अस्पताल के गेट तक हो गया अतिक्रमण, महकमा अनजान
स्वास्थ्य व्यवस्था सु²ढ़ करने के लिए केंद्र व राज्य सरकारें योजनाएं तो ला रही हैं लेकिन आम आदमी तक उनका लाभ नहीं मिल रहा। विभागों की लापरवाही का खामियाजा आम जनता उठा रही है। ताजा मामला मझवां ब्लाक के जमुआं गांव का है जहां प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के गेट तक अतिक्रमण कर लिया गया और प्रशासन को भनक तक नहीं लगी। हालात यह है कि अस्पताल गेट के सामने ही नाली निर्माण किया जा रहा है और विभाग मौन बैठा है।
जागरण संवाददाता, मीरजापुर : स्वास्थ्य व्यवस्था सु²ढ़ करने के लिए केंद्र व राज्य सरकारें योजनाएं तो ला रही हैं लेकिन आम आदमी तक उनका लाभ नहीं मिल रहा। विभागों की लापरवाही का खामियाजा आम जनता उठा रही है। ताजा मामला मझवां ब्लाक के जमुआं गांव का है जहां प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के गेट तक अतिक्रमण कर लिया गया और प्रशासन को भनक तक नहीं लगी। हालात यह है कि अस्पताल गेट के सामने ही नाली निर्माण किया जा रहा है और विभाग मौन बैठा है।
मझवां ब्लाक के जमुआं गांव में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र है। यह स्वास्थ्य केंद्र इसलिए भी सुर्खियों में है क्योंकि इसके चारों ओर जबरजस्त कब्जा कर लिया गया है। इतना ही अस्पताल के अंदर भी भेड़ें पाली जाती हैं और स्थानीय लोग इसका उपयोग सार्वजनिक कार्यों के लिए भी करते हैं। कुछ समय पहले ही यहां जुआड़ियों का अड्डा लगता था जो पुलिस की सख्ती के बाद बंद हो गया लेकिन अस्पताल की सुध किसी को नहीं है। स्थानीय निवासियों ने बताया कि अस्पताल गेट के ठीक सामने अतिक्रमण कर दीवार बनाई जा रही है और गेट को बंद करके नाला निर्माण हो रहा है। इससे आने वाले दिनों में अस्पताल तक एंबुलेंस पहुंचना भी मुश्किल हो जाएगा। शनिवार को इसकी शिकायत जिलाधिकारी से भी की गई जिन्होंने पीडब्ल्यूडी के सहायक अभियंता को फौरन मामले की जांच व उचित कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। इस अस्पताल से आसपास के दर्जनभर गांवों के गरीबों का सीधा जुड़ाव है लेकिन कुछ लोग अपनी सहूलियत के लिए इस सरकारी संस्थान को ही समाप्त करने पर तुले हैं और विभाग मूकदर्शक बना हुआ है। स्थानीय करीब दो दर्जन लोगों ने हस्ताक्षर युक्त लिखित शिकायत पीडब्ल्यूडी सहित अन्य अधिकारियों को दी है।
मेठ ने लगाई फर्जी रिपोर्ट
जमुआं बाजार से हीरापुर-लछिरामपुर मार्ग की चौड़ाई तीन मीटर है और कहीं भी इसे नापकर देखा जा सकता है, सड़क तीन मीटर नहीं बची है। कई जगहों पर तो यह दो मीटर से भी कम बची है इसके बावजूद चार फीट चौड़ी खुली नाली का निर्माण कराया जा रहा है। जब इसकी शिकायत की गई तो पीडब्ल्यूडी विभाग ने स्थानीय मेठ से माप कराई जिसने फर्जी रिपोर्ट भेज दी कि तीन मीटर सड़क सुरक्षित है और नाली किनारे बन रही है। जबकि हकीकत यह है कि नाली बनने के बाद दो मीटर से भी कम सड़क बचेगी जिस पर स्कूली बसें, एंबुलेंस तक नहीं निकल पाएंगे।