जमीन से ढाई फीट नीचे दबी मोबाइल भी ढूंढ लेगी फ्रांस की मशीन

अब वह दिन लद गए जब जेल में बंद कैदी मोबाइल फोन को जमीन के नीचे छिपा दिया करते थे। कई बार अचानक छापेमारी में जेलों में मोबाइल बरामद होते हैं लेकिन फ्रांस निर्मित नई मशीन से इस पर रोक लग जाएगी। यह मशीन जेल में छिपाए गए मोबाइल तो आसानी से ढूंढ ही लेगी वहीं जमीन खोदकर भी मोबाइल छिपाया गया है तो वह भी पता चल जाएगा।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 13 Nov 2019 06:06 PM (IST) Updated:Wed, 13 Nov 2019 11:22 PM (IST)
जमीन से ढाई फीट नीचे दबी मोबाइल भी ढूंढ लेगी फ्रांस की मशीन
जमीन से ढाई फीट नीचे दबी मोबाइल भी ढूंढ लेगी फ्रांस की मशीन

प्रशांत यादव, मीरजापुर :

अब वह दिन लद गए जब जेल में बंद कैदी मोबाइल फोन को जमीन के नीचे छिपा दिया करते थे। कई बार अचानक छापेमारी में जेलों में मोबाइल बरामद होते हैं लेकिन फ्रांस निर्मित नई मशीन से इस पर रोक लग जाएगी। यह मशीन जेल में छिपाए गए मोबाइल तो आसानी से ढूंढ ही लेगी, वहीं जमीन खोदकर भी मोबाइल छिपाया गया है तो वह भी पता चल जाएगा। जिला कारागार के लिए फ्रांस निर्मित दो मेटल डिटेक्टर मशीनें मिल चुकी हैं।

शासन को लगातार शिकायत मिल रही थी कि जेल में बंद चल रहे कुछ शातिर अपराधी जेल से ही मोबाइल के जरिए अपना साम्राज्य चला रहे हैं। छापेमारी के दौरान मोबाइल बरामद कर लिए जाते हैं लेकिन फिर कहीं न कहीं मोबाइल छिपाने के कारण यह बदमाश दोबारा बात करने लगते हैं। इसके चलते इनके कारनामों पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। शिकायत को गंभीरता से लेते हुए शासन ने पूर्वाचल के जेलों, वाराणसी, मीरजापुर, गाजीपुर, आजमगढ़, सोनभद्र, चंदौली, जौनपुर, इलाहाबाद, मऊ, गोरखपुर आदि स्थानों पर फ्रांस निर्मित मशीन लगाने का निर्देश दिया। जनपद के जिला जेल में कैदियों की संख्या 332 के सापेक्ष 747 है। इसमें महिला कैदियों की संख्या 77 तथा बच्चों की संख्या 14 है। जेल के अंदर 30 सीसीटीवी कैमरे लगे हैं जो पूरी तरह से वर्किंग हैं। जेल में मोबाइल का प्रयोग कोई कैदी न कर सके इसके लिए आठ जैमर मशीन भी लगाए गए हैं। जेल में छुपे मोबाइल को ढूंढने के लिए फ्रांस निर्मित दो डिटेक्टर मशीन आई है जो कि ढाई फीट तक जमीन में कोई भी मोबाइल छुपा है उसे ढूंढ सकती है। जेल अधिकारियों की मानें तो तो नई तकनीक से लैस यह मेटल डिटेक्टर मशीन सुरक्षा की दृष्टि से काफी कारगर है और इससे छिपे हुए मोबाइल भी तलाश कर पाना आसान हो गया है।

118 साल पुरानी है जेल

जेलर सुरेश मिश्रा ने बताया कि जनपद की जेल 1901 में बनी है और यह जेल 118 साल पुरानी हो चुकी है। इसी वजह से सभी बैरकें दयनीय अवस्था में हैं। इनमें बरसात का पानी टपकता रहता है, जिसकी मरम्मत बेहद जरुरी है। जेल के कई बैरक रहने लायक नहीं रह गए है।इस पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है।

जिला जेल : फैक्ट फाइल

जेल परिसर : 15 एकड़ में

जेल की क्षमता : 332 कैदी

वर्तमान संख्या : 747 कैदी

महिला संख्या : 77 कैदी

सीसीटीवी लगे : 30 जगह

मोबाइल जैमर : आठ जगह

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वर्जन

जेल की सुरक्षा व्यवस्था के लिए नई तकनीकी से लैस फ्रांस निर्मित दो मेटल डिटेक्टर मिले हैं। यह जमीन में छिपाए गए मोबाइल को भी ढूंढ लेगी।

- अनिल कुमार राय, जेल अधीक्षक, मीरजापुर

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