नमामि गंगे प्रोजेक्ट के श्रीगणेश में ही पांच करोड़ का घोटाला

सरकार चाहे जितनी भी सख्ती कर ले लेकिन सरकारी अधिकारी भ्रष्टाचार करने का कोई न कोई जुगाड़ निकाल ही लेते हैं। ऐसा ही कुछ हुआ है जनपद के लिए महत्वाकांक्षी नमामि गंगे परियोजना के साथ। प्रोजेक्ट का अभी शिलान्यास तक नहीं हो पाया और कागजों पर पांच करोड़ का खेल हो गया। मामले की भनक मिलने के बाद नगर पालिका परिषद की ओर से जांच की मांग की गई है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 13 Nov 2019 06:09 PM (IST) Updated:Wed, 13 Nov 2019 11:22 PM (IST)
नमामि गंगे प्रोजेक्ट के श्रीगणेश  में ही पांच करोड़ का घोटाला
नमामि गंगे प्रोजेक्ट के श्रीगणेश में ही पांच करोड़ का घोटाला

जागरण संवाददाता, मीरजापुर : सरकार चाहे जितनी भी सख्ती कर ले लेकिन सरकारी अधिकारी भ्रष्टाचार करने का कोई न कोई जुगाड़ निकाल ही लेते हैं। ऐसा ही कुछ हुआ है जनपद के लिए महत्वाकांक्षी नमामि गंगे परियोजना के साथ। प्रोजेक्ट का अभी शिलान्यास तक नहीं हो पाया और कागजों पर पांच करोड़ का खेल हो गया। मामले की भनक मिलने के बाद नगर पालिका परिषद की ओर से जांच की मांग की गई है।

जनपद में नमामि गंगे परियोजना के तहत कुल सात घाटों व तीन श्मशान घाट बनाने का प्रस्ताव पास हुआ। इसके लिए सरकार की ओर से कुल 26 करोड़ 41 लाख रुपये भी जारी कर दिए गए। इस प्रोजेक्ट के तहत नगर के पक्का घाट, बरिया घाट, ओलियर घाट, गाउ घाट, नारघाट सहित कुल सातों का पुननिर्माण व सुंदरीकरण कराया जाना है। साथ ही गंगा किनारे तीन स्थानों पर श्मशान घाट बनाए जाने हैं। लेकिन इस कार्य की शुरूआत ही घोटोले से होने से सनसनी मची हुई। दरसअसल, परियोजना पर जिला प्रशासन द्वारा रोक लगाई गई थी और शिलान्यास का पत्थर आज भी नगर पालिका कार्यालय में रखा हुआ है। नपाध्यक्ष मनोज जायसवाल ने बताया कि मात्र कुछ घाटों पर बैरिकेडिग कराकर और डस्टबिन रखवाकर पांच करोड़ का खर्च दिखा दिया गया। इसकी जांच की जानी चाहिए कि आखिर वास्तव में इस धन का कहां और कैसे उपयोग किया गया।

बाढ़ से पहले शुरू कराया काम

सूत्रों की मानें तो अधिकारियों ने जान बूझकर बारिश से ठीक पहले गंगा घाटों के सुंदरीकरण का काम शुरू कराया ताकि बाढ़ के पानी में यह क्षतिग्रस्त हो जाए। यही हुआ भी, जो भी थोड़ा बहुत काम हुआ था, वह पानी में बह गया। इतना ही नहीं विध्य विकास परिषद के धन से शास्त्री पुल की लाइटिग में भी घपले का आरोप लग चुका है और इसकी जांच की मांग की गई है। वर्जन

मामले की जानकारी मिली है और हमने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर मामले की जांच कराने की मांग की है। जनहित के इस प्रोजेक्ट में भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

- मनोज जायसवाल, नपाध्यक्ष

chat bot
आपका साथी