पानी के अभाव में धान की नर्सरी सूखने के कगार पर, चिता
घाघर मुख्य नहर से पानी न मिलने के कारण राजगढ़ और पटेहरा कला में धान की खेती मुश्किल में है। 90 फीसद खेत पानी न मिलने के कारण वीरान पड़े हुए हैं। धान की नर्सरी पानी के अभाव में सूख रही है। किसानों को पर्याप्त बिजली न मिलने से सबमर्सिबल नहीं चल पा रहे हैं।
जागरण संवाददाता, भावां (मीरजापुर) : घाघर मुख्य नहर से पानी न मिलने के कारण राजगढ़ और पटेहरा कला में धान की खेती मुश्किल में है। 90 फीसद खेत पानी न मिलने के कारण वीरान पड़े हुए हैं। धान की नर्सरी पानी के अभाव में सूख रही है। किसानों को पर्याप्त बिजली न मिलने से सबमर्सिबल नहीं चल पा रहे हैं। किसानों के माथे पर अब चिता की लकीरें उभर आई हैं। ऐसे में 35 साल पहले से प्रस्तावित बेलन बकहर पोषक नहर और सोन लिफ्ट परियोजना की याद किसानों को याद आई है।
क्षेत्र में सिचाई समस्या से निपटने के लिए बेलन बकहर पोषक नहर और सोन लिफ्ट परियोजना का वर्ष 1977 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा 383 करोड़ की लागत से परियोजना की शुरु की गई थी, पर आज तक यह परियोजना पूरी नहीं हो पाई। यदि यह परियोजना पूरी हो गई होती तो मड़िहान तहसील के लोगों को सिचाई एवं पेयजल की समस्या के लिए परेशान न होना पड़ता। सोन लिफ्ट परियोजना तो पूरी नहीं बल्कि घाघर नहर से मिलने वाले पानी का बंटवारा जरूर करा दिया गया। राजगढ़ व पटेहरा में इसके कारण अकाल की स्थिति बन गई है। राजगढ़ के मटिहानी, सरसों, बिशुनपुर, दरबान, इमलिया 84, रैकरी, अटारी, भावा, राजापुर, पतरपुरा एवं लालपुर के साथ पटेहरा कला के दर्जनों गांव के किसान पानी के अभाव में खेती नहीं कर पा रहे हैं। क्षेत्र के राम लखन पाल, रामाश्रय मौर्य, राम कृत मौर्य, विजय नारायण सिंह, शीतला प्रसाद सिंह एव बसंत लाल सिंह आदि किसानों ने सोन लिफ्ट और बकहर परियोजना को संचालित करने की मांग की है। वर्जन--
धंधरौल बांध में पानी नहीं है। इसलिए घाघर नहर को नहीं चलाया जा सकता, लेकिन बेलन बकहर पोषक नहर में पानी है और एक-दो दिन में नहर चालू हो जाएगी। राजगढ़ व पटेहरा के किसानों को 75 क्यूसेक पानी खेती के लिए मिलेगा।
विजय यादव, अवर अभियंता, मड़िहान डिवीजन।