रज को प्राप्त नहीं कर लेगा। गेरुआ तालाब जहां ब्रह्म शक्ति के साथ जुड़ा है, वहीं मोतिया तालाब मुक्ति के साथ जुड़ा है।

भू-जल रिचार्ज का अच्छा साधन है मोतिया व गेरुआ तालाब

नपा अध्यक्ष मनोज जायसवाल ने विध्य पर्वत के त्रिकोण मार्ग पर प्राचीन तालाबों के जीर्णोद्धार एवं सुंदरीकरण के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व पर्यटन मंत्री नीलकंठ तिवारी को पत्र लिखा। नपा अध्यक्ष ने कहा कि त्रिकोण मार्ग पर गेरूआ एवं मोतिया तालाब काफी प्राचीन है। भू-जल रिचार्ज का अच्छा साधन है। विध्य कारिडोर के साथ ही पर्यटन एवं धार्मिक ²ष्टि से इन तालाबों का जीर्णोद्धार व सुंदरीकरण करना अतिआवश्यक है।

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