संक्रमणीय भूमि दर्ज कराने को चक्कर लगा रहे किसान
-तहसीलस्तर पर किसानों को नहीं मिल पा रहा सरकारी लाभ -भूमि होने के बाद भी केसीसी से वंि
-तहसीलस्तर पर किसानों को नहीं मिल पा रहा सरकारी लाभ
-भूमि होने के बाद भी केसीसी से वंचित, लालगंज का मामला
जागरण संवाददाता, लालगंज (मीरजापुर) : सरकार किसानों के हित में तमाम कल्याणकारी योजनाएं संचालित कर उनको लाभ देने की कोशिश कर रही है, लेकिन तहसील स्तर पर किसानों को समुचित लाभ नहीं मिल पा रहा है। काश्तकार की खतौनी पर श्रेणी टू असंक्रमणीय भूमि को श्रेणी एक संक्रमणीय भूमिधर का आदेश न किए जाने से किसान परेशान है। उनको अपनी असंक्रमणीय भूमि को संक्रमणीय भूमि दर्ज कराने के लिए तहसील का चक्कर काटना पड़ रहा है। किसानों ने मांग की है कि बिना आवंटन पत्रावली की असंक्रमणीय भूमि को संक्रमणिय भूमि दर्ज किया जाए।
शासनादेश के अनुसार नियम 2005 के अंतर्गत पांच वर्ष पुरानी पट्टे की भूमि को श्रेणी एक संक्रमणीय भूमिधर का दर्जा मिल जाना चाहिए था। कितु ऐसा हो नहीं पाया संक्रमणीय भूमि दर्ज न होने के कारण किसान भूमि होने के बाद भी सरकारी लाभ जैसे केसीसी से वंचित है। किसान अपनी खतौनी में अंकित असंक्रमणीय भूमि को संक्रमणीय भूमि दर्ज कराने के लिए परेशान है। किसानों ने बताया कि अधिकारी यह कह रहे हैं कि जिस पट्टे की आवंटन पत्रावली होगी उसी को संक्रमणीय भूमि का दर्जा दिया जाएगा। ऐसी स्थिति में तमाम किसानों की असंक्रमणीय भूमि कि कोई आवंटन पत्रावली नहीं है। ज्यादा तर समस्या देखने को मिल रहा है कि ग्राम पंचायत इकाई का गठन के पहले आवंटन पत्रावली नही बनाई जाती थी केवल एक प्रारूप पर पट्टा कर दिया जाता था और उसी का तहसीलदार के न्यायालय में खारिज दाखिल कर खतौनी पर अंकित हो जाता था। किसान रामरूप ने बताया कि वर्ष 1975 के पहले से हमारी भूमि असंक्रमणीय के रूप में खतौनी पर दर्ज है और आज तक उनको संक्रमणीय भूमिधर का दर्जा नहीं दिया गया। वर्ष 1975 के बाद ग्राम पंचायत का गठन हुआ इसके बाद से आवंटन पत्रावली बनना शुरू हुआ। किसानों ने मांग की है कि बिना आवंटन पत्रावली की असंक्रमणीय भूमि को संक्रमणीय भूमि दर्ज किया जाए।