डाक्टर नहीं लिख रहे जेनेरिक दवा, महंगी दवा खरीदने को मजबूर हो रहे मरीज

जागरण संवाददाता मीरजापुर केंद्र सरकार ने मरीजों को सस्ते दर पर दवाएं उपलब्ध कराने क

By JagranEdited By: Publish:Fri, 16 Apr 2021 12:26 AM (IST) Updated:Fri, 16 Apr 2021 12:26 AM (IST)
डाक्टर नहीं लिख रहे जेनेरिक दवा, महंगी दवा खरीदने को मजबूर हो रहे मरीज
डाक्टर नहीं लिख रहे जेनेरिक दवा, महंगी दवा खरीदने को मजबूर हो रहे मरीज

जागरण संवाददाता, मीरजापुर : केंद्र सरकार ने मरीजों को सस्ते दर पर दवाएं उपलब्ध कराने के लिए देशभर में प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र खोलवाया है, लेकिन उनके इस सपने पर चिकित्सक पानी फेरने में लगे हुए हैं। यही कारण है कि आज भी मरीज सस्ती दवाएं खरीदने के लिए जन औषधि केंद्र पर नहीं जा रहे हैं। वे निजी मेडिकलों से महंगी दवाएं खरीदने को मजबूर हैं। इसके पीछे कमीशन का खेल बताया जा रहा है। जनऔषधि केंद्र संचालक चिकित्सकों को कमीशन देने को तैयार नहीं है जबकि निजी मेडिकल स्टोर के लोग उनको सुविधा शुल्क दे रहे हैं। ऐसे में जन औषधि केंद्र के लोगों का धंधा चौपट होता जा रहा है। यही हाल रहा तो एक दिन यह केंद्र बंद हो जाएंगे।

जिले में मरीजों को सस्ते दर पर दवाएं उपलब्ध कराने के लिए तीन जन औषधि केंद्र खोले गए हैं। इसमें एक मंडलीय चिकित्सालय, दूसरा महिला चिकित्सालय तथा तीसरा नगर के घुरहूपट्टी मोहल्ले में है। ताकि मरीज कम कीमत पर दवाएं खरीदकर अपने रोगों का इलाज कर सके। इससे उन्हें दो फायदे होंगे। एक तो कम रुपये में उनको दवाएं मिल जाएंगी और दूसरा उनका रोग भी ठीक हो जाएगा, लेकिन चिकित्सकों और मेडिकल कर्मियों की लापरवाही के कारण मरीजों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। बाजार से लगभग 75 प्रतिशत कम दाम पर दवाएं मिलने के बावजूद इन मेडिकलों पर मरीजों की भीड़ नहीं दिखाती है। निजी मेडिकल से ही मरीज दवाएं खरीदते हुए देखे जाते हैं । चिकित्सकों द्वारा इसके प्रति सहयोग न करने के कारण मरीजों को इसका लाभ नहीं मिल पाता है। मरीज चिकित्सकों की ओर से परची पर लिखी गई महंगी दवाएं निजी मेडिकल स्टोर से महंगे दामों पर दवाएं खरीदकर खाने को मजबूर हैं।

जन औषधि केंद्र को विभिन्न रोगों की 900 दवाएं बेचने की अनुमति

जनपद के तीन जन औषधि केंद्र पर विभिन्न रोगों के लगभग 900 दवाएं बेचने की अनुमति मिली है, लेकिन किसी मेडिकल के पास इतनी दवाएं नहीं है। सभी के पास विभिन्न रोगों के 300 से 400 दवाएं ही उपलब्ध है। इस संबंध में मेडिकल कर्मी ऋषि त्रिपाठी का कहना है कि चिकित्सकों द्वारा कोई सहयोग न करने के कारण मेडिकल पर बहुत की कम संख्या में मरीज दवाएं खरीदने आते हैं। इसके चलते अधिकांश दवाओं की समय सीमा समाप्त हो जाती है। वापस नहीं होने के कारण वे खराब हो जाती हैं और उनको फेंकना पड़ता है। प्रतिदिन आते हैं मात्र 50 से 60 मरीज दवा खरीदने

जनपद के जन औषधि केंद्र पर प्रतिदिन 50 से 60 मरीज की दवाएं खरीदने आते हैं। जबकि मंडलीय चिकित्सालय में प्रतिदिन दो हजार व महिला चिकित्सालय में एक हजार महिलाएं प्रतिदिन इलाज कराने आती हैं। इसके अलावा यहां 50 से अधिक छोटे-बड़े निजी चिकित्सालय हैं। इनपर भी 200 से 500 मरीज आते है। सरकारी अस्पताल में अधिकांश दवाएं अंदर ही मिल जाती है। जो नहीं मिलती उसे चिकित्सक बाहर के निजी मेडिकलों से खरीदने के लिए लिख देते हैं। जो बचते हैं वे लोग जनऔषधि केंद्र से दवाएं खरीदते हैं। मेडिकल पर नहीं मिला फार्मासिस्ट मंडलीय चिकित्सालय परिसर में खुले प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र पर फार्मासिस्ट मौजूद नहीं था। मेडिकल पर मौजूद अन्य लोग दवाएं बेचते हुए मिले। पूछने पर ऋषि त्रिपाठी ने बताया कि इस मेडिकल पर औरंगजेब नामक फार्मासिस्ट है जो इस समय नहीं है। कहा कि अन्य लोग मरीजों को दवाएं वितरण कर रहे हैं। -----------------------------------

दवा का नाम - बाजार की दवा - जेनेरिक दवा की कीमत सुगर की दवा - 60 से 250 रुपये तक-- 24 रुपये में

बीपी की दवा - 70 से 200 रुपये-- 15 रुपये

दर्द की दवा--- छह से 50 रुपये --- दो रुपये में

बुखार की दवा-- तीन से दस रुपये ----- एक रुपये में एक गोली

गैस की दवा --- एक से 25 रुपये तक--- पांच रुपये पत्ता

बीपी मशीन--- 1500 से लेकर पांच हजार---- पांच रुपये से एक हजार तक

सुगर मशीन--- 2000 से 4000 हजार तक ---500 से 900 रुपये तक

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जेनेरिक दवाएं काफी अच्छी हैं। इसका इस्तेमाल करना चाहिए। अपना इलाज कराते समय डाक्टर से भी कहें कि उनको जेनेरिक दवाएं लिखें। इससे दो फायदे होंगे। एक आपके बीमारी में निजी मेडिकल स्टोर से दवाएं खरीदकर खाने पर असर होगा वही जेनेरिक दवाएं खाने पर होगा। साथ ही आपके रुपये भी बचेंगे।

रचना गर्ग नगर निवासी जेनेरिक दवाओं का सेवन करने से शरीर पर कोई नुकसान नहीं होता है। यह नार्मल तरीके से बनाई गई जिससे किसी को नुकसान नहीं हो। सबसे अच्छी बात है कि यह बाजार में मिलने वाली दवाओं से 75 प्रतिशत सस्ती मिलती है। मैं पिछले चार सालों से इसी दवा का सेवन कर रहा हूं। ऐसे में आप सभी को भी जेनेरिक दवा लेना चाहिए।

सादान गैवीघाट

-------------------- सभी चिकित्सकों को जेनेरिक दवाएं ही लिखने का निर्देश है। अगर चिकित्सक मरीजों को जेनेरिक दवाएं नहीं लिख रहे हैं तो गलत है। जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी।

- डा. पीडी गुप्ता, सीएमओ

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