खेत में बहता है किसान का पसीना तो भरता है हमारा पेट

जब खेत में किसान का पसीना बहता है तब जाकर हमारा पेट भरता है। किसान को यदि धरती का भगवान कहा जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगी क्योंकि किसान ही पृथ्वी पर ऐसा इंसान है जो जमीन से अन्न उपजाता है। हर किसी के जीवन जीने के लिए भोजन उगाता है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 07 Jun 2021 11:28 PM (IST) Updated:Mon, 07 Jun 2021 11:28 PM (IST)
खेत में बहता है किसान का पसीना तो भरता है हमारा पेट
खेत में बहता है किसान का पसीना तो भरता है हमारा पेट

जागरण संवाददाता, मीरजापुर : जब खेत में किसान का पसीना बहता है तब जाकर हमारा पेट भरता है। किसान को यदि धरती का भगवान कहा जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगी क्योंकि किसान ही पृथ्वी पर ऐसा इंसान है, जो जमीन से अन्न उपजाता है। हर किसी के जीवन जीने के लिए भोजन उगाता है। इसीलिए भारतीय संस्कृति में केवल किसान को अन्नदाता कहा गया है। किसान के कमजोर कंधों पर वर्तमान में लगभग जनपद की लगभग 2,892,989 आबादी के लिए भोजन उगाने की जिम्मेदारी है। सरकारी आंकड़ों पर गौर करें तो जिले की आबादी 24,96,970 से बढ़कर 28,92,989 पहुंच चुकी है। जनपद में अकेले खाद्य विभाग प्रति वर्ष कोटे की दुकानों के माध्यम से लगभग 129896.010 टन (अप्रैल 2020 से मार्च 2021 तक) अनाज का वितरण करता है। कोरोना संक्रमण के दौरान ही लगभग 76486.745 टन अनाज का वितरण जिले में किया गया।

जिले में लगभग 3,24,113 किसान हैं जो पीएम किसान योजना के तहत पंजीकृत हैं। इन किसानों द्वारा उगाए गए अनाज को शहर में 120 व ग्रामीण क्षेत्रों में 920 सहित 1039 कोटे की दुकान से लगभग 456274 कार्डधारकों तक प्रति माह एक हजार एमटी पहुंचाया जाता है, जबकि शेष लोगों को भोजन की व्यवस्था के लिए खुले बाजार से अनाज लेना पड़ता है। वर्जन--

जनपद के लगभग 456274 कार्डधारकों को अनाज का वितरण प्रति माह कराया जाता है। इसके अतिरिक्त कोरोना संक्रमण के दौरान ही लगभग 76486.745 एमटी अनाज का वितरण जिले में किया गया। पारदर्शिता के लिए इपास मशीन से अनाज का वितरण कराया जाता है।

- उमेशचंद्र, जिला पूर्ति अधिकारी।

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