गलन ने दी दस्तक, अलाव का दूर-दूर तक पता नहीं

पिछले तीन चार दिनों से गलन बढ़ गई है और शाम होते ही अलाव की जरुरत महसूस होने लगती है। घर से बाहर शहर में अस्पताल रेलवे स्टेशन बस अड्डों पर लोगों की भीड़ ठंड से बचने के अपने रास्ते तलाशती है। हर साल सार्वजनिक स्थानों पर अलाव जलाने के लिए बजट पास होता है। जनपद में नगर पालिका परिषद सहित न्याय पंचायत व ब्लाक स्तर पर निभाने की जिम्मेदारी है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 10 Dec 2019 08:05 PM (IST) Updated:Tue, 10 Dec 2019 11:49 PM (IST)
गलन ने दी दस्तक, अलाव  का दूर-दूर तक पता नहीं
गलन ने दी दस्तक, अलाव का दूर-दूर तक पता नहीं

जागरण संवाददाता, मीरजापुर : पिछले तीन चार दिनों से गलन बढ़ गई है और शाम होते ही अलाव की जरुरत महसूस होने लगती है। घर से बाहर शहर में, अस्पताल, रेलवे स्टेशन, बस अड्डों पर लोगों की भीड़ ठंड से बचने के अपने रास्ते तलाशती है। हर साल सार्वजनिक स्थानों पर अलाव जलाने के लिए बजट पास होता है। जनपद में नगर पालिका परिषद सहित न्याय पंचायत व ब्लाक स्तर पर निभाने की जिम्मेदारी है।

जनपद में गलन का असर पड़ने लगा है और गांवों में अलाव भी जलने लगे हैं। इसकी जिम्मेदारी स्थानीय लोग खुद ही उठा रहे हैं। राजगढ़ निवासी किशन पटेल ने बताया कि गांव के आसपास के कूड़ा करकट को उठाकर अलाव की व्यवस्था की जाती है। वहीं मझवां ब्लाक के दुनाई निवासी अनूप कुमार शुक्ला ने बताया कि गांवों में अलाव जलाने की कभी सरकारी व्यवस्था नहीं की जाती है और लोग खुद ही इसकी व्यवस्था करते हैं। कछवां बाजार के पवन मिश्रा ने बताया कि नगर पंचायत द्वारा अलाव की व्यवस्था की जानी चाहिए लेकिन इस वर्ष अभी तक अलाव नहीं जलाए जा रहे हैं। छानबे ब्लाक के बबुरा कला निवासी धनंजय पांडेय ने बताया कि यहां कभी भी अलाव की लकड़ी नहीं पहुंचती है। लोग अपने घरों के उपले आदि से ठंड दूर करते हैं।

नहीं जारी होता शासन से बजट

नगर पालिका परिषद के अधिशासी अधिकारी विनय कुमार तिवारी ने बताया कि अलाव के लिए शासन द्वारा कोई अलग से बजट जारी नहीं किया जाता। पालिका परिषद अपने फंड से ही अलाव की व्यवस्था करता है। गलन बढ़ रही है और जल्द ही नगर क्षेत्र के सार्वजनिक स्थलों पर अलाव जलाए जाएंगे।

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